India Afghanistan Taliban Relation: भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की. भारत और तालिबान के बीच यह मुलाकात 8 जनवरी को संयुक्त अरब अमीरात के दुबई शहर में हुई. भारत की तरफ से पहली बार विदेश सचिव की तरफ से तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री से मुलाकात हुई.
हालांकि, इससे पहले 7 नवंबर, 2024 को विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह भी तालिबान शासन के साथ मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन विदेश सचिव की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब पाकिस्तान ने हाल ही में अफगानिस्तान के कई इलाकों पर एयर स्ट्राइक की थी, जिसका जवाब भी तालिबान की तरफ से दिया गया था. पाकिस्तान ने तहरीक ए तालिबान के ठिकानों पर हमले किए थे और जवाबी कार्रवाई में तालिबान ने कई पाकिस्तानी पोस्ट को उड़ा दिया था. भारत ने पाकिस्तान की ओर से किए गए हमलों की आलोचना भी की थी. इस एयर स्ट्राइक में अफगानिस्तान के 46 लोगों की मौत हुई थी.
यहां ये जानना जरूरी है कि भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान शासन को राजनयिक मंजूरी अब तक नहीं दी है, लेकिन भारत हर संकट की घड़ी में अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा रहा है.
पीपल टू पीपल संपर्क पर दिया जोर
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी और तालिबान कार्यवाहक विदेश मंत्री की दुबई में हुई इस महत्वपूर्ण मुलाकात के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान भी जारी किया. विदेश मंत्रालय ने कहा कि दुबई में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के साथ साथ क्षेत्रीय विकास से संबंधित कई मुद्दों पर बातचीत की. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने अफगान लोगों के साथ भारत की ऐतिहासिक दोस्ती और People to People संपर्क पर जोर दिया. इस दौरान विदेश सचिव ने यह भी बताया कि भारत अफगानी लोगों की विकास संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्पर है. दोनों पक्षों ने भारत के की ओर से अफगानिस्तान को दी जा रही मानवीय सहायता के कार्यक्रमों की समीक्षा भी की है. इस दौरान तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने अफगानी लोगों की मदद और उनसे मजबूत संपर्क के लिए भारतीय नेतृत्व की तारीफ करके हुए उनका धन्यवाद भी किया.
अफगानिस्तान के युवाओं का रुझान खेल की तरफ ज्यादा
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि अफगान पक्ष के अनुरोध पर भारत आगे भी अफगानिस्तान को स्वास्थ्य क्षेत्र और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए अधिक सहायता सामग्री मुहैया कराता रहेगा. इस मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने खेल (क्रिकेट) सहयोग को भी मजबूत करने पर बातचीत की क्योंकि अफगानिस्तान के युवाओं का रुझान खेल की तरफ ज्यादा है. मानवीय सहायता के साथ साथ व्यापार के लिए चाबहार पोर्ट के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी है.
इस मीटिंग के दौरान तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति भी अपनी संवेदनशीलता को व्यक्त किया. दोनों पक्षों ने संपर्क में बने रहने और विभिन्न स्तरों पर लगातार संपर्क बनाए रखने पर सहमति जताई है.
समय समय पर दवाइयां भेजता रहा है भारत
भारत ने लगातार अफगानिस्तान के आम लोगों की मदद की है. भारत ने अब तक 50 हज़ार मीट्रिक टन गेहूं, 300 टन दवाइयां, 27 टन भूकंप राहत सामग्री, 40 हज़ार लीटर कीटनाशक, 100 मिलियन पोलियो खुराक, 1.5 मिलियन कोविड वैक्सीन की डोज़, नशा मुक्ति कार्यक्रम के लिए 11 हज़ार यूनिट स्वच्छता किट की सहायता समय समय पर भेजी है.
2 दशक बाद बनी फिर कायम हुआ था तालिबान का शासन अगस्त, 2021 में अफगानिस्तान से जब अमेरिकी सेना पीछे हटी तो लगभग 2 दशक बाद एक बार फिर से तालिबान का शासन अफगानिस्तान में स्थापित हो गया. इससे पहले साल 1996 में तालिबान ने अफगानिस्तान में शासन किया था, लेकिन 9/11 के बाद साल 2001 में अमेरिका ने तालिबान को शासन को खत्म कर दिया था.
पाकिस्तान से तालिबान की दूरियों का सीधा नुकसान चीन झेलेगा
साल 2021 से लेकर अब तक भारत के अधिकारियों और तालिबान शासन के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई है, लेकिन विदेश सचिव के साथ इस मुलाकात के बाद पाकिस्तान और चीन दोनों की चिंताएं बढ़ती दिखाई दे रही हैं. इसका पहला कारण है कि पाकिस्तान और तालिबान के बीच रिश्ते बहुत तनावपूर्ण स्थिति में हैं और दूसरी वजह है कि पाकिस्तान से तालिबान की दूरियों का सीधा नुकसान चीन को होगा, क्योंकि चीन ने पाकिस्तान को अपनी गोद में बिठा रखा है.
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