कर्नाटक हाईकोर्ट ने बेंगलुरु की जैन यूनिवर्सिटी के सात छात्रों के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया. यह मामला एक नाटक को लेकर दर्ज किया गया था. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि ये नाटक व्यंग्यपूर्ण था और दलित समुदाय के प्रति अपमानजनक और भेदभावपूर्ण है, साथ ही डॉक्टर बीआर अंबेडकर की छवि को भी नुकसान पहुंचाया गया.
छात्रों ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने मामला रद्द करने का आदेश देते हुए कहा कि छात्रों का नाटक व्यंग्यात्मक था और उसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय के सदस्यों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने की मंशा नहीं थी. अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा कि प्राथमिकी एससी/एसटी समुदाय के किसी सदस्य की ओर से दर्ज नहीं कराई गई थी और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि छात्रों ने जानबूझकर दलित समुदाय के सदस्यों को अपमानित या धमकाने की कोशिश की थी.
जस्टिस एस आर कृष्ण कुमार ने कहा कि यूनिवर्सिटी के इवेंट के दौरान प्रस्तुत किया गया नाटक व्यंग्य/मनोरंजन के अंतर्गत आता है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत संरक्षित है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि मामले को जारी रखने की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा. यह मामला फरवरी 2023 का है, तब कर्नाटक हाईकोर्ट ने जैन विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन केंद्र के छात्रों के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी थी.
पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकी में 20 से 21 वर्ष की आयु के छात्रों के साथ-साथ दो संकाय सदस्यों, निदेशक नीलकांत बोरकर और सहायक प्रोफेसर प्रवीण थोकदार को भी नामजद किया गया था.
यह विवाद तब शुरू हुआ, जब थिएटर ग्रुप ‘द डेलरॉयज बॉयज’ के छात्रों ने एक कॉलेज कार्यक्रम में आरक्षण के विषय पर ‘मैड ऐड्स’ नाम का नाटक प्रस्तुत किया. इस कार्यक्रम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें डॉ. बी.आर. आंबेडकर और दलितों के बारे में कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी होने के कारण इसकी आलोचना हुई. घटना सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक मधुसूदन के एन ने 10 फरवरी 2023 को सिद्धपुरा पुलिस थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई.
द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार नाटक की स्टोरी लाइन ये थी कि एक अनुसूचित जाति का लड़का उच्च जाति की लड़की को डेट करने की कोशिश करता है. नाटक में कई अपमानजनक टिप्पणियां की गईं और इसमें बीआर अंबेडकर का नाम भी बदलकर ‘बीयर अंबेडकर’ किया गया था, जिस वजह से इतना बवाल हुआ.
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