मेवाड़ राजघराने के पूर्व सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का (81) वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे, जिनका उन्हीं के निवास में इलाज चल रहा था। उन्होंने 16 मार्च रविवार को अंतिम सांस ली। अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद पूरे मेवाड़ मे शोक की लहर दौड़ गई। 17 मार्च सोमवार को सुबह 7 बजे से 11 बजे तक उनके पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा जायेगा, उसके बाद दोपहर 11 बजे उनकी डोल यात्रा निकाली जाएगी, जो शंभू निवास से प्रारंभ होकर बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार और देहली गेट होती हुई महासतिया पहुंचेगी। जहां राजशाही परंपरा को निभाते हुए अंतिम क्रिया की जाएगी।
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अरविंद सिंह मेवाड़
– फोटो : सोशल मीडिया
राजपारिवार के बीच वर्षों पुराना है संपत्ति का विवाद
महेन्द्र सिंह मेवाड़ और उनके छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच विवाद करीब 70 साल पुराना है। जब वर्ष 1955 मे मेवाड़ के भगवत सिंह महाराणा बने थे। उसके बाद से ही संपत्ति को लेकर यह विवाद शुरू हो गया था। जब भगवत सिंह ने मेवाड़ में अपनी पैतृक संपत्तियों को बेचना या लीज पर देना शुरू किया तो यह बात उनके बड़े बेटे महेंद्र सिंह को पसंद नहीं आई। अपने पिता से नाराज होकर महेंद्र सिंह ने उनके खिलाफ एक केस दायर कर दिया और पैतृक संपत्तियों को हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत बांटने की मांग करने लगे।
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अरविंद सिंह मेवाड़
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महेन्द्र सिंह द्वारा संपत्ति के विवाद को कोर्ट तक ले जाने के बाद भगवत सिंह ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में छोटे बेटे अरविंद सिंह को संपत्तियों का एक्ज्यूक्यूटर बना दिया और महेंद्र सिंह को ट्रस्ट और संपत्ति से बेदखल कर दिया। दुर्भाग्यवश उसी साल भगवत सिंह का निधन हो गया। बस तब से ही ये विवाद चल रहा है, जिसने कभी महेन्द्र सिंह और अरविंद सिंह को एक नहीं होने दिया। समय के साथ साथ ये विवाद दोनों की संतानों के बीच भी गहरा गया। जिसमें महेन्द्र सिंह के बेटे विश्वराज सिंह और अरविन्द सिंह के बेटे लक्ष्यराज के बीच कभी नहीं बनी।
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राजतिलक के बाद धुणी दर्शन के लिए सिटी पैलेस पहुंचे विश्वराज को प्रवेश नहीं मिला
पिछले वर्ष ही महाराणा भगवत सिंह के बड़े बेटे महेन्द्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे विश्वराज का राजतिलक किया गया था। उसके बाद परंपरा निभाने के लिए विश्वराज अपने समर्थकों के साथ सिटी पैलेस पहुंचे थे, लेकिन लक्ष्यराज ने उस वक्त पैलेस के दरवाजे बंद कर दिए और बाहर भारी पुलिस बल तैनात था। ऐसे में वे अंदर प्रवेश नहीं कर सके। विश्वराज के साथ आये समर्थकों ने पुलिस के बेरीकेट्स भी लांघने की कोशिश की, लेकिन पैलेस में प्रवेश करने में सफल नहीं हो पाए। बाद में सभी पैलेस के बाहर की घंटों बैठे रहे और जिला प्रशासन की माध्यस्थता के बाद अगले दिन धुणी दर्शन को लेकर सहमति बनी।
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विश्वराज के समर्थकों पर पैलेस से हुआ पथराव
महेन्द्र सिंह मेवाड़ और अरविंद सिंह के बीच का विवाद इनके दोनों बेटों के बीच भी इस तरह हावी रहा कि विश्वराज के समर्थकों पर सिटी पैलेस से पथराव तक किया गया। महाराणा प्रताप के वंशजों की सड़क पर हुई इस लड़ाई के बाद पूरा मेवाड़ लज्जित हुआ था। धुणी दर्शन को पैलेस पहुंचे विश्वराज सिंह मेवाड़ और उनके समर्थकों को रोकने के लिए उदयपुर के जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल और पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल भी सिटी पैलेस के गेट पर मौजूद थे। उन्होंने मामले को सुलझाने के लिए विश्वराज और उसके बाद अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे से बात की थी। इस बीच विश्वराज सिंह के कई समर्थक उनके समर्थन में जगदीश चौक पर एकत्र हुए और देर रात सिटी पैलेस के अंदर से पथराव भी हुआ।
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