Last Updated:February 15, 2025, 22:14 ISTविदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली से भारतीय शेयर बाजार से 1 लाख करोड़ रुपये गायब हो गए हैं. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और ट्रंप की वापसी की संभावना ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है, जिससे भारत जैसे उभरते बाजारों से…और पढ़ेंएफपीआई के पैसे निकालने के पीछे कई वजहे हैं.हाइलाइट्सविदेशी निवेशकों की बिकवाली से 1 लाख करोड़ रुपये गायब.अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और ट्रंप की वापसी ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया.भारतीय बाजार में अस्थिरता बढ़ने की संभावना.नई दिल्ली. अगर आप शीर्षक पढ़कर हैरान हो गए हैं कि ऐसे-कैसे बिना कुछ किए 1 लाख करोड़ रुपये गायब हो गए तो ज्यादा मत सोचिए हम बता देते हैं. ये लाख करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार से गायब हुए हैं. दरअसल, डोमेस्टिक मार्केट से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली लगातार जारी है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ रही है. 2025 की शुरुआत से अब तक FPIs भारतीय बाजार से करीब 1 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. यह भारी बिकवाली वैश्विक अनिश्चितताओं, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड (bond yields) में बढ़ोतरी और भू-राजनीतिक तनावों के चलते हो रही है. इसके अलावा, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की संभावना ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है, जिससे भारत जैसे उभरते बाजारों से फंड बाहर जा रहे हैं.
FPIs ने जनवरी 2025 में भारतीय शेयर बाजार से 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे, जबकि फरवरी में अब तक यह आंकड़ा 21,272 करोड़ रुपये पहुंच चुका है. केवल फरवरी 10 से 14 के बीच ही 13,930 करोड़ रुपये की बिकवाली हुई है. दिसंबर 2024 में FPI निवेश सकारात्मक था और 15,446 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ था, लेकिन 2024 के पूरे साल में विदेशी निवेश में भारी गिरावट दर्ज की गई, जो पिछले साल की तुलना में 99% कम रही.
अमेरिका में निवेशकों का बढ़ा भरोसा, भारत से निकासी तेजविश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी बाजार में निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है, खासतौर पर ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने की उम्मीदों के कारण. ट्रंप की आर्थिक नीतियों से अमेरिकी बाजार मजबूत हुआ है, जिससे निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं. वहीं, भारत जैसे उभरते बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है, जिससे विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं.
क्या बाजार पर रहेगा दबाव?विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहती है, तो भारतीय बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है. हालांकि, घरेलू निवेशकों और म्यूचुअल फंड्स की खरीदारी बाजार को सहारा दे सकती है. आने वाले दिनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की ब्याज दर नीति और वैश्विक आर्थिक हालात भारतीय बाजार की दिशा तय करेंगे.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :February 15, 2025, 22:14 ISThomebusiness45 दिन में 1 लाख करोड़ रुपये गायब, न चोरी हुई, न डकैती, न हुआ कोई फर्जीवाड़ा
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