‘छोड़ेंगे नहीं’, जब मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान पर हमला करने वाले थे मनमोहन सिंह

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Manmohan Singh Death: दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार ( 26, दिसंबर 2024) को एम्स में निधन हो गया. मनमोहन सिंह की तबीयत गुरुवार शाम को अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें एम्स (AIIMS), दिल्ली के इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया गया था. उनके शख्सियत और उनसे जुड़ी कई ऐसे किस्से हैं जो आपको जरूर जाना चाहिए.
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने अपनी आत्मकथा “फॉर द रिकॉर्ड” में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ अपने अनुभवों को बताते हुए कहा था कि मनमोहन सिंह एक संत पुरुष हैं. उन्होंने कहा था कि मनमोहन सिंह भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति बहुत गंभीर थे. कैमरन ने बताया था कि मनमोहन सिंह ने मुंबई जैसे आतंकवादी हमले की स्थिति में पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के बारे में भी बात की थी. उन्होंने कहा था कि यदि 2008 जैसे एक और आतंकी हमला होता है, तो भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करनी होगी.
पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए थे तैयारकैमरन ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत की कई यात्राओं में से एक को याद करते हुए कहा था, “प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मेरे अच्छे संबंध थे. वे एक संत पुरुष थे, लेकिन वे भारत के सामने आने वाले खतरों के बारे में भी बहुत गंभीर थे. बाद में एक यात्रा के दौरान उन्होंने मुझसे कहा कि जुलाई 2011 में मुंबई में उस (2008) जैसे एक और आतंकवादी हमला हुआ तो भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करनी होगी.” 
मनमोहन सिंह संत पुरुष क्यों?डॉ. मनमोहन सिंह को अक्सर एक संत पुरुष के रूप में संदर्भित किया जाता है. यह उनके व्यक्तित्व, विनम्रता, विद्वता, और अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदारी के कारण है. भारत के 13वें प्रधानमंत्री (2004-2014) के रूप में उनका कार्यकाल न केवल उनके नेतृत्व कौशल को दर्शाता है, बल्कि उनकी सरलता और सादगी के कारण उन्हें एक अनूठी पहचान भी मिली.
डॉ. मनमोहन सिंह ने कभी दिखावे की राजनीति नहीं की. वे बेहद सादगी से रहते थे, और उनका जीवन सच्चाई और ईमानदारी का प्रतीक था. राजनीति में एक ऐसा दौर जब घोटालों और विवादों की भरमार थी, डॉ. सिंह की छवि एक ईमानदार और पारदर्शी नेता की रही.उनके आलोचक भी उनकी ईमानदारी पर सवाल नहीं उठा सके.
अन्य नेताओं से अलग थे मनमोहन सिंह राजनीतिक असहमति और आलोचनाओं के बीच भी डॉ.मनमोहन सिंह ने अपनी शालीनता और धैर्य बनाए रखा.उन्होंने कभी भी आक्रामक भाषा का उपयोग नहीं किया,जो उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है.डॉ.मनमोहन सिंह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री हैं और भारत में 1991 के आर्थिक उदारीकरण के जनक माने जाते हैं. उनकी नीतियों ने भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिरता और विकास की ओर अग्रसर किया.

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