कचूमर तो आम जनता का ही निकलेगा: ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनिया हिली, मगर कुल सच्चाई इतनी ही

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Last Updated:March 14, 2025, 20:31 ISTअमेरिका के स्टील और एल्युमिनियम टैरिफ ने ग्लोबल सप्लाई चेन को बेशक हिला दिया है. भारतीय समुद्री जहाज को अमेरिका पहुंचने से पहले रास्ते में ही माल उतरना पड़ा. कनाडा, मैक्सिको और चीन जैसे देशों ने प्रतिक्रियाएं द…और पढ़ेंहाइलाइट्सट्रंप के टैरिफ वॉर से महंगाई का बोझ आम लोगों पर पड़ेगा.अमेरिका के स्टील और एल्युमिनियम टैरिफ ने ग्लोबल सप्लाई चेन को हिला दिया.टैरिफ से अमेरिकी उद्योगों को थोड़ा फायदा, लेकिन नौकरियां खतरे में.एक भारतीय समुद्री जहाज पर सैकड़ों टन एल्युमिनियम लदा था. वह अमेरिका जा रहा था. बीच रास्ते में वह टाम्पा बे की बंदरगाह पर रुका. इस एल्युमिनियम का इस्तेमाल खिड़कियों, ट्रक के पुर्जों और कई अन्य उत्पादों के लिए होना था. लेकिन जहाज को अलबामा और ह्यूस्टन जाने के बजाय वहीं सारा माल उतारना पड़ा. जानते हैं क्यों? क्योंकि अमेरिका ने स्टील और एल्युमिनियम पर नए टैरिफ (शुल्क) लगा दिए थे. यह घटना सिर्फ एक समुद्री जहाज की नहीं, बल्कि बड़े कैनवास पर देखा जाए तो पूरी दुनिया के ट्रेड और इकॉनमी को प्रभावित करने वाली बड़ी कहानी का लेश मात्र हिस्सा है.

स्टील और एल्युमिनियम हमारे दैनिक जीवन का अहम हिस्सा हैं. ये धातुएं कारों, इमारतों, पुलों, पैकेजिंग और यहां तक कि स्मार्टफोन्स में भी इस्तेमाल होती हैं. अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा स्टील आयातक है. उसकी 90% एल्युमिनियम की जरूरत आयात से पूरी होती है. लेकिन जब अमेरिका ने स्टील और एल्युमिनियम जैसे मेटल पर 25% टैरिफ लगाया, तो पूरी दुनिया में व्यापार जगत में खलबली मचना तय था और ऐसा हुआ भी.

किस-किस पर टैरिफ का असर, कौन प्रभावितटैरिफ का सबसे पहला असर व्यापारिक कंपनियों पर पड़ा. जहाजों को अपना माल जल्दी उतारना पड़ा, और कंपनियों ने महंगे भाड़े वाले ट्रकों से माल पहुंचाने का फैसला लेना पड़ा. उदाहरण के लिए, फोर्ड जैसी कार कंपनियों ने चेतावनी दी कि इस टैरिफ से उनकी लागत बढ़ जाएगी, जिसका असर कारों की कीमतों पर पड़ेगा. मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भी स्टील और एल्युमिनियम की बढ़ती कीमतों से जूझना पड़ा.

आम लोगों पर भी इसका असर पड़ा. कारों, घरों और यहां तक कि डिब्बाबंद खाने के डब्बों की कीमतें बढ़ गईं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में स्टील की कीमतें 2023 में 30% बढ़ गईं, और एल्युमिनियम की कीमतों में भी उछाल आया. यहां समझने और नोट करने लायक एक बात यह है कि इन टैरिफ की मार असल में तो आखिरी कंज्यूमर पर ही पड़ेगी. कंपनियां महंगी कीमतों का बोझ नहीं झेल सकतीं, इसलिए जो भी बोझ उन पर पड़ेगा, वे उसे सीधा ग्राहक पर डालने का काम करेंगी. ज्यादा टैरिफ लगाकर बेशक अमेरिकी प्रशासन अधिक पैसा जुटा लेगा, लेकिन उसका बोझ अमेरिका की जनता पर ही पड़ेगा. मतलब काम को सीधा पकड़ लें या फिर हाथ घुमाकर. ट्रंप हाथ घुमाकर कान पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

कनाडा से लेकर चीन तक से आई प्रतिक्रियामनीकंट्रोल ने ब्लूमबर्ग के हवाले से लिखा- अमेरिका को स्टील और एल्युमिनियम का सबसे ज्यादा निर्यात कनाडा और मैक्सिको करते हैं. इसलिए ये दोनों देश सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. कनाडा की कंपनी अल्गोमा स्टील ने तुरंत अपनी डिलीवरी रोक दी और अमेरिका को माल भेजना बंद कर दिया. मैक्सिको ने भी जवाबी कदम उठाने की धमकी दी.

चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक है. उसने अपना माल यूरोप और एशिया के बाजारों में भेजना शुरू कर दिया है. इससे यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे देशों ने भी अपने बाजारों को सुरक्षित करने के लिए नए नियम बनाए. संभव है कि चीन अपना माल एशियाई देशों में डंप करने की कोशिश करे, क्योंकि उसे तो अपना माल बेचना ही है. यदि भारत में ऐसा होता है तो भारत की स्टील मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां प्रभावित हो सकती हैं.

क्या टैरिफ ने अमेरिका को फायदा पहुंचाया?ट्रंप का कहना था कि यह टैरिफ अमेरिकी उत्पादकों को मदद देगा. कुछ हद तक यह सच भी हुआ. अमेरिकी स्टील कंपनियों के शेयर बढ़े. सेंचुरी एल्युमिनियम जैसी कंपनियों ने मुनाफा कमाया. लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि अमेरिका में स्टील उत्पादन क्षमता का केवल 75 फीसदी ही इस्तेमाल हो रहा है. यानी, अमेरिकी कंपनियां पहले से ही पूरी क्षमता से काम नहीं कर रही थीं. अमेरिकी कंपनियों को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए बार-बार ट्रंप द्वारा कहा गया है.

विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ से अमेरिकी उद्योगों को थोड़ा फायदा हुआ, लेकिन आम लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ी. एक रिपोर्ट के मुताबिक, टैरिफ के कारण अमेरिका में 1 लाख से ज्यादा नौकरियां खतरे में पड़ गईं.

सबसे बड़ा सवाल- ट्रेड वॉर में जीत किसकी?ट्रेड वॉर में कोई नहीं जीतता. अमेरिका के टैरिफ ने ग्लोबल सप्लाई चेन को हिला दिया है, और कई देशों ने जवाबी कदम भी उठाए. इससे न सिर्फ ट्रेड प्रभावित हुआ, बल्कि आम लोगों को भी महंगाई का सामना करना पड़ा. कुछ लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा या पड़ सकता है. जैसा कि एक विशेषज्ञ ने कहा, “टैरिफ का असर अंत में आम आदमी पर पड़ता है. चाहे वह कार खरीदने वाला हो या घर बनाने वाला, हर कोई इसकी कीमत चुकाता है.”
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :March 14, 2025, 20:29 ISThomebusinessकचूमर तो आम जनता का ही निकलेगा: ट्रंप के टैरिफ वॉर की यही है सच्चाई

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