US राजनीति में ट्रंप के खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा? एक्सपर्ट में बहस

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Last Updated:March 18, 2025, 23:47 IST

Raisina Dialogue: रायसीना डायलॉग में “संकटग्रस्त लोकतंत्र” सत्र में ट्रंप के प्रभाव, बाइडेन की कमजोरी और अमेरिकी लोकतंत्र की चुनौतियों पर चर्चा हुई. इस चर्चा में ट्रंप के उदय और चुनौतियों पर बात की गई.

फर्स्टपोस्ट के आइडियाजपॉड में आयोजित “संकटग्रस्त लोकतंत्र” नामक सत्र में चर्चा करते एक्सपर्ट.

हाइलाइट्स

  • रायसीना डायलॉग में ट्रंप के प्रभाव पर चर्चा हुई.
  • विशेषज्ञों ने बाइडेन की कमजोरी पर भी विचार किया.
  • अमेरिकी लोकतंत्र की चुनौतियों पर गहन बहस हुई.

Raisina Dialogue: आधुनिक शासन का स्तंभ माना जाने वाला लोकतंत्र आज अभूतपूर्व चुनौतियों से जूझ रहा है. यह चिंता केवल विकासशील देशों तक सीमित नहीं, बल्कि खुद संयुक्त राज्य अमेरिका की लोकतांत्रिक प्रणाली भी इससे अछूती नहीं है. हालिया चुनाव चक्र ने न केवल राजनीतिक विभाजनों को और गहरा किया है, बल्कि अमेरिकी लोकतंत्र की दिशा पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

फर्स्टपोस्ट के आइडियाजपॉड में आयोजित “संकटग्रस्त लोकतंत्र” नामक सत्र में इसी विषय पर विस्तृत चर्चा हुई. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) द्वारा विदेश मंत्रालय के सहयोग से आयोजित वार्षिक रायसीना डायलॉग के एक भाग के रूप में आयोजित इस सत्र में, विशेषज्ञों ने अमेरिकी राजनीति में ट्रंप के प्रभाव और भविष्य पर प्रकाश डाला.

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ट्रंप की वापसी: क्या यह लोकतंत्र की विफलता है?
ORF के उपाध्यक्ष गौतम चिकरमाने द्वारा संचालित इस सत्र में जेन हॉल लूट, अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एसआईसीपीए, संयुक्त राज्य अमेरिका, और मैक्स अब्राहम्स, राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर, नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी, यूएस, ने भाग लिया. चर्चा की शुरुआत करते हुए, चिकरमाने ने ट्रंप की वापसी के अमेरिकी राजनीति पर पड़ने वाले प्रभावों पर सवाल उठाया.

उन्होंने कहा कि भले ही ट्रंप को बहुमत से कम वोट मिले, लेकिन उन्हें लगभग आधे अमेरिकी मतदाताओं का समर्थन प्राप्त था. उनके अनुसार, अमेरिका गहराई से विभाजित है और पारंपरिक राजनीतिक विचारधाराओं का महत्व कम होता जा रहा है. यह विभाजित मतदाता वर्ग राजनीतिक अस्थिरता को तो बढ़ावा देता है, लेकिन किसी भी ठोस कार्रवाई में बाधा बनता है.

ट्रंप बनाम स्थापना: एक राजनीतिक भूचाल
ट्रंप का उदय जहां एक ओर रिपब्लिकन पार्टी के लिए एक चुनौती थी, वहीं दूसरी ओर डेमोक्रेट्स को पछाड़ने का एक जरिया भी. अब्राहम्स ने इस बात पर सहमति जताई कि ट्रंप के उदय ने रिपब्लिकन पार्टी में एक बड़ा बदलाव लाया है. उनका मानना ​​था कि ट्रंप की अपील पारंपरिक रिपब्लिकन मूल्यों से परे है और उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े मुद्दों, जैसे कि कामकाजी वर्ग का समर्थन, को भी अपनाया है.

हालांकि हाल के समय में ट्रंप के प्रति विरोध का कमजोर होना एक महत्वपूर्ण बदलाव रहा है. अब्राहम्स ने डेमोक्रेटिक पार्टी की घटती लोकप्रियता पर भी प्रकाश डाला. जिसे उन्होंने हाल ही में हुए स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन में भी देखा था.

क्या डेमोक्रेटिक नेतृत्व की कमजोरी ट्रंप की सफलता का कारण है?
यह पूछे जाने पर कि क्या ट्रंप का प्रभुत्व विशिष्ट मुद्दों या बाइडेन के कमजोर नेतृत्व का परिणाम है. अब्राहम्स ने कहा कि इसका कारण बाइडेन का कमजोर नेतृत्व है. उन्होंने कहा कि डेमोक्रेटिक पार्टी के पास ट्रंप के मुकाबले कोई मजबूत विकल्प नहीं है.

अब्राहम्स ने बताया कि डेमोक्रेटिक पार्टी में कुछ करिश्माई नेता हैं, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर जीत हासिल करने में सक्षम नहीं माना जाता है. उनका मानना ​​है कि ट्रंप की जीत का एक प्रमुख कारण उनके मुकाबले एक मजबूत विकल्प की कमी है.

अमेरिकी राजनीतिक निराशा के पीछे क्या है?
लूट ने एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए कहा कि ट्रंप के उदय के पीछे की निराशा केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा कि यह एक वैश्विक चिंता है, जो व्यापार, बैंकों, बाजार, मीडिया और सरकारों में व्याप्त अविश्वास से उपजी है.

यह वैश्विक निराशा अलग-अलग देशों में अलग-अलग रूपों में सामने आई है, और अमेरिका में इसने ट्रंप के उदय का मार्ग प्रशस्त किया. उन्होंने कहा कि ट्रंप ने कई मोर्चों पर ऐसे फैसले लिए जो उनके समर्थकों और विरोधियों, दोनों को पसंद नहीं आये.

पूंजीवाद बनाम लोकतंत्र: क्या टकराव टाला जा सकता है?
जब चिकरमाने ने पूछा कि क्या पूंजीवाद लोकतंत्र के लिए खतरा बन गया है, तो अब्राहम्स ने स्वीकार किया कि आर्थिक असमानता ने ट्रंप की सफलता में योगदान दिया है. ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीतियां, जिनमें उनके विवादास्पद टैरिफ भी शामिल हैं, उनके समर्थन आधार के साथ प्रतिध्वनित होती हैं.

लूट ने इस बात पर जोर दिया कि कई अमेरिकियों को लगता है कि वैश्विक स्तर पर उनके देश की अनदेखी की जा रही है. उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर वैचारिक बदलाव पर भी ध्यान दिलाया, जहां अवसर की समानता के बजाय परिणाम की समानता पर ज़ोर दिया जा रहा है.

एक परिवर्तनशील प्रणाली
लूट के अनुसार ट्रंप का उदय मतदाताओं के बीच गहरी निराशा का प्रतीक है, लेकिन आर्थिक असमानता, राजनीतिक ध्रुवीकरण और संस्थागत अविश्वास जैसी ताकतें राष्ट्र के भविष्य को आकार देना जारी रखेंगी. लूट ने उम्मीद जताई कि अमेरिकी प्रणाली अंततः खुद को सुधार लेगी. पर सवाल यह है कि क्या अमेरिकी लोकतंत्र केवल संकट से गुजर रहा है या यह एक अपरिवर्तनीय परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है?

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