ISRO Journey: तारीख 29 जनवरी, 2025 और दिन बुधवार देश और इसरो के लिए खास होने वाला है. इस दिन इसरो श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से अपनी 100वीं लॉन्चिंग करने जा रहा है. इस उपलब्धि को हासिल करने में इसरो को 46 साल लग गए. वहीं, अब उम्मीद की जा रही है कि अगली सेंचुरी बनाने के लिए इसरो को इतना समय नहीं लगेगा.
श्रीहरिकोटा से पहला बड़ा रॉकेट 10 अगस्त, 1979 को छोड़ा गया था, जब इसरो ने सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी) लॉन्च किया था. अब 46 साल बाद अंतरिक्ष विभाग शतक पूरा करने के लिए तैयार है. 29 जनवरी को सुबह 6.23 बजे जीएसएलवी-एफ15 मिशन के तहत एनवीएस-02 सैटेलाइट लॉन्च किया जाएगा, जो भारत के स्वदेशी नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) सिस्टम को आगे बढ़ाएगा.
‘अगली सेंचुरी बनाने में नहीं लगेंगे 46 साल’
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए एसडीएससी के डायरेक्ट राजाराजन ए ने कहा, “ऐसे अहम मौके पर अंतरिक्ष केंद्र का नेतृत्व करना निश्चित रूप से रोमांचक है, लेकिन यह उपलब्धि पूरे इसरो की है. कई पीढ़ियों के लोगों ने इसके लिए भरसक प्रयास किए हैं.” उन्होंने ये भी बताया कि अब भारत में लॉन्चिंग रेट में इजाफा होगा. उनका कहने का मतलब ये था कि इसरो को अपनी सेंचुरी बनाने के लिए 46 साल का समय नहीं लगेगा.
थर्ड लॉन्च पैड और नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल को विकसित करने की जरूरत
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16 जनवरी को तीसरा लॉन्चपैड (टीएलपी) को मंजूरी दी थी. ये भारत के अंतरिक्ष के दृष्टिकोण हिसाब से बेहद जरूरी था. राजाराजन ने कहा, “प्रधानमंत्री के डायरेक्शन में भारत ने गगनयान, चंद्रयान और भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतरने में सक्षम बनाने के लिए निरंतर कार्यक्रमों की योजना बनाई है. इसके लिए अगली पीढ़ी के लॉन्च व्हीकल (एनजीएलवी) को विकसित करने की जरूरत है. ये 91 मीटर लंबा होगा और मौजूदा एलवीएम3 से लगभग 2.2 गुना लंबा. एनजीएलवी में पृथ्वी की निचली कक्षा में 20-30 टन की क्षमता होगी, जो अंतरिक्ष स्टेशन मिशन और चंद्रमा पर उतरने के संचालन के लिए महत्वपूर्ण है.”
उन्होंने कहा कि मौजूदा लॉन्चपैड एनजीएलवी की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते. गगनयान मिशनों के लिए भी कुछ संशोधन किए जा रहे हैं. इसके लिए पूरी तरह से नए पैड की जरूरत है.
तमिलनाडु में बन रहा दूसरा स्पेसपोर्ट
श्रीहरिकोटा में स्पेसपोर्ट के भीतर बनने वाले टीएलपी के अलावा इसरो तमिलनाडु के कुलशेखरपट्टनम में एक दूसरा स्पेसपोर्ट भी बना रहा है. राजराजन ने कहा, “श्रीहरिकोटा में पहला और दूसरा लॉन्च पैड अलग-अलग तरह के वाहनों को संभालते हैं. नया स्पेसपोर्ट खासतौर पर छोटे वाहनों का उपयोग करके ध्रुवीय मिशनों के लिए बनाया जाएगा. यह सेटअप ज्यादा किफायती है क्योंकि श्रीहरिकोटा से ध्रुवीय मिशनों को लॉन्च करने के लिए ज्यादा ईंधन और ऊर्जा की जरूरत होती है.”
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