हालांकि इस बीच उनकी जिंदगी में कई उतार-चढाव आए। उनके जिंदगी का कठिन समय तब आया जब टीवी अभिनेता नीरज भारद्वाज से तलाक हो गया। जी हां उपासना की निजी जिंदगी भी सुर्खियों में रही।
29 जून को उपासना का 50वां जन्मदिन
‘अब्बा डब्बा जब्बा’ का जादू हो या ‘पिंकी बुआ’ की मजेदार बातें, उपासना सिंह ने अपनी कॉमिक टाइमिंग और दमदार एक्टिंग से हर रोल में खास पहचान बनाई है। 29 जून को वह अपना 50वां जन्मदिन मना रही हैं। उनकी जिंदगी की कहानी भी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। एक छोटे शहर से निकलकर टीवी और फिल्मों तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने यह सफर मेहनत और लगन से तय किया।
उपासना सिंह का जन्म 29 जून 1975 को पंजाब के होशियारपुर में हुआ था। वह एक साधारण परिवार से थीं और बचपन से ही उन्हें एक्टिंग का शौक था। सिर्फ 7 साल की उम्र में उन्होंने स्कूल की तरफ से दूरदर्शन पर एक कार्यक्रम पेश किया था। उस वक्त वह डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन किस्मत उन्हें एक्टिंग की दुनिया में ले आई।
उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से ड्रामेटिक आर्ट्स में मास्टर्स की पढ़ाई की और उसी दौरान एक्टिंग करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने टीवी और फिल्मों में अपनी जगह बना ली।
बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट करियर की शुरुआत
उपासना ने 1986 में राजश्री प्रोडक्शंस की फिल्म ‘बाबुल’ से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट करियर की शुरुआत की। हालांकि, असली पहचान उन्हें साल 1988 में राजस्थानी फिल्म ‘बाई चली सासरिए’ से मिली, जो उस दौर की सबसे सफल राजस्थानी फिल्मों में से एक थी। यह फिल्म 100 दिनों तक सिनेमाघरों में चली और उपासना की अभिनय प्रतिभा को नई ऊंचाइयों तक ले गई। इसके बाद उन्होंने पंजाबी, गुजराती, भोजपुरी और हिंदी सिनेमा में अपनी छाप छोड़ी।
‘जुदाई’ (1997) में उनके ‘अब्बा डब्बा जब्बा’ डायलॉग ने उन्हें मशहूर कर दिया। इस फिल्म में उपासना की कमाल की कॉमिक टाइमिंग ने दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया। उपासना ने करीब 70 से अधिक हिंदी फिल्मों और 40 से ज्यादा भोजपुरी फिल्मों के साथ ही पंजाबी, गुजराती और राजस्थानी सिनेमा में भी काम किया है। ‘लोफर’, ‘हंगामा’, ‘हलचल’, ‘एतराज’ और ‘जुड़वा 2’ जैसी फिल्मों में उनके छोटे लेकिन प्रभावशाली किरदारों ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया।
वहीं, पंजाबी सिनेमा में ‘जट्ट एंड जूलियट’ और ‘डिस्को सिंह’ जैसी फिल्मों में उनकी मौजूदगी ने उन्हें क्षेत्रीय सिनेमा में भी लोकप्रिय बनाया। साल 2024 में उपासना ने 14 साल बाद भोजपुरी सिनेमा में ‘सास सरकार बहू चौकीदार’ से वापसी की, जिसमें वह एक सशक्त सास के किरदार में थीं।
इसके अलावा, स्टार प्लस के बच्चों के पसंदीदा शो ‘सोनपरी’ में ‘काली परी’ के नकारात्मक किरदार ने भी उन्हें खूब सुर्खियां दिलाईं। “शैतान से जन्मी, अंधेरों में पली, कहते हैं सब मुझको काली परी” यह डायलॉग आज भी बच्चों के जेहन में ताजा है।
उन्होंने ‘मायका’, ‘राजा की आएगी बारात’, ‘बानी-इश्क दा कलमा’ और ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ के साथ ‘जीजा जी छत पर हैं’ जैसे सीरियल्स में भी उनकी एक्टिंग को सराहा गया।
श्रीदेवी की फैन हैं उपासना
उपासना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह श्रीदेवी की फैन हैं और ‘जुदाई’ में काम करने के लिए उन्होंने खुद निर्देशक राज कंवर से संपर्क किया था।
50 साल की उम्र में भी उपासना सिंह की ऊर्जा और जुनून में कोई कमी नहीं है। हाल ही में उन्होंने पंजाबी फिल्म ‘बाई जी कुट्टन गै’ का निर्देशन किया, जिसके लिए वह मिस यूनिवर्स हरनाज कौर संधू के खिलाफ कानूनी विवाद में भी उलझीं। उपासना ने हरनाज पर फिल्म के प्रमोशन के लिए समय नहीं देने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था।
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