भारत ने शुक्रवार (21 फरवरी,2025 ) को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन द्वारा कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप हल करने के आह्वान को सख्ती से खारिज कर दिया. विदेश मंत्रालय ने इसे अनुचित और अस्वीकार्य करार देते हुए नई दिल्ली में तुर्की के राजदूत के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया.
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का बयान
एर्दोगन ने इस्लामाबाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात के दौरान कश्मीर मुद्दे पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि “कश्मीर का हल संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और कश्मीरी जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए.” बता दें कि एर्दोगन पिछले दो वर्षों से इस मुद्दे पर चुप थे, लेकिन अब उन्होंने इसे फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया.
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हम भारत के आंतरिक मामलों पर इस तरह की आपत्तिजनक टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं. भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर इस तरह के बयान अस्वीकार्य हैं.” उन्होंने कहा, “जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और किसी अन्य देश को इस पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.”
तुर्की-भारत संबंधों पर असर?
भारत और तुर्की के बीच पहले से ही राजनीतिक मतभेद बने हुए हैं. 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद, एर्दोगन ने कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया था. भारत ने जवाब में तुर्की के इस रुख की आलोचना की और द्विपक्षीय संबंधों में दूरी बना ली. अब देखना होगा कि भारत-तुर्की के कूटनीतिक रिश्तों पर एर्दोगन के इस बयान का क्या प्रभाव पड़ता है.
भारत क्यों हुआ तुर्की से नाराज?
भारत कश्मीर को अपना आंतरिक मामला मानता है और इस पर किसी भी तीसरे देश की टिप्पणी को अस्वीकार करता है. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की ओर से कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप हल करने की अपील ने भारत को नाराज कर दिया है.
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