India Strongly Opposes China: चीन के सीमा क्षेत्र में बढ़ते कदम ने एक बार फिर से भारत की मुश्किलें बढ़ा दी है. चीन के होटन प्रांत में दो नए काउंटी बनाने के कदम ने भारतीय अधिकारियों के बीच चिंता पैदा कर दी है. विदेशी मामलों के एक्सपर्ट, रोबिंदर सचदेवा ने कहा कि चीन प्रशासनिक तंत्र अपनाकर अक्साई चिन क्षेत्र में अपने कदम बढ़ा रहा है. इसी बढ़ते कदम में चीन का होटन प्रांत में दो नए काउंटी बनाना शामिल है.
रोबिंदर सचदेवा ने शुक्रवार (3 जनवरी 2025) को न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए इस बात पर जोर दिया कि चीन की हरकतें भारत के साथ संबंध बेहतर करने की नहीं है, बल्कि वह संघर्ष को जारी रखना चाहता है. उन्होंने कहा कि चीन, अक्साई चिन क्षेत्र में अपनी पकड़ बढ़ा रहा है और धीरे- धीरे वहां अपनी उपस्थिति को बढ़ाना चाह रहा है. होटन में पहले से ही सात काउंटी है और अब दो और बनाई गई है.
‘चीन संबंधों को सुधारने के मूड में नहीं‘
सचदेवा ने आगे कहा कि हर काउंटी की अपनी प्रशासनिक राजधानी होगी. चीन अपनी पकड़ और बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है. चीन के इन कामों से यह संकेत मिलता है कि वह भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने के मूड में नहीं है. वहीं भारत का चीन के प्रति यह रुख है कि भारत इस संघर्ष को स्थिर रखना चाहता है. वहीं विशेष रुप से यारलुंग त्संगपो नदी ( ब्रह्मपुत्र नदी) में चीन की प्रस्तावित बांध परियोजना भारत के लिए चिंता का विषय है.
ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रस्तावित परियोजना के नुकसान
सचदेवा ने कहा कि भारत ‘ब्रह्मपुत्र नदी’ पर प्रस्तावित परियोजना को लेकर और अत्यधिक चिंतित है. इस परियोजना के कारण भारत में पीने और सिंचाई के लिए उपलब्ध पानी की मात्रा कम हो सकती है. उन्होंने आगे कहा कि यह बांध की लागत 140 अमेरिकी डॉलर हो सकती है. यह इतना बड़ा है कि इसका आकार भारत के लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है.
‘‘अवैध’ चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया‘
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने भी होटन प्रांत में दो नए काउंटी का स्थापना पर चीन का कड़ा विरोध किया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने चीन के होटन प्रान्त में दो नई काउंटियों की स्थापना से संबंधित घोषणा देखी है. भारत ने इस क्षेत्र में ‘अवैध’ चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने आगे कहा कि नये काउंटी बनाने से न तो क्षेत्र पर भारत की संप्रभुता के संबंध में दीर्घकालिक और सतत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही इससे चीन के ‘अवैध और जबरन कब्जे’ को वैधता मिलेगी.
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