Fake Call Centre Busted: तेलंगाना साइबर सुरक्षा ब्यूरो (टीजीसीएसबी) ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो हैदराबाद के हाई-टेक सिटी के एक फर्जी कॉल सेंटर के सहारे अमरीकियों और अन्य विदेशियों को ठग रहा था. पुलिस ने गिरोह का भंडा फोड़ करते हुए 22 महिलाओं सहित कुल 63 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार लोगों में ज्यादातर पूर्वोत्तर राज्यों के युवक और युवतियां शामिल हैं.
आरोपी संदिग्ध ‘एक्सिटो सॉल्यूशंस’ नाम से एक फर्जी कॉल सेंटर चलाते थे और अमेरिका में पेपाल उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाते थे. वे EYEBEAM और X-LITE जैसे लेटेस्ट सॉफ्टवेयर का उपयोग करके फ़िशिंग ईमेल भेजते थे और लोगों को यह दावा करके डराते थे कि PayPal खाते हैक हो गए हैं या अनधिकृत लेनदेन हुए हैं. इस तरह, पेपाल यूजर्स के बैंक डेटा इकट्ठा किए गए और उनके खातों से पैसे चुरा लिए गए.
प्रमुख संदिग्ध और अंतर्राष्ट्रीय संबंध
इस धोखाधड़ी रैकेट का मुख्य आरोपी गुजरात की चंदा मनस्विनी है, जो हैदराबाद में ‘एक्सिटो सॉल्यूशंस’ कॉल सेंटर चलाती है. उसके साथ कैवन पटेल, राहुल उर्फ प्रतीक और जाधू भाई जैसे लोग भी इस धोखाधड़ी में शामिल थे. उन्होंने PayPal से हैक किए गए डेटा का उपयोग करके अमेरिका में उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाया.
मोडस ऑपरेंडी
आरोपी, एक्सिटो सॉल्यूशंस के नकली कॉल सेंटर में काम करते हुए, पेपाल के ग्राहक सेवा प्रतिनिधियों के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करते थे ताकि पीड़ितों को धोखा दे सकें. इस साइबर धोखाधड़ी ऑपरेशन के पीछे के मास्टरमाइंड के रूप में कैवन पटेल रूपेश कुमार, उर्फ जद्दू/जादू भाई, निवासी गुजरात की पहचान की गई है. वह इस रैकेट को अपने बड़े भाई, विक्की, जो दुबई में रहते हैं और अजाद के साथ संचालित कर रहा था. ये व्यक्ति पेपाल से चोरी किए गए ग्राहक डेटा प्रदान करने और संयुक्त राज्य अमेरिका में म्यूल बैंक खातों की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार थे, जिनका उपयोग धोखाधड़ी से प्राप्त धन को प्राप्त करने के लिए किया जाता था. उन्होंने अवैध धन को क्रिप्टो करेंसी में बदल दिया.
जांच से पता चला है कि पूरा नेटवर्क जादू भाई और राहुल, प्रतीक के नियंत्रण में था, जो हैदराबाद निवासी एक्सिटो सॉल्यूशंस की प्रबंध निदेशक चंदा मंसवानी के निगरानी में थे. संगठन टीम लीडर्स संजू, जेम्स, और प्रवीण के साथ समन्वय में काम करता था, जो पीड़ितों को धोखाधड़ी भुगतान करने के लिए मनाने में विशेषज्ञ थे.
इन व्यक्तियों की भर्ती सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे लिंक्डइन, इंस्टाग्राम और फेसबुक का उपयोग करके की गई थी, जहां उन्हें “कॉल सेंटर” में काम करने के लिए 30,000 रुपये वेतन का वादा किया गया था. हालांकि, भर्ती होने के बाद, उन्हें साइबर धोखाधड़ी करने के लिए धोखाधड़ी तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया था.
तलाशी और जब्ती
टीजीसीएसबी की तलाशी के दौरान आरोपियों से 63 लैपटॉप, 52 मोबाइल फोन और 27 आईडी कार्ड जब्त किए गए. इस कॉल सेंटर का इस्तेमाल विदेशियों को धोखा देने और उनके बैंक खातों से पैसे चुराने के लिए किया जाता था. जहां टीजीसीएसबी ने जनता को सतर्क रहने और ऐसे साइबर घोटालों का शिकार होने से बचने की सलाह दी है वहीं अन्य संदिग्धों की पहचान करने के लिए आगे की जांच जारी है.
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