सुबह थे 20 रुपये शाम तक हो गए करोड़ों; देशभर की 19 जगहों से साइबर ठगों के बैंक खाते में आई रकम

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नोएडा सेक्टर-46 में रहने वाले एक रिटायर्ड बैंककर्मी को डिजिटल अरेस्ट करने के बाद निजी बैंक के जिस खाते में ठगों ने लाखों की रकम ट्रांसफर कराई, जब उस खाते की जांच की गई तो कई चौंकाने वाली जानकारी मिलीं।

नोएडा सेक्टर-46 में रहने वाले एक रिटायर्ड बैंककर्मी को डिजिटल अरेस्ट करने के बाद निजी बैंक के जिस खाते में ठगों ने लाखों की रकम ट्रांसफर कराई, जब उस खाते की जांच की गई तो कई चौंकाने वाली जानकारी मिलीं। ठगी की रकम जिस आईसीसीआई बैंक के खाते में गई, उसमें सुबह 9 बजे के करीब महज 20 रुपये थे। कुछ ही घंटे में इसमें करीब साढ़े चार करोड़ की रकम देशभर के 19 स्थानों से आ गई।

यह रकम कुछ ही मिनट में 81 जगह आरटीजीएस और यूपीआई के माध्यम से भेज दी गई। आंशका है कि खाते में आई सारी रकम डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की थी। नोएडा के सेक्टर-46 में बैंक के एक रिटायर्ड अधिकारी रहते हैं। सोमवार दोपहर में उनके नंबर पर एक फोन आया और फोन करने वाले ने खुद को मुंबई से सीबीआई अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ जांच चल रही है। उनकी आईडी पर एक पार्सल भेजा गया है, जिसमें 17 फर्जी पासपोर्ट मिले हैं, 58 एटीएम कार्ड जारी हुए हैं। 140 ग्राम एमडीएमए (ड्रग्स) की तस्करी में भी उनका नाम है।

इसकी पुष्टि के लिए आरोपी ने मुंबई अंधेरी के कोर्ट के कागजात भी दिखाए और सीबीआई के विशेष अधिकारी का पहचान पत्र भी दिखाया। आरोपी ने उन्हें वीडियो कॉल पर लेकर करीब 3 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान उन्हें दबाव में लेकर उनके बैंक खाते से 8 लाख रुपये फंड लीगलाइजेशन के नाम पर अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए और इसके लिए उन्हें एक फार्म भी जारी किया गया, जिस पर आरबीआई के गर्वनर के फर्जी हस्ताक्षर थे और मुहर लगी थी। डिजिटल अरेस्ट के दौरान जालसाजों ने उन्हें किसी से भी बात करने या कुछ बताने से मना किया था।

मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इसकी पूरी संभावना है कि ईश्वर फाइनेंस नाम के जिस खाते में रकम गई, वह या तो किराये का खाता होगा या फिर ठगी के लिए खोला गया होगा। रकम एक ही बैंक में ट्रांसफर होते रहने से इसे फ्रीज कराने में आसानी होती है। ऐसे में ठगों ने साजिश के तहत सेंट्रल बैंक के खाते से पहले आईसीआईआई बैंक में रकम ट्रांसफर की। उसके बाद इसे देश के अलग-अलग हिस्से में आरटीजीएस किया। अब पुलिस आरटीजीएस नंबर और बैंक के नाम का पता लगा रही है ताकि आगे की कार्रवाई कर रकम को फ्रीज कराया जा सके।

ठग कई बार रकम को क्रिप्टो और गिफ्ट कार्ड के जरिये भी निकाल लेते हैं। कई बार किसी सामान की खरीदारी भी की जाती है और बाद में ऑर्डर कैंसिल कर दिया जाता है। इससे भी ठगी की रकम ठगों के पास ही लौटकर आ जाती है। इस समय डिजिटल अरेस्ट कर जितनी भी ठगी के मामले आ रहे हैं, उसमें राजस्थान और महाराष्ट्र के खातों का इस्तेमाल हो रहा है। इनकी जांच की जा रही है।

यह धोखाधड़ी करने का तरीका है, जो साइबर ठग अपनाते हैं। इसके जरिए जालसाज कभी गैर कानूनी सामान का पार्सल भेजे जाने तो कभी बैंक अकाउंट से गैर कानूनी ट्रांजेक्शन होने की बात कह कर लोगों को डराते हैं। मामला दर्ज होने और गिरफ्तारी का भी भय दिखाते हैं। जब कोई इनके जाल में फंस जाता है तो ये उस शख्स से पुलिस अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के जरिए बात करते हैं और उसे उसके घर में ही बंधक बना लेते हैं। अपराधी इस दौरान पीड़ित को वीडियो कॉल से हटने भी नहीं देते और ना ही किसी को कॉल करने देते हैं।

पार्सल में ड्रग्स होने का डर दिखाया

सबसे पहले पीड़ित के पास अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने बताया कि एक पार्सल में ड्रग्स समेत अन्य आपत्तिजनक है। इसमें पीड़ित के आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद स्कॉइप कॉल के जरिये बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट किया गया और कॉल कथित सीबीआई, मुंबई पुलिस समेत अधिकारियों को ट्रांसफर की गई। कथित अधिकारियों ने बताया कि पीड़ित का नाम, जिस मामले में सामने आया है, वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। अगर उसने कॉल संबंधी कोई जानकारी साझा की तो उसे जेल जाने से कोई नहीं रोक पाएगा।

गिरफ्तारी वारंट और कुर्की की कॉपी भी भेजी

पीड़ित के अंदर डर पैदा करने के लिए जालसाजों ने कस्टम का अधिकारी बताकर पहले मामले की रिपोर्ट दर्ज होने की फाइल भेजी। इसके बाद गिरफ्तारी वारंट और कुर्की की कॉपी भी भेजी। गोपनीय समझौता नामा और सीबीआई का पहचान पत्र भी इस दौरान पीड़ित बुजुर्ग के पास भेजा गया। जो पहचान पत्र भेजा गया, वह किसी अनिल यादव के नाम पर था और उसका पद सीबीआई में स्पेशल ऑफिसर का था। एजेंट कोड और पहचान पत्र जारी होने की भी जानकारी दी गई ताकि पीड़ित को विश्वास दिलाया जा सके।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट

यह धोखाधड़ी करने का तरीका है, जो साइबर ठग अपनाते हैं। इसके जरिए जालसाज कभी गैर कानूनी सामान का पार्सल भेजे जाने तो कभी बैंक अकाउंट से गैर कानूनी ट्रांजेक्शन होने की बात कह कर लोगों को डराते हैं। मामला दर्ज होने और गिरफ्तारी का भी भय दिखाते हैं। जब कोई इनके जाल में फंस जाता है तो ये उस शख्स से पुलिस अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के जरिए बात करते हैं और उसे उसके घर में ही बंधक बना लेते हैं। अपराधी इस दौरान पीड़ित को वीडियो कॉल से हटने भी नहीं देते और ना ही किसी को कॉल करने देते हैं।

ऐसे बचें

● डराने या धमकाने का कोई कॉल आता है तो तुरंत पुलिस को सूचित करें

● अगर कोई आपको किसी खास एजेंसी का अधिकारी बन बात कर रहा है तो आप उस एजेंसी को कॉल कर मदद मांग सकते हैं

● कॉल के दौरान पैसों के लेनदेन की बात न करें। निजी जानकारी भी साझा ना करें

यहां करें शिकायत

● 1930 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं

● www.cyber crime.gov. in पर सहायता मांग सकते हैं

● सोशल मीडिया साइट एक्स पर @ cyberdost के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं

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