Rajivika: जीविका की मदद से महिलाओं के सपनों को लगा पंख, स्वरोजगार से बन रही आत्मनिर्भर, कर रही अपना व्यापार

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दौसा. दौसा जिले में महिलाएं समूह में काम कर अपने घर का खर्च चलाती हैं. इसके लिए उन्हें सरकार की ओर से भी सहायता राशि लोन के रूप में मिलती है. इसके माध्यम से वह काम करती हैं. महिलाओं को अब अपने खर्चे के लिए पति से पैसे मांगने की कोई जरूरत नहीं है. महिलाओं को स्टॉल से आमदनी होती है और वे इससे अनेक काम करती हैं जिससे प्रतिमाह हजारों रुपए की आमदनी होती है.

बैंक से क्रेडिट के रूप में मिलता है पैसाराजीविका के जिला प्रबंधक केसर सिंह राठौड़ ने बताया कि सबसे पहले महिलाएं एक समूह का गठन करती है और उसका रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है. इसके बाद सरकार की ओर से ट्रांसलेशन के रूप में 15000 की सहायता राशि दी जाती है, फिर दूसरी किस्त में 75000 की सहायता राशि उपलब्ध करवाई जाती. राजीविका के द्वारा जरूरत के अनुसार बैंक से क्रेडिट के रूप में पैसा दिया जाता है. इसके बाद महिलाओं का व्यवसाय शुरू हो जाता है.  तो महिलाएं अपना व्यवसाय करना शुरू कर देती है. राजीविका के माध्यम से महिलाओं को प्रोडक्ट बनाने के बाद उन्हें बाजारों में मेले में स्टॉल लगाने की अनुमति दी जाती है.

स्वरोजगार से चलाती हैं अपनी आजीविका  राजीविका के माध्यम से जो पैसा दिया जाता है उससे पशुपालन करना, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, पेपर प्रोडक्ट, सेनेटरी नैपकिन सहित अनेक प्रोडक्टों का उत्पादन महिलाओं के द्वारा किया जाता है. उन प्रोडक्टों के माध्यम से महिलाओं का इनकम आना शुरू हो जाता है. महिलाएं इस इनकम से अपने घर का खर्च चलाती हैं और उनको अपने पति से भी पैसे लेने की जरूरत नहीं होती है. उनका यह कार्य लगातार बढ़ता ही जाता है. महिलाओं के द्वारा जो कुछ प्रोडक्ट बनाए जाते हैं उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी भेजा जाता है जिससे बच्चे खेल सकते हैं.

आत्मनिर्भर हो रही महिलाएं स्वयं सहायता समूह की सुनीता बैरवा ने बताया कि सबसे पहले स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद हमारे द्वारा सबसे पहले ऋण लिया गया जिसके बाद कार्य शुरू किया. स्विफ्ट टॉयज के लिए सबसे पहले हमने राजीविका के माध्यम से ट्रेनिंग ली. और समूह की सारी महिलाएं मिलकर अब रोजगार करते हैं अब रोजगार करने के बाद घर का खर्च चलता है और हमें हमारे पति से अब पैसे मांगने की जरूरत नहीं है.  हम वापस उल्टे पति को पैसे देते हैं और वह घर का कार्य करते हैं. इसके साथ-साथ अनेक कार्य करते हैं, खेती का कार्य भी हम करते हैं, पशुपालन भी करते हैं.

 आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी सप्लाई होते हैं खिलोने स्वयं सहायता समूह की सुनीता बेरवा बताती है कि सॉफ्ट टॉयज बेचने के लिए सदर बाजार के मेलों में स्वयं सहायता समितियां से स्टोन लगाकर हमारे द्वारा उत्पादन की गई सामग्री को भेजते हैं. इसके लिए राजीविका द्वारा जगह उपलब्ध करवाई जाती है. हमारे द्वारा जो खिलौने बनाए जाते हैं उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी सप्लाई करते हैं.
Tags: Dausa news, Local18, Success Story, Womens Success StoryFIRST PUBLISHED : December 21, 2024, 17:51 IST

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