Last Updated:March 16, 2025, 20:12 ISTहम यहां जिस देश के बारे में आपको बता रहे हैं, उससे भारत का गहरा नाता है. भारत और उस देश के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध हैं. यहां तक पानी और सब्जियों के लिए इसकी भारत पर निर्भरता है. इस देश में हिन्दू यात्रा तो कर सकते हैं लेकिन पूजा नहीं कर सकते. हाइलाइट्समालदीव में हिंदू मंदिर बनाना प्रतिबंधित है.मालदीव का संविधान सभी नागरिकों का मुस्लिम होना अनिवार्य करता है.भारत पर पानी और सब्जियों के लिए निर्भर है मालदीव.नई दिल्ली. दुनिया भर के कई देशों में हिंदू मंदिर बनाए जा सकते हैं, जिनमें कुछ मुस्लिम बहुल देश भी शामिल हैं. दरअसल, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में हिंदू मंदिर हैं, जहां त्यौहार मनाए जाते हैं और बिना किसी बड़ी पाबंदी के पूजा की जाती है. हालांकि, भारत का एक पड़ोसी देश ऐसा भी है जहां हिंदू मंदिर बनाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. वहां काम करने वाले हिंदुओं को सबके सामने पूजा करने की छूट भी नहीं है. वो छुपछुपा के पूजा करते हैं.
ये जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि ये देश कभी हिंदू और बौद्ध धर्म के लोगों का घर हुआ करता था. लेकिन आज हिंदू मंदिरों को अनुमति नहीं देता है. भारत के साथ उतार-चढ़ाव भरे संबंधों के बावजूद, यह देश पानी और सब्जियों जैसी आवश्यक आपूर्ति के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर है.
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किस देश में मंदिर बनाने की अनुमति नहींतो, जिस देश की बात हम यहां कर रहे हैं,वह मालदीव है. मालदीव के संविधान के अनुसार, सभी नागरिकों का मुस्लिम होना जरूरी है. देश में गैर-इस्लामिक धार्मिक प्रथाओं, प्रतीकों और पूजा स्थलों के खिलाफ सख्त कानून हैं, जिससे वहां हिंदू मंदिर बनाना असंभव है.
मालदीव में हिंदू मंदिरों की अनुमति क्यों नहीं है?सख्त संवैधानिक, कानूनी और धार्मिक नीतियों के कारण मालदीव में हिंदू मंदिर नहीं बनाए जा सकते. मालदीव का संविधान, जिसे 2008 में संशोधित किया गया था, देश को 100% इस्लामी राष्ट्र घोषित करता है. अनुच्छेद 9 के अनुसार, केवल मुसलमान ही मालदीव के नागरिक हो सकते हैं और किसी भी गैर-इस्लामी धर्म का प्रचार, प्रसार या सार्वजनिक प्रदर्शन सख्त वर्जित है. इसका मतलब है कि मालदीव में हिंदू मंदिर, चर्च, गुरुद्वारे या कोई अन्य गैर-इस्लामी पूजा स्थल नहीं बनाए जा सकते.
मालदीव कभी हिंदू-बौद्ध देश थाऐतिहासिक रूप से, मालदीव हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म से प्रभावित था. 12वीं शताब्दी तक, मालदीव के राजा और आम जनता इन धर्मों का पालन करते थे. हालांकि, अरब व्यापारियों और सूफी प्रचारकों के आने के बाद, मालदीव के शासकों ने इस्लाम धर्म अपना लिया. इसके तुरंत बाद, पूरी आबादी ने इस्लाम अपना लिया और देश आधिकारिक तौर पर 1153 ई. में एक इस्लामिक राज्य बन गया.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 16, 2025, 20:10 ISThomebusinessइस देश में मंदिरों पर प्रतिबंध है, पूजा करने पर हो सकती है जेल, नाम है…
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