CM Yogi Poster in Nepal: नेपाल के काठमांडू में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में आयोजित राजशाही समर्थक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें दिखाए जाने के बाद अब राजनीतिक विवाद खड़ा हो चुका है. रैली का उद्देश्य नेपाल में राजशाही की बहाली के लिए समर्थन प्रदर्शित करना था. हवाई अड्डे के बाहर सड़क के दोनों ओर ज्ञानेंद्र की तस्वीर और राष्ट्रीय ध्वज लिए मोटरसाइकिलों पर सवार सैकड़ों समर्थकों ने उनका स्वागत किया. कुछ समर्थकों ने ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ आदित्यनाथ की तस्वीर भी दिखाई.
ओली के समर्थकों ने कहा- भारत की साजिश
नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता के बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पोस्टर ने वहां अलग मुद्दा खड़ा कर दिया है. योगी आदित्यनाथ को नेपाल के राजघराने का करीबी माना जाता है. इस समय नेपाल के केपी ओली की सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण बैकफुट पर हैं, ऐसे में ज्ञानेंद्र शाह की इस रैली को सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. सीएम योगी के पोस्टर को लेकर ओली के समर्थकों ने कहा कि इसके पीछे भारत का हाथ है. वहीं ज्ञानेंद्र के समर्थक दलों ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि आदित्यनाथ के पोस्टर लगाए गए हैं और इसे ओली सरकार की साजिश बताया.
राजशाही समर्थकों ने क्या कहा?
रैली के आयोजकों ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ के पोस्टर के इस्तेमाल की न तो आधिकारिक मंजूरी थी और न ही उन्हें इसके बारे में पता था. रैली में केवल राष्ट्रीय ध्वज और ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीर का उपयोग करने का निर्देश दिया गया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व मंत्री और राजशाही समर्थक दीपक ग्यावली ने कहा, “हम इतने कमजोर नहीं है कि हमें अपने जुलूस में किसी विदेशी नेता की तस्वीर का इस्तेमाल करना पड़े. उन्होंने कहा कि कम्युनिस्टों की ओर पार्टी ऑफिस में मार्क्स, लेनिन, माओ आदि की तस्वीरें लगाने के बारे में क्या कहा जाए?”
नेपाल के राजपरिवार और गोरखनाथ मठ के बीच संबंध
नेपाल के राजपरिवार और गोरखपुर के गोरखनाथ मठ के बीच गहरा संबंध है, क्योंकि माना जाता है कि शाह वंश को गुरु गोरखनाथ का आशीर्वाद प्राप्त था. इस समय गोरखनाथ मठ के प्रमुख सीएम योगी आदित्यनाथ हैं. ज्ञानेंद्र शाह की रैली के मुख्य आयोजक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगडेन ने कहा, “हमें इसके (आदित्यनाथ पोस्टर) के बारे में नहीं पता, लेकिन हम जो जानते हैं और सम्मान करते हैं, वह यह है कि राजा ज्ञानेंद्र का गोरखनाथ मठ के साथ आस्था और सम्मान का गहरा संबंध है.
ज्ञानेंद्र ने जनवरी में उत्तर प्रदेश की अपनी यात्रा के दौरान कथित तौर पर आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. पूर्व राजा के समर्थक पिछले कुछ दिनों से काठमांडू और पोखरा सहित देश के विभिन्न हिस्सों में रैली कर रहे हैं और 2008 में जन आंदोलन के बाद समाप्त की गई राजशाही को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं.
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