हमास के समर्थन में प्रदर्शन पड़ा छात्रा को भारी, वीजा रद्द; US में विदेशी छात्रों की बढ़ी टेंशन

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Trump Administration Revokes Student Visa: अमेरिका में पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन हाल ही में ट्रंप प्रशासन की ओर से विदेशी छात्रों के वीजा निरस्तीकरण की घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है.  कैलिफोर्निया में एक चीनी छात्रा लियू लिजुन का वीजा फिलिस्तीन समर्थक रैली में भाग लेने के कारण रद्द कर दिया गया, जिससे राजनीतिक सक्रियता में भाग लेने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए नए खतरे सामने आए हैं.

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 29 जनवरी, 2025 को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया था, जिसका उद्देश्य कॉलेज परिसरों में यहूदी-विरोधी घटनाओं और फिलिस्तीन समर्थक सक्रियता को नियंत्रित करना है.

इस आदेश के मुख्य बिंदु
1.फिलिस्तीन समर्थक गतिविधियों में शामिल अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर कड़ी निगरानी.
2.शिक्षा, राज्य और होमलैंड सुरक्षा विभागों को विदेशी छात्रों की राजनीतिक गतिविधियों पर रिपोर्ट देने का अधिकार.
3.आवश्यकता पड़ने पर वीजा निरस्तीकरण या निर्वासन की कार्रवाई.

लियू लिजुन का मामला इसी आदेश के तहत पहली बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है. इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से $400 मिलियन की संघीय फंडिंग वापस ले ली, क्योंकि यह परिसर हाल के दिनों में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों का केंद्र बन गया था.

क्या भारत के छात्रों पर इसका असर पड़ेगा?
भारत अब अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अग्रणी देश बन चुका है. 331,602 भारतीय छात्र वर्तमान में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में नामांकित हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 23% ज्यादा है. हालांकि, भारतीय छात्र आमतौर पर एकेडमिक और प्रोफेशनल ऑब्जेक्टिव्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन अगर अमेरिकी सरकार विदेशी छात्रों की राजनीतिक गतिविधियों की सख्ती से जांच करने लगे तो यह छात्र वीजा प्रक्रिया को और पेचीदा बना सकता है.

ट्रंप प्रशासन की आलोचना
डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और कांग्रेसमैन जेरी नैडलर ने ट्रंप प्रशासन की नीति की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा,”अगर ट्रंप प्रशासन यहूदी-विरोधी भावना के बारे में इतना ही गंभीर होता, तो वे अपने रैंकों में बेबाक यहूदी-विरोधियों को शामिल नहीं करते.” यह तर्क दिया जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन का असली उद्देश्य यहूदी विरोध को खत्म करना नहीं, बल्कि विश्वविद्यालयों पर अपने एजेंडे को थोपना है. इसके अलावा, अमेरिकी विश्वविद्यालयों को वित्तीय दबाव में डालने की रणनीति से यह संकेत मिलता है कि राजनीतिक रूप से असहमत कैंपसों को आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सकता है. हालांकि अभी तक किसी भारतीय छात्र का वीजा निरस्त नहीं किया गया है, लेकिन नई नीतियां भारतीय छात्रों को भी प्रभावित कर सकती हैं.

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