सोलर से कैसे किसान होंगे मालामाल, एनर्जी वीक में एक्सपर्ट्स ने खोल दिया राज

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India Energy Week 2025: भारत ऊर्जा सप्ताह 2025 में वैश्विक दक्षिण में कृषि को बदलने के लिए सौर-आधारित कृषि मशीनीकरण सत्र के दौरान एक्सपट्र्स ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने, लागत कम करने और खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा को एकीकृत करने के लिए सौर ऊर्जा समाधानों के विस्तार पर जोर दिया. 
पैनल पर मौजूद सभी एक्सपर्ट्स ने कृषि क्षेत्र में किस तरह से संभावनाएं बढ़ सकती है और कैसे रिसोर्सेज को एक्सपेंड किया जा सकता है, एक्सप्लोर किया जा सकता है, इस पर चर्चा की, जिसमें बात करते हुए अजय माथुर ने अनाज की बढ़ती मांग और नवीन, किफायती समाधान की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने सौर पंप, सौर शीत भंडारण, एग्री-पीवी सिस्टम (कृषि और सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए भूमि का संयुक्त उपयोग) और इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर जैसी प्रमुख सौर-आधारित तकनीकों पर प्रकाश डाला. 
मेघालय में महिला हल्दी किसानों की भी हुई चर्चा
माथुर ने कहा कि तकनीक उपलब्ध है, लेकिन वित्तपोषण मॉडल में सुधार की आवश्यकता है. उन्होंने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एसेट-आधारित वित्तपोषण और गारंटी तंत्र की आवश्यकता बताई. वहीं हरीश हांडे ने दीर्घकालिक एसेट-आधारित वित्तपोषण मॉडल का सुझाव दिया और परिचालन व्यय वित्तपोषण पर निर्भरता कम करने की वकालत की. उन्होंने मेघालय में महिला हल्दी किसानों के लिए पूंजी ऋण मॉडल को एक अनुकरणीय वित्तीय नवाचार के रूप में प्रस्तुत किया.
एग्री संभावनाओं के लिए जागरूकता पर जोर
सिराज हुसैन (फिक्की) ने भारत में सौर-आधारित कृषि मशीनीकरण में प्रगति पर चर्चा की, जिसमें पीएम-कुसुम योजना के तहत 4,00,000 सौर पंपों का वितरण और एमआईडीएच के तहत सौर शीत भंडारण के लिए सरकारी सब्सिडी शामिल है. स्वाति अग्रवाल ने स्थानीय कार्यबल का समर्थन करने और फसल चयन के साथ क्षमता निर्माण को संतुलित करने के लिए नीतिगत ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने सौर ऊर्जा के साथ मौजूदा फसल पैटर्न को संरेखित करने और किसानों में आत्मविश्वास बढ़ाने की बात कही. उन्होंने एग्री-पीवी की संभावनाओं और इसके प्रति जागरूकता व प्रशिक्षण की आवश्यकता पर भी बल दिया.
फसल उत्पादकता समझने के लिए अनुसंधान सीमित
शुभदीप बसु ने बेहतर हितधारक परामर्श की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने दो प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख किया: मौजूदा मॉडल में किसान केंद्रित नहीं हैं और सौर ऊर्जा का फसल उत्पादकता पर प्रभाव समझने के लिए अनुसंधान सीमित है. उन्होंने जापान, चीन और अमेरिका के सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखकर भारत के लिए विशिष्ट एग्री-पीवी नीतियों के विकास की आवश्यकता बताई.
सौर-आधारित तकनीकों से बढ़ेगा उत्पादन
इस सेशन के दौरान एक्सपर्ट्स के बीच कुछ चीजों पर सहमति बनी, जिसमे माना गया कि सौर-आधारित तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाने से कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ सकता है, लागत में कमी आ सकती है और खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा को एकीकृत किया जा सकता है. वित्तपोषण मॉडल में नवाचार और स्थानीय स्तर पर जागरूकता व प्रशिक्षण के साथ, सौर ऊर्जा भारतीय कृषि के भविष्य को बदल सकती है.
यह भी पढ़ें- India Energy Week 2025: EV को लेकर कैसे आएगी तेजी, क्या होने जा रहा बड़ा बदलाव? एनर्जी वीक में एक्सपर्ट्स ने सब समझाया

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