Last Updated:January 23, 2025, 11:41 ISTBangladesh Crisis : बांग्लादेश के युवाओं ने जिस मुद्दे पर शेख हसीना सरकार को उखाड़ फेंका था, आज वही परेशानी संकट का रूप ले चुकी है. हाल के आंकड़े बताते हैं कि बांग्लादेश के युवाओं के हाथ आज भी खाली हैं और सरक…और पढ़ेंशेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश में विदेशी निवेश आना कम हो गया है. नई दिल्ली. बांग्लादेश के युवा अपनी ही लगाई आग में झुलस रहे हैं. जिस मुद्दे को लेकर उन्होंने शेख हसीना को गद्दी से उतारा था, वही परेशानी आज बढ़कर विकराल रूप ले चुकी है. बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (बीबीएस) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है कि बांग्लादेशी छात्रों ने गोलियों का सामना करते हुए एक तानाशाही सरकार को उखाड़ फेंका, लेकिन क्रांति के छह महीने बाद भी उनकी स्थिति में कोई भी सुधार आता नहीं दिख रहा है.
ढाका विश्वविद्यालय के छात्र मोहम्मद रिजवान चौधरी के युवाओं के लिए भरपूर अवसरों के सपने बुरी तरह टूट गए हैं. उनका कहना है कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की देखरेख वाली सरकार से उन्हें कोई ठोस कदम उठाते नहीं दिखे हैं. चौधरी ने कहा कि मुझे अब तक सरकार द्वारा कोई सार्थक पहल नहीं दिख रही है. पिछले साल के प्रदर्शनों का एक मुख्य कारण बेरोजगारी थी. क्रांति के बाद से यह समस्या कम होने के बजाय और भी बढ़ गई है.
क्या बता रहे इसके आंकड़ेसितंबर 2024 के अंत तक 17 करोड़ की आबादी वाले देश में नौकरी की तलाश करने वाले लोगों की संख्या 26.6 लाख तक पहुंच गई, जो पिछले साल के 24.9 लाख से 6 प्रतिशत की वृद्धि है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने सितंबर में चेतावनी दी थी कि आर्थिक गतिविधि काफी धीमी हो गई है, जबकि महंगाई दहाई अंकों में बनी हुई है, टैक्स वसूली में कमी आई है जबकि खर्च का दबाव बढ़ गया है.
हसीना के जाने की खुशी अब गम में बदलीचौधरी ने बताया कि कई लोगों के लिए अब हसीना के हटने की खुशी कम होती जा रही है, जबकि यूनुस ने छात्र नेताओं को कैबिनेट पद सौंपे, उन्हें लगा कि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है. लेकिन, अब युवाओं का कहना है कि वैसे हमारे प्रतिनिधि प्रशासन का हिस्सा हैं, फिर भी मुझे यकीन नहीं है कि हमारी आवाज सुनी जा रही है.
युवाओं के हाथ आज भी खालीबांग्लादेश के साहित्य स्नातक शुक्कुर अली (31) अपने बुजुर्ग और बीमार माता-पिता का समर्थन करने के लिए छोटे-मोटे काम करके गुजारा करते हैं. मैं न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ भी करता हूं. मैं पहले केवल शैक्षणिक संस्थानों या बैंकों में सफेदपोश नौकरियों के लिए आवेदन करता था, लेकिन असफल रहा. अब मेरे लिए कुछ भी ठीक नहीं है. मुझे बस एक नौकरी चाहिए. स्वतंत्र विश्लेषक जाहिद हुसैन (71) जो ढाका में विश्व बैंक के पूर्व प्रमुख अर्थशास्त्री हैं, उनका कहना है कि कामकाजी श्रम बल का लगभग एक तिहाई हिस्सा जो भी काम मिल सके, उसे करके अपना गुजारा करने की कोशिश कर रहा है.
87 फीसदी पढ़े-लिखे बेरोजगारबीबीएस के अनुसार, बेरोजगारों में 87 प्रतिशत शिक्षित बांग्लादेशी हैं. सरकार का कहना है कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि मजबूत टैक्स संग्रहण से सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश करने और बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा करने की अनुमति मिलेगी. अभी हमारी प्राथमिकता ज्यादा से ज्यादा राजस्व जुटाने की है. फिलहाल अंतरिम सरकार उस गड़बड़ी को संभालने में व्यस्त है जो उन्होंने विरासत में पाई है.
असफल है बांग्लादेशी सरकारबांग्लादेश के आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा प्रशासन पूरी गति से काम नहीं कर रहा है. मैं उन्हें 100 में से 50 अंक दूंगा. सार्वजनिक क्षेत्र में हर साल 20,000 से 25,000 स्नातकों की भर्ती हो सकती है, जबकि लगभग 7,00,000 स्नातक हर साल कॉलेज छोड़ते हैं. ऐसे में निजी क्षेत्र लगभग 85 प्रतिशत नौकरियां प्रदान करता है, लेकिन वहां भी ज्यादा उम्मीद नहीं है. 5 अगस्त के बाद से सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में भर्ती धीमी रही है. बांग्लादेश के रिजर्व बैंक का कहना है कि शेख हसीना के शासन में विदेशी निवेश 61.4 करोड़ डॉलर था, जो जुलाई से नवंबर 2024 के बीच महज 17.7 करोड़ डॉलर रह गया.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :January 23, 2025, 11:41 ISThomebusinessबर्बाद हो गया बांग्लादेश! जिन युवाओं ने देश को जलाया, अब वही पीट रहे छाती
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News