वहम मत पालना कि मिल ही जाएगी ग्रेच्युटी, इस कंडीशन में पैसा रोक सकता है इम्पलॉयर, SC ने भी सही माना

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Last Updated:February 20, 2025, 13:38 ISTGratuity payment rules : सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि ‘नैतिक पतन’ के आधार पर कर्मचारी की ग्रेच्युटी बिना आपराधिक सजा के भी रोकी जा सकती है. नियोक्ताओं को इस प्रक्रिया में न्याय के सिद्धांतों का पालन करना ह…और पढ़ेंहाइलाइट्ससुप्रीम कोर्ट ने नैतिक भ्रष्टाचार पर ग्रेच्युटी रोकने की अनुमति दी.ग्रेच्युटी रोकने के लिए अब आपराधिक सजा जरूरी नहीं.नियोक्ताओं को न्याय के सिद्धांतों का पालन करना होगा.Gratuity rules : अगर आपने किसी कंपनी में पांच साल तक काम कर लिया है और आपको लगने लगा है कि ग्रेच्युटी मिल ही जाएगी तो यह आपका वहम है. जरूरी नहीं कि ग्रेच्युटी मिल ही जाएगी. अब अब कुछ मामलों में ग्रेच्युटी बिलकुल नहीं मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिससे कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच के नियमों में बड़ा बदलाव आया है.

17 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के तहत, कर्मचारी की ग्रेच्युटी को जब्त करने के लिए अब आपराधिक सजा जरूरी नहीं है. कर्मचारी को “नैतिक भ्रष्टाचार” (Moral Turpitude) के आधार पर निकाला जाता है, तो उसकी ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है. इसके लिए अब कोर्ट में अपराध साबित करने की जरूरत नहीं है. नैतिक भ्रष्टाचार का मतलब है कोई अनैतिक, गलत या धोखाधड़ी वाला काम करना या फर्जीवाड़ा करना.

इससे पहले, 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले (यूनियन ऑफ इंडिया vs. अजय बाबू) में कहा गया था कि ग्रेच्युटी रोकने के लिए कोर्ट में अपराध साबित करना जरूरी है. लेकिन इस नए फैसले के बाद, 2018 का फैसला अब लागू नहीं होगा. अगर कर्मचारी को नैतिक भ्रष्टाचार के आधार पर निकाला जाता है, तो कंपनी उसकी ग्रेच्युटी रोक सकती है.

कर्मचारी ने गलत बताई अपनी जन्मतिथिइकॉनमिस्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ताजा मामले में एक कर्मचारी ने अपनी असली जन्मतिथि छुपाई थी. उसने 1953 की जगह 1960 की जन्मतिथि दिखाई थी. इस वजह से उसे 22 साल तक नौकरी मिली. जब इस झूठ का पता चला, तो उसे नौकरी से निकाल दिया गया और उसकी ग्रेच्युटी रोक ली गई. कोर्ट ने कहा कि अगर कर्मचारी ने शुरू में ही सही जन्मतिथि बताई होती, तो उसे नौकरी नहीं मिलती.

इस मामले में, एक कर्मचारी ने अपनी जन्मतिथि गलत बताकर नौकरी पाई और 22 साल तक एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में काम किया. जब यह धोखाधड़ी सामने आई, तो कंपनी ने उसे नौकरी से निकाल दिया और उसकी ग्रेच्युटी रोक दी, हालांकि उस पर कोई आपराधिक मामला नहीं चलाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इस तरह की धोखाधड़ी ‘नैतिक पतन’ है और ग्रेच्युटी रोकने के लिए आपराधिक सजा जरूरी नहीं है.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ग्रेच्युटी रोकते समय नियोक्ताओं को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए. इसका मतलब है कि कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए, और नियोक्ता को सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. उदाहरण के लिए, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि कर्मचारी की 75% ग्रेच्युटी उसे वापस दी जाए और केवल 25% ही रोकी जाए.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :February 20, 2025, 13:38 ISThomebusinessवहम मत पालना कि मिल ही जाएगी ग्रेच्युटी, इस कंडीशन में रोक सकता है इम्पलॉयर

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