हर साल करीब 2. 80 लाख महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में, शहरी महिलाओं को ज्यादा खतरा, उसकी है खास वजह

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कैंसर एक घातक बीमारी है और इसके खिलाफ हर साल जागरुकता दिवस के तौर पर चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. लेकिन जब बात हम ब्रेस्ट कैंसर की करें तो एक लाख महिलाओं में से करीब 28 महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ रही हैं. हालांकि, शहरी और ग्रामीण महिलाओं में थोड़ा आंकड़ों में अंतर है.

अगर हम शहरी महिलाओं की बात करें तो हर साल एक लाख में से 29 महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर होता है . गांव में रहने वाली एक लाख महिलाएं में करीब 24 से 25 महिलाएं इससे बीमारी से पीड़ित होती हैं. अगर हम कुल आबादी के हिसाब से बात करें तो भारत की जनसंख्या करीब 144 करोड़ है, इनमें से अगर हम पचास फीसदी भी मानें तो करीब 74 या 75 करोड़ महिलाएं हैं. इस हिसाब से आंकड़े निकाले तो करीब 2 लाख 80 हजार से ज्यादा महिलाएं हर साल बेस्ट कैंसर से पीड़ित हो रही हैं.

शरीर में होने वाले सारे कैंसर की अगर बात करें, जैसे- ब्रेन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, पेट का कैंसर उनमें से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का अच्छे से इलाज उपलब्ध है. इसकी वजह ये है कि वेस्टर्न वर्ल्ड में इसकी स्टडी हुई है, इसे रोकथाम के लिए कई प्रकार की तकनीक उपलब्ध है.   इसलिए ब्रेस्ट कैंसर होने की स्थिति में ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है.

जहां तक ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण की बात है तो
-सबसे आम लक्षण ब्रेस्ट में गांठ हो सकती है. 
-ब्रेस्ट में डिस्चार्ज आता है, जिसमें स्तन से दूध पिलाते समय मवाद या खून मिलकर बाहर आ सकता है.
-ब्रेस्ट में अलसर या फोड़ा का बनना
-भूख या फिर वजन का काम होना

यानी सामान्य डाइट लेने के बावजूद अगर वजन कम हो रहा है और भूख भी धीरे-धीरे कम होती जा रही है. जब ब्रेस्ट कैंसर कैंसर एडवांस हो जाता है तो इस तरह के लक्षण सामने आते हैं. लेकिन सबसे सामान्य है ब्रेस्ट में गांठ का आना. अगर कोई महिला 40 के ऊपर है और उसके ब्रेस्ट में गांठ आई है तो इस बात की अधिक संभावना है कि उसे ब्रेस्ट कैंसर है. अगर महिला की आयु 40 से कम है तो ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा कम रहता है.

जहां तक ब्रेस्ट कैंसर का पता स्वपरीक्षण से लगाने की है तो सबसे अच्छा तरीका यूट्यूब से ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन के अच्छे-अच्छे वीडियो देख सकते हैं. यूट्यूब से महिलाएं समझ सकती है कि कैसे ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन किया जाता है. किसी भी महिला को बहुत फिक्र नहीं करना है. 

यह महीने में एक बार करें, हर महीने एक फिक्स टाइम पर करें. अपने जन्मदिन या सालगिरह जैसे एक तारीख को है तो दिन एक टाइम पर चेक करें. उसमें करना कुछ नहीं होता अपने ब्रेस्ट पर हम चार भाग बनाते हैं.

प्रक्रिया:
-ब्रेस्ट पर एक प्लस बनाएं
-ऐसे चार स्क्वायर बेंड होते हैं और 
-एक सेंटर का स्क्वायर बेंड होता है 
-पांच स्क्वायर बेंड.
-उसमें हाथ को फ्लैट रखना है और उसपर सर्किल मूवमेंट करना है.
-वहां से चेक करना है कि कहीं कोई गांठ नहीं है. 

इस प्रक्रिया में करीब 70% महिलाओं को उसमें गांठ दिखती है और इससे पता चल जाता है. जैसा हर महीने में चेक कर रहे हैं ब्रेस्ट में गांठ बढ़ रही है, मतलब कि दो-तीन महीने में ही डबल हो गई है. आज के दिन आपने चेक किया और दो तीन महीने बाद वो बड़ी हो गई है, ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए कि यह गांठ कैसी है? इसमें कैंसर तो नहीं है और उसका उपचार करना चाहिए. एग्जामिन करके डायग्नोसिस तो नहीं कर सकते, लेकिन जल्दी से जल्दी उस चीज को पकड़ सकते है. 

शहरी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादा है जबकि ग्रामीण महिलाओं में कम. शहर में रहने वाली महिलाएं देरी से शादी करती हैं और बच्चे भी कम पैदा करती हैं. कई महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग कम कराती हैं या फिर नहीं भी कराती हैं. जबकि ग्रामीण महिलाओं की बात करें तो उनकी शादी जल्दी हो जाती है. बच्चे भी उनके तीन-चार होते हैं और बच्चों को पर्याप्त ब्रेस्ट फीडिंग कराती हैं. इस केस में ब्रेस्ट फीडिंग की संभावना कम हो जाती है.

ऐसी स्थिति में कोई महिला अगर बहुत समझदार है और खुद के परीक्षण के जरिए समय पर ब्रेस्ट कैंसर का पता लगा या कि अपनी 98 फीसदी लाइफ को पूरे स्वस्थ तरीके से जीएगी.

इससे जहां तक बचाव की बात है तो जब महिलाओं के पीरियड्स आते हैं, उसमें जब ब्रेक लगता है तो प्रेग्नेन्सी के समय में, चाहे फिर फीडिंग हो…. ऐसी स्थिति में उनका इन चीजों से बचाव होता है. .ये दो हॉर्मोन्स पर निर्भर करता है. ऐसे में शादी सही समय पर हो. बच्चे जरूर करें और जितना संभव हो बच्चे को अच्छे से फीडिंग कराएं. ये चीजें महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर से बचाती है. दूसरा फैक्टर ये है कि मीनूपाउज या मासिक धर्म के वक्त इस तरह की समस्याएं आती है. इसके अलावा स्मोकिंग, अल्कोहल को नहीं लेना है.

इसके अलावा, नियमित व्यायाम करें. अगर किसी को ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है तो वे कैंसर विशेषज्ञ से सलाह लें. समय पर अगर उसका इलाज हो जाता है तो परिणाम भी बेहतर आएगा और मरीज को एक सामान्य जीवन जीने में मदद मिलेगी. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

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