मालदीव में भारत के इस कदम से तिलमिला जाएगा चीन! श्रीलंका पहले ही दे चुका है ड्रैगन को झटका

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Indian Coast Guard ships: इंडियन कोस्ट गार्ड के दो प्रमुख जहाज, ICGS वैभव और ICGS अभिराज, मालदीव की राजधानी माले में चार दिवसीय यात्रा पर पहुंचे. यह यात्रा हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत के सागर ढांचे (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के तहत समुद्री सहयोग और पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी पहल है. भारत का यह कदम चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और मालदीव में उसकी बढ़ती उपस्थिति के खिलाफ भारत की सटीक कूटनीतिक चाल है.

भारत और मालदीव के बीच रक्षा और समुद्री सहयोग को मजबूत करने के लिए यह पहल की गई है. ICG जहाज समुद्री सुरक्षा और आपदा प्रबंधन में मदद करेंगे. ICG जहाज प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत और बचाव अभियान में मददगार साबित होंगे. वहीं, कल श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कहा था कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देंगे. ये बात हंबनटोटा पोर्ट पर चीन के प्रभाव को लेकर की गई थी.

चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने का प्रयास

चीन ने मालदीव में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के जरिए अपनी मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश की है. भारत के इस कदम से मालदीव में चीन के प्रभाव को चुनौती मिलेगी और IOR में भारत की रणनीतिक भूमिका को और मजबूती मिलेगी. हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा न केवल मालदीव, बल्कि भारत और अन्य पड़ोसी देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है. ICG जहाज क्षेत्र में सुरक्षित समुद्री यातायात सुनिश्चित करेंगे.

क्यों चीन में होगी खलबली ?

मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान पर स्थित है. चीन ने ‘साउथ-साउथ कोऑपरेशन’ के तहत मालदीव में बंदरगाह और एयरपोर्ट परियोजनाओं में निवेश किया है. भारत का यह कदम, चीन की इन कोशिशों को जवाब देने वाला साबित हो सकता है. चीन का Belt and Road Initiative (BRI) मालदीव के जरिए हिंद महासागर में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है. वहीं, ICG की मौजूदगी मालदीव में भारत के प्रभाव को बढ़ाएगी और BRI के तहत चीन की कोशिशों को कमजोर करेगी.

मिशन की अगली कड़ी श्रीलंका का दौरा

मालदीव की यात्रा के बाद, जहाज श्रीलंका के कोलंबो और गाले बंदरगाहों का दौरा करेंगे. यह यात्रा भारत-श्रीलंका के बीच समुद्री सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने का एक और कदम होगी.

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