Last Updated:February 05, 2025, 11:51 ISTबजट 2025 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) योजना को बंद कर दिया गया है, जिससे निवेशकों के लिए सोने में निवेश के नए विकल्प तलाशना जरूरी हो गया है. यहां हम आपको गोल्ड ETF, गोल्ड म्यूचुअल फंड और सेकेंडरी मार्केट में SG…और पढ़ेंबजट 2025-26 में SGB में निवेश का विकल्प खत्म कर दिया गया है.हाइलाइट्सबजट 2025 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना बंद की गई.निवेशकों के लिए गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड विकल्प.सोने की कीमतें $2,800 प्रति औंस से ऊपर पहुंचीं.Gold Investment : सोने की चमकती कीमतों के बीच केंद्र सरकार ने बजट 2025 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) योजना को बंद कर दिया है. इसका कारण इस योजना से जुड़ी ऊंची उधार लागत (Higher cost of borrowing) बताई गई है. वैश्विक बाजारों में सोने की कीमत $2,800 प्रति औंस के स्तर से ऊपर पहुंच चुकी है, जबकि भारत में सोने की कीमत ने हाल ही में 10 ग्राम के लिए ₹84,900 का नया रिकॉर्ड बनाया है. यह उछाल अमेरिकी ट्रेड टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितता के कारण आया है. पृथ्वी फिनमार्ट के निदेशक मनोज कुमार जैन के अनुसार, “सुरक्षित निवेश के रूप में सोना और चांदी की मांग बढ़ रही है. आने वाले समय में केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और सुरक्षित निवेश की मांग के कारण इनकी कीमतों में तेजी बनी रह सकती है.”
SGB को एक आकर्षक निवेश विकल्प माना जाता था, क्योंकि यह निवेशकों को फिजिकल गोल्ड रखने की चिंता किए बिना डीमैटरियलाइज्ड फॉर्म में सोना खरीदने और सालाना 2.5 से 2.75 प्रतिशत का कूपन कमाने करने का अवसर देता था. अब नए SGB जारी नहीं होने के कारण निवेशकों के पास गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF), गोल्ड म्यूचुअल फंड (MF), या सेकेंडरी मार्केट से SGB खरीदने जैसे विकल्प बचे हैं. आइए, इन विकल्पों और उनके फायदे-नुकसान पर एक नजर डालते हैं.
SGB में कैसा होता था निवेश2015 में शुरू हुई इस योजना के तहत RBI ने 67 ट्रेंच जारी किए, जिनमें 14.7 करोड़ यूनिट जारी की गईं. ये BSE और NSE के कैश सेगमेंट में लिस्टेड और ट्रेडेड हैं. रिटेल निवेशक डीमैट अकाउंट के जरिए इन्हें खरीद और बेच सकते हैं. SGB आठ साल के लिए होते हैं, लेकिन इन पर पांच साल की लॉक-इन अवधि भी होती है. हालांकि, RBI पांचवें, छठे और सातवें साल के अंत में बायबैक सुविधा प्रदान करता है. यूनिट होल्डर्स NSDL, CDSL, या RBI रिटेल डायरेक्ट के जरिए रिडेम्पशन की रिक्वेस्ट कर सकते हैं.
गोल्ड ETF में निवेश के फायदेगोल्ड ETF का मुख्य उद्देश्य डोमेस्टिक फिजिकल गोल्ड की कीमतों को ट्रैक करना है. एक गोल्ड ETF यूनिट 1 ग्राम प्योर सोने के बराबर होती है. गोल्ड ETF सुरक्षित और अधिक लिक्विड होते हैं, लेकिन इनमें ब्रोकरेज चार्ज लगते हैं. हालांकि, ये चार्ज फिजिकल गोल्ड या गहनों की तुलना में काफी कम होते हैं. गोल्ड ETF में एक्सपेंस रेश्यो भी गोल्ड MF से कम होता है. हालांकि, ETF सोने की कीमतों के अनुसार चलते हैं, इसलिए इनमें उतार-चढ़ाव का जोखिम होता है.
गोल्ड म्यूचुअल फंड में क्यों निवेश करना चाहिए?गोल्ड MF ओपन-एंडेड फंड होते हैं, जो गोल्ड ETF की यूनिट्स में निवेश करते हैं. गोल्ड MF की यूनिट्स की कीमत ETF से अलग होती है, जो ट्रेडिंग सत्र के अंत में NAV के रूप में जारी की जाती है. गोल्ड MF एक्टिवली मैनेज किए जाते हैं, इसलिए इनमें सोने की कीमत से बेहतर रिटर्न की संभावना होती है. हालांकि, इनमें एक्सपेंस रेश्यो ETF से अधिक होता है, जो आमतौर पर 1-2 प्रतिशत के बीच होता है.
MyWealthGrowth.com के को-फाउंडर हर्षद चेतनवाला के अनुसार, “निवेशक अभी भी ट्रेड किए जा रहे SGB को होल्ड कर सकते हैं. लिस्टेड SGB नॉन-फिजिकल गोल्ड में निवेश का सबसे अच्छा तरीका है. हालांकि, SGB के बंद होने के बाद नई मांग प्रभावित हो सकती है. निवेशक गोल्ड ETF और गोल्ड फंड की ओर रुख कर सकते हैं.”
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :February 05, 2025, 11:49 ISThomebusinessबजट 2025 में SGB स्कीम बंद, बढ़िया रिटर्न के लिए सोने में कैसे करें निवेश?
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