’26 साल से जेल में हूं, अब तो…’, गैंगस्टर की अर्जी पर SC ने यूपी सरकार को दिया ये निर्देश

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<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे गैंगस्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू की समय से पहले रिहाई को लेकर यूपी सरकार को अहम निर्देश दिया है. 1993 के हत्या मामले में ओम प्रकाश श्रीवास्तव आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. उसने कोर्ट में अर्जी दी है कि वह 26 साल से जेल में है और इस दौरान उसका आचरण सही है इसलिए वह समय पूर्व रिहाई का हकदार है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को समय से पहले रिहाई पर दो महीने के अंदर विचार करने का निर्देश दिया है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस नोंगमेइकापम कोटिश्वर सिंह की पीठ ने राज्य सरकार को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 473 की उप-धारा (1) के तहत छूट देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया. ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने संयुक्त प्रांत कैदी रिहाई परिवीक्षा अधिनियम, 1938 की धारा 2 के तहत राहत मांगी लेकिन याचिका खारिज कर दी गई.</p>
<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1938 अधिनियम की धारा 2 सीआरपीसी की धारा 432 या बीएनएसएस की धारा 473 से अधिक कठोर है. कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य सरकार यह निष्कर्ष दर्ज नहीं कर लेती कि वह किसी दोषी के पूर्ववृत्त या जेल में उसके आचरण से संतुष्ट है और रिहाई के बाद उसके अपराध से दूर रहने और शांतिपूर्ण जीवन जीने की संभावना है, तब तक दोषी को रिहा नहीं किया जा सकता.</p>
<p style="text-align: justify;">बेंच ने ने कहा, ‘जहां तक ​​1938 अधिनियम की धारा 2 के तहत राहत से इनकार करने का सवाल है, हम राज्य सरकार द्वारा पारित आदेश में गलती नहीं पा सकते. बीएनएसएस की धारा 473 का दायरा 1938 अधिनियम की धारा 2 से पूरी तरह से अलग है.’ सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को एक आदेश में राज्य सरकार को बीएनएसएस की धारा 473 की उप-धारा (1) के तहत छूट देने के लिए याचिकाकर्ता के मामले पर जल्द से जल्द विचार करने का निर्देश दिया.</p>
<p style="text-align: justify;">आदेश में कहा गया, ‘चूंकि याचिकाकर्ता 28 साल से अधिक की वास्तविक सजा काट चुका है, इसलिए याचिकाकर्ता के मामले पर विचार किया जाए और अधिकतम दो महीने की अवधि के भीतर उचित आदेश पारित किया जाए.’ बरेली केंद्रीय कारागार में बंद श्रीवास्तव ने समय-पूर्व रिहाई के निर्देश के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.</p>
<p style="text-align: justify;">वह कभी कथित तौर पर माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम का सहयोगी था और बाद में उसका दुश्मन बन गया. जांच एजेंसियों ने हत्या और अपहरण सहित 42 मामलों में वांछित श्रीवास्तव को सिंगापुर में गिरफ्तार किया था और 1995 में उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया था. उसे 1993 में इलाहाबाद में सीमाशुल्क अधिकारी एल डी अरोड़ा की हत्या के मामले में कानपुर की एक विशेष टाडा अदालत ने 30 सितंबर 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.</p>
<p style="text-align: justify;">मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपी गई थी. शुरु में, उन्हें नैनी केंद्रीय काागार में रखा गया, और फिर 11 जून, 1999 को बरेली केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया. ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि वह 26 साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है और जेल में उसका आचरण अच्छा रहा है, इसलिए वह राज्य की नीति के अनुसार समय-पूर्व रिहाई का हकदार है.</p>
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