1. आपके घर में आई पहली साइकिल की क्या कहानी है?
2. मूवी के लिए पैसे नहीं अच्छे कंटेंट की जरूरत
यशपाल वर्मा ने कहा कि शार्ट मूवी के लिए पैसे नहीं अच्छे कंटेंट की जरूरत है। पहली बार नागपुर में एक फिल्म फेस्टिवल में निर्णायक बनकर गया था। वहीं मेरी मुलाकात राजकुमार हिरानी से हुई थी। एक फिल्म मुझे आज भी याद है कि मोबाइल से वन शाट और जीरो बजट में बनी थी।
लाल किला की फोटो पूरी तरह तरह से ब्लैक, सिर्फ लाल किला पढ़ सकते हैं। इसी तरह ताज महल, एफिल टावर, चीन की दीवार जैसी जगहों की नाम लिखा था, लेकिन उन्हें देखा नहीं जा सकता था।
कुछ देर बाद एक-एक मैसेज था नेत्रदान करों। इस फिल्म को भी मैं प्रथम स्थान दिया, राजकुमार हिरानी ने भी प्रथम स्थान पर मूवी को रखा था। अच्छी मूवी के लिए पावर, पैसों की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिक दिमाग है, अच्छा कंटेंट है तो मूवी अपना स्थान बना लेगी।
3. पैसों को तवज्जे नहीं दिए, इस वजह से फिल्म ने जीते 100 से ज्यादा अवार्ड
यशपाल शर्मा बताते हैं कि हरियाणवी फिल्म दादा लखमी बना रहा था। ये कहानी लोक गायक पर आधारित है। पड़ाव के आधार पर कलाकारों की जरूरत थी। बहुत सारे लोगों ने कहा कि आपका बेटा अच्छा रोल निभा सकता है।
मुझे पता था कि मेरा बेटा कभी गांव में रहा नहीं, उसे इसकी समझ ही नहीं है। एक बड़े निर्देशक ने मुझे पांच करोड़ का आफर दिया कि मेरे बेटे को रोल में रख लो। मैंने पैसे को तवज्जो नहीं दिया।
मैंने गांव के बच्चे को मूवी में लिया। अब तक मूवी 106 से ज्यादा नेशनल, इंटरनेशनल और क्षेत्रीय फिल्म अवार्ड जीत चुकी है, इसलिए जो भी काम करो अच्छे से करो, बीच का रास्ता मत निकालो।
4. जो अच्छा लगे वही करो, तभी मिलती है सफलता
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6. कला पैसों से नहीं खरीद सकते
7. स्कूलों में थिएटर की पढ़ाई होना चाहिए
यशपाल शर्मा कहते हैं कि स्कूलों में थिएटर की पढ़ाई होना चाहिए। थिएटर से भाईचारा, टीम वर्क, सोच, नेतृत्व क्षमता बढ़ती है। मेरा फिलमों में आने का सपना नहीं था। मैं थिएटर करना चाहता था, लेकिन फिर सोचा जब कलाकारी ही करना है तो बड़े पर्दे पर क्यों न करूं, जहां चार सौ की जगह चार करोड़ लोग देखें।
8. तीन दिन कलाकारों के लिए गोल्डन चांस
एनएसडी पढ़ाई के तीन वर्ष को हम गोल्डन समय मानते हैं, इसी तरह तीन दिवसीय जागरण फिल्म फेस्टिवल कलाकारों के लिए गोल्डन चांस है। ऐसा सिनेमा देखने को कहां मिलता है। जागरण फिल्म फेस्टिवल आपको मौका दे रहा है। इस मौके को भुनाना चाहिए।
एनएसडी पास होने के तुरंत बाद एक डाक्टर की मौत मूवी देखी थी, मुझे पता चला कि एक डाक्टर की मौत मूवी दिखाई जाएगी। मैं दोपहर की जगह सुबह की फ्लाइट से आया। सुबह साढ़े दस बजे से मूवी देख रहा हूं।
बहुत अच्छी मूवी है। आज भी हमारा सिस्टम वैसे ही है। कुछ नहीं बदला। एक बड़ी सुनामी आएगी, जब सबकुछ मिट जाएगा तो हो सकता है समाज बदल जाए।
9. एक्टिंग की सबसे बड़ी टीचर मां थी
उन्होंने कहा कि ऐसा झूठ जो सच लगे, वही कलाकारी है। एक्टिंग की सबसे बड़ी टीचर मेरी मां थी, जब भी झूठ बोलता, मां बोलने लगती कि तुम्हारी आंखें बता रही है कि तुम झूठ बोल रहे हो। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सिनेमा को मैंने ही चुना हूं।
मुझे लगता है कि लेखक को सबसे ज्यादा अहमियत मिलना चाहिए। हालीवुड में मिलता है। कास्टिंग और राइटिंग अच्छी हो जाए तो फिल्म का आधे से ज्यादा काम हो जाता है, सबसे ज्यादा ही अपेक्षित है। सबसे कोने में खड़े रहते हैं।
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