RG Kar: ‘पीड़िता के माता-पिता मुख्य न्यायाधीश से मांगें स्पष्टीकरण’, बोली HC की सिंगल बेंच

Must Read

<p>कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने आरजी कर अस्पताल के दुष्कर्म और हत्या के मामले की पीड़िता के माता-पिता को मुख्य न्यायाधीश की पीठ से यह स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया कि क्या वह (पीठ) इस मामले में आगे की जांच संबंधी उनकी याचिका पर सुनवाई कर सकती है या नहीं, क्योंकि वही पीठ पहले से ही मामले की सुनवाई कर रही है.</p>
<p>याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि वह उन मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं जिन पर अभी तक केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने विचार नहीं किया है और वह मामले की जांच से व्यथित हैं. सीबीआई के वकील ने कहा कि आगे की जांच जारी है और मामले के संबंध में निचली अदालत में आरोप-पत्र प्रस्तुत करने के बाद एजेंसी की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष तीन स्थिति रिपोर्ट दायर की गई हैं.</p>
<p>जस्टिस तीर्थंकर घोष के समक्ष यह मामला सूचीबद्ध था. जस्टिस तीर्थांकर घोष ने कहा कि चूंकि मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक से बलात्कार एवं उसकी हत्या की सीबीआई जांच का आदेश दिया है, इसलिए याचिकाकर्ता को इस बारे में स्पष्टीकरण प्राप्त करना चाहिए कि क्या मुख्य न्यायाधीश की पीठ याचिका पर सुनवाई कर सकती है या नहीं.</p>
<p>न्यायमूर्ति घोष ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे उनके समक्ष लाई गई याचिका के गुण-दोष पर आगे बढ़ने से पहले उचित मंच से स्पष्टीकरण मांगें. एकल पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई 15 जनवरी को फिर से होगी, तब तक स्पष्टीकरण प्राप्त कर लिया जाना चाहिए. सीबीआई ने मामले के मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया है.</p>
<p>यहां एक विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष दायर आरोप-पत्र में जांच एजेंसी ने कहा कि स्थानीय पुलिस के साथ नागरिक स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहे रॉय ने कथित तौर पर नौ अगस्त को उस वक्त अपराध किया जब प्रशिक्षु चिकित्सक खाली समय में अस्पताल के सेमिनार कक्ष में सोने गयी थी. सियालदह अदालत में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 13 दिसंबर को ताला पुलिस थाने के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल और आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को मामले के संबंध में जमानत दे दी थी.</p>
<p>उनके वकीलों के अनुसार, मामले में उन्हें जमानत दी गई थी, क्योंकि सीबीआई 90 दिन की वैधानिक अवधि के भीतर उनके खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करने में विफल रही थी. मंडल पर प्राथमिकी दर्ज करने में कथित देरी का आरोप लगाया गया था, जबकि घोष पर सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया था.</p>
<p>&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें:-</strong><br /><strong><a href=" भूमि आवंटन घोटाला मामले के आरोपी हैं’, सिद्धरमैया के नाम पर मैसुरु रोड के नामकरण के प्रस्ताव से भड़की जेडी(एस)</a></strong></p>

india, india news, india news, latest india news, news today, india news today, latest news today, latest india news, latest news hindi, hindi news, oxbig hindi, oxbig news today, oxbig hindi news, oxbig hindi

ENGLISH NEWS

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -