5 साल से नहीं नहाया ये शख्स, बोला- अब तो बदबू भी नहीं महसूस होती

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Last Updated:February 09, 2025, 15:53 IST

डॉ. जेम्स हैम्बलिन ने पांच साल से नहाना बंद कर दिया और दावा किया कि उन्हें बदबू नहीं आती. उन्होंने साबुन और शैंपू को बेकार बताया और कहा कि ये त्वचा के माइक्रोबायोम को नुकसान पहुंचाते हैं.

अमेरिका का एक शख्स 5 साल से नहीं नहाया है. (Image:PTI)

हाइलाइट्स

  • डॉ. जेम्स हैम्बलिन ने 5 साल से नहाना बंद किया.
  • हैम्बलिन ने साबुन और शैंपू को बेकार बताया, ये त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं.
  • न नहाने पर भी बदबू नहीं आती, त्वचा का माइक्रोबायोम स्वस्थ रहता है.

वाशिंगटन. जब आप निजी सफाई के बारे में सोचते हैं तो आपके दिमाग में क्या आता है? कम से कम दिन में एक बार नहाना. लेकिन अमेरिका के एक डॉक्टर ने पूरे आत्मविश्वास के साथ इस आम धारणा को चुनौती दी है. डॉक्टर डॉ. जेम्स हैम्बलिन ने यह दावा करके सुर्खियां बटोरीं कि उन्होंने पिछले पांच सालों से नहाया नहीं है और उन्हें बदबू नहीं आती. अगर इतना ही काफी नहीं था, तो उन्होंने शैंपू, साबुन और दूसरे तरह के ‘स्वच्छता’ उत्पादों को बेकार बताया और कहा कि ये शरीर पर उनके बुरे असर होते हैं.

डॉक्टर जेम्स हैम्बलिन एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और लेखक भी हैं. उन्होंने रोजाना नहाने की जरूरत पर सवाल उठा एक नई बहस को जन्म दिया है. एक प्रयोग में, उन्होंने यह समझने के लिए पांच साल तक नहाना बंद कर दिया कि स्वच्छता की आदतें स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं या सिर्फ एक निजी पसंद हैं. चेसिंग लाइफ पॉडकास्ट पर CNN के मुख्य मेडिकल रिपोर्टर डॉ. संजय गुप्ता के साथ बातचीत में डॉ. हैम्बलिन ने कहा कि उन्होंने नियमित रूप से नहाना बंद कर दिया. और उनसे बदबू नहीं आती.

न नहाने पर भी बदबू नहीं आती
हैम्बलिन का प्रयोग इस विचार को चुनौती देने के लिए था कि बार-बार नहाना जरूरी है. वह यह समझना चाहते थे कि क्या निजी देखभाल उत्पादों का उपयोग वास्तव में फायदेमंद है. हैम्बलिन ने कहा हमारी त्वचा माइक्रोबायोम का घर है. ये बैक्टीरिया का एक जटिल पारिस्थितिकी तंत्र है, जो त्वचा के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. साबुन और शैंपू से बार-बार धोने से आपकी त्वचा से प्राकृतिक रूप से निकलने वाले तेल और रसायन निकल जाते हैं. यह लॉन से मिट्टी हटाने जैसा है. डॉ. हैम्बलिन ने डॉ. गुप्ता को पॉडकास्ट में बताया कि साबुन आपकी त्वचा से वसा, लिपिड, आपकी त्वचा पर मौजूद तेल को हटाता है.

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साबुन से त्वचा के माइक्रोबायोम सिस्टम पर असर
इससे एक चक्र बन सकता है, जहां हम अपनी त्वचा को साफ करते हैं, सुखाते हैं, और फिर क्षतिपूर्ति के लिए लोशन और अन्य उत्पादों का उपयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि त्वचा माइक्रोबायोम आंत माइक्रोबायोम से छोटा होता है, लेकिन सिद्धांत समान है. हैम्बलिन ने समझाया कि ये सूक्ष्मजीव हमेशा हमारे साथ रहते हैं. जब तक आप खुद को पूरी तरह से स्टरलाइज नहीं कर लेते, जो कि संभव नहीं है. यह जल्दी ही फिर से फैल जाएगा. डॉ. हैम्बलिन ने कहा कि लोगों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर वे नहाते नहीं हैं, तो उनके शरीर से दुर्गंध आने लगेगी. हालांकि, हैम्बलिन ने पाया कि समय के साथ, उनका शरीर इसके अनुकूल हो गया. हैम्बलिन ने यह भी कहा कि व्यायाम करने के बाद भी, जब आपका शरीर पसीने और नमक से भीगा होता है, तो इसे सिर्फ पानी से धोया जा सकता है.

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