Last Updated:January 20, 2025, 15:01 ISTअमेरिका द्वारा AI चिप्स पर नए निर्यात प्रतिबंध लगाने से भारत की महत्वाकांक्षी AI योजनाओं को झटका लगा है. भारत को उम्मीद है कि ट्रंप प्रशासन इन प्रतिबंधों को हटा देगा, क्योंकि इससे अमेरिका-भारत संबंधों पर असर पड़ सकता है.भारत आने वाले दिनों में अमेरिकी AI चिप और टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट पर लगाए गए नए प्रतिबंधों को लेकर ट्रंप प्रशासन से चर्चा करने की योजना बना रहा है. इन प्रतिबंधों को निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने लागू किया है. हालांकि इन प्रतिबंधों के बावजूद, भारत के महत्वाकांक्षी AI प्रोग्राम को 2027 तक बढ़ाने की योजना पर अभी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मनीकंट्रोल ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि शुरुआत में हमें कोई बड़ी समस्या नहीं होगी. जो सीमाएं निर्धारित की गई हैं, वे हमें एक-दो साल तक प्रबंधन करने की अनुमति देंगी. लेकिन जब ट्रंप प्रशासन कार्यभार संभालेगा, तब स्थिति का आकलन करना और उससे इस मुद्दे पर चर्चा करना आवश्यक होगा.” यह बयान 19 जनवरी को दिया गया था, जब डोनाल्ड ट्रंप 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले थे. अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर यह जानकारी दी.
सरकार ने इंडस्ट्री से परामर्श करके अपने GPU (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) डेवलप करने पर भी विचार शुरू कर दिया है. अधिकारी ने कहा, “हमें अपने GPU खुद बनाने होंगे. यह एक विचार है, लेकिन इसे डेवलप करना और अपनाना होगा. इस पर इंडस्ट्री और C-DAC के साथ चर्चा चल रही है.”
अमेरिका ने किस आधार पर लिया ये फैसला?अमेरिकी AI डिफ्यूजन पॉलिसी और निर्यात नियंत्रण ने दुनिया को 3 समूहों में बांटा है-
पहला ग्रुप: ऑस्ट्रेलिया, यूके, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन और स्विट्जरलैंड जैसे 20 देशों को AI चिप्स पर बिना किसी लिमिट के पहुंच दी जाएगी.
दूसरा ग्रुप: चीन, रूस, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे 20 देशों को इन चिप्स तक कोई पहुंच नहीं दी जाएगी.
तीसरा ग्रुप: 140 देश हैं, जिनमें भारत, सऊदी अरब और UAE शामिल हैं, पर GPU की संख्या पर लिमिट लगाई गई है. ये लिमिट 50,000 हाइब्रिड GPU (लगभग $1 बिलियन के बराबर) है. यदि ये देश अमेरिका के साथ कड़े सुरक्षा मानकों का पालन करने पर राजी होते हैं, तो यह लिमिट डबल हो सकती है.
भारत के सामने दिक्कतें?भारत जब 2027 में अपनी AI क्षमताओं को बढ़ाने की योजना बना रहा है, तब तक हाईब्रिड AI चिप्स तक सीमित पहुंच इनोवेशन को धीमा कर सकती है. लाइसेंसिंग के कारण लागत बढ़ सकती है, और काम पूरा करने में देरी कर सकती है.
भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी 10,738 करोड़ रुपये के ‘इंडिया AI मिशन’ के तहत लगभग 10,000 GPU की खरीद की है. भविष्य में यह संख्या बढ़ सकती है. रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत में Nvidia के हाईब्रिड GB200 GPU से संचालित देश का सबसे बड़ा AI डेटा सेंटर बनाने की योजना बना रही है.
अमेरिका की नीति के प्रभाव13 जनवरी को जारी नए नियम भारतीय कंपनियों के लिए अनुपालन संबंधी चुनौतियां बढ़ा सकते हैं. जिन भारतीय कंपनियों ने Nvidia GPU के लिए ऑर्डर दिया है, वे प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकती हैं. एक्सपर्ट चेतावनी दे रहे हैं कि इन प्रतिबंधों के कारण भारत के AI हार्डवेयर से जुड़ी योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं. अब देखना यह होगा कि ट्रंप के सत्ता संभालने पर क्या भारत को इस कैटेगरी से बाहर करके पहले ग्रुप में डाला जाएगा या नहीं.
एंड्रयू एनजी ने कहा- इससे अमेरिका और भारत के संबंधों पर पड़ेगा असरआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया के जाने-माने नाम एंड्रयू एनजी ने AI चिप और टेक्नोलॉजी तक पहुंच में भारत को प्राथमिकता से बाहर रखने के बाइडन प्रशासन के फैसले पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के एक्सपोर्ट कंट्रोल वैश्विक प्रतिस्पर्धियों को मजबूत कर सकते हैं, जबकि अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर कर सकते हैं. दावोस में विश्व आर्थिक मंच पर मनीकंट्रोल से बात करते हुए एनजी ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया और उन्हें “स्वाभाविक सहयोगी” कहा.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 20, 2025, 15:01 ISThomebusinessभारत को अमेरिका ने दिया धोखा, अब ट्रंप से बाइडेन का फैसला पलटने की आस
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