बच्चे पैदा करने का पूरा कॉन्सेप्ट ही हो जाएगा चेंज, अब लैब में इस चीज से तैयार हो जाएंगे भ्रूण

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खराब खानपान और मॉर्डन लाइफस्टाइल के कारण आजकल बांझपन की समस्या आम हो गई है. लेकिन दूसरे देशों की तरह भारत में भी ऐसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए IVF के अलावा कई तरीके हैं. जिसके जरिए कपल्स अपने बच्चे पैदा कर रहे हैं. प्रजनन क्षेत्र में मेडिकल साइंस का विकास ऐसे कपल्स के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.  अब इसी क्षेत्र में साइंटिस्ट ने एक और नया तरीका खोज निकाला है जिसके जरिए खुद के बच्चे पैदा कर सकते हैं.  जी हां, अब स्टेम सेल्स के जरिए भी बच्चे पैदा किए जा सकते हैं. यह अपने आप में एक अनोखा तरीका होगा.

इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG)

दरअसल, IVF और दूसरे तरीके में बच्चे पैदा करने के लिए कपल्स को लंबा सफर से गुजरना पड़ता है. यह पूरा सफर रोलर कोस्टर से कम नहीं होता है. इंजेक्शन के दर्द से लेकर अंडा और स्पर्म को निकालना फिर फ्यूजन. उसके बाद मां के गर्भ में ट्रांसप्लांट करना काफी लंबा प्रोसेस होते हैं. लेकिन स्टेम सेल्स तकनीक में अंडा और शुक्राणु को निकालने का झंझट ही नहीं है. इसमें डॉक्टर आपकी त्वचा, बालों के स्ट्रैंड या ब्लड से स्टेम टिश्यूज का इस्तेमाल करते हुए उसे अंडे या स्पर्म में चेंज करेगा. और फिर इसके जरिए एक भ्रूण बनाया जाएगा. भ्रूण तैयार होते ही इसे महिला के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया जाएगा. बच्चा गर्भ में 9 महीने का वक्त लेकर तैयार होगा. इस तरह के बच्चे को लैब में भी तैयार किया जा सकता है. 

सेम जेंडर वाले भी आसानी से बन सकते हैं माता-पिता

इस पूरे प्रोसेस का नाम है इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) जिससे बांझपन की समस्या से जुझ रहे दंपती, ऐसी महिलाएं जिनकी उम्र काफी ज्यादा हो गई है और वह अब मां नहीं बन सकती है. सेम जेंडर में शादी करने वाले लोग यानी गे, लेस्बियन कपल्स जोकि बायोलॉजिकल तरीके से बच्चे पैदा नहीं कर सकते हैं उनके लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है. 

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इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति में कोई भी जेनेटिक बीमारी है तो इसका पता आसानी से पहले ही लग जाएगा. यह प्रजनन चिकित्सा में क्रांति ला सकता है. इसलिए जिन पुरुषों के स्पर्म काउंट कम है या स्पर्म की क्वालिटी खराब है या ऐसी महिलाएं जिनके अंडे की क्वालिटी खराब है जिसके कारण वह कभी मां नहीं बन सकती है. ऐसी महिला और पुरुष स्टेम सेल्स के जरिए आसानी से माता-पिता बन सकते हैं. वह अपने स्टेम सेल से अपने बच्चे पैदा कर सकती हैं. ये खुद को नवीनीकृत कर सकते हैं. अन्य कोशिकाओं की नकल कर सकते हैं, खुद को फिर से प्रोग्राम कर सकते हैं और उनके जैसे बन सकते हैं. इसलिए यह उन मामलों में आशा की किरण है जहां पारंपरिक सहायक प्रजनन तकनीक विफल हो जाती है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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