क्‍यों गर्त में जा रहा रुपया! कमजोर हो रही भारतीय करेंसी, कौन है इसका जिम्‍मेदार

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नई दिल्‍ली. विकास के रथ पर सवार भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए 2 सबसे बड़ी चुनौतियां सिर उठा रही हैं. इसका असर सरकार, अर्थव्‍यवस्‍था और आम आदमी सभी पर पड़ेगा और इस मुश्किल से निकलने का रास्‍ता भी फिलहाल आसान नजर नहीं आ रहा. सबसे बड़ी मुश्किल तो है भारतीय करेंसी में आ रही लगातार गिरावट. फॉरेन एक्‍सचेंज पर मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया अपने ऐतिहासिक निचले स्‍तर 84.93 पर पहुंच गया. आखिर रुपये में लगातार आ रही इस गिरावट का मतलब क्‍या है और कौन इसके लिए जिम्‍मेदार है.

साल 2024 में ही देखें तो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 2 फीसदी से ज्‍यादा टूट चुका है. आशंका ये भी है कि इसी सप्‍ताह भारतीय करेंसी 85 रुपये के स्‍तर तक चली जाएगी, जो पूरी अर्थव्‍यवस्‍था पर दबाव बढ़ाने वाला जोखिम है. जब इसकी वजह तलाशने निकले तो पता चला कि देश में ऐसे सामानों की बढ़ती खपत ही सबसे ज्‍यादा जिम्‍मेदार है, जिसे बाहर से मंगाना पड़ता है. इसकी वजह से न सिर्फ हमारा व्‍यापार घाटा बढ़ता जा रहा है, बल्कि रुपये में गिरावट भी दिख रही है.

रिकॉर्ड स्‍तर पर व्‍यापार घाटानिर्यात के मुकाबले आयात ज्‍यादा करने की वजह से देश का व्‍यापार घाटा नवंबर में रिकॉर्ड 37.84 अरब डॉलर (3.21 लाख करोड़ रुपये) पहुंच गया है, जो अक्‍टूबर में 27.14 अरब डॉलर (2.30 लाख करोड़ रुपये) रहा था. अगर पिछले साल की समान अवधि का आंकड़ा देखें तो नवंबर, 2023 में व्‍यापार घाटा 21.31 अरब डॉलर (1.81 लाख करोड़ रुपये) रहा था, जो इस साल के मुकाबले काफी कम है.

कितना गिरा देश का निर्यातव्‍यापार घाटे में हो रही बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह देश के निर्यात में आई गिरावट है, जो सालाना आधर पर 4.9 फीसदी कम रहा. यह नवंबर में 32.11 अरब डॉलर के साथ 25 महीने के निचले स्‍तर पर चला गया है. इसी दौरान आयात में 27 फीसदी से भी ज्‍यादा का उछाल दिख रहा है, जो नवंबर में 69.95 अरब डॉलर पहुंच गया. यही वजह रही कि व्‍यापार घाटे में अचानक इतना बड़ा उछाल दिखने लगा.

क्‍या है इसकी असल वजहव्‍यापार के आंकड़े देखें तो साफ पता चलता है कि देश में आयातित सामानों का इस्‍तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. इसमें सबसे ज्‍यादा उछाल तो सोने में दिखा जो पिछले साल के मुकाबले इस साल नवंबर में 50 फीसदी बढ़कर 49.08 अरब डॉलर पहुंच गया है. सरकार ने जैसे ही सोने पर कस्‍टम ड्यूटी 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी की, इसके आयात में जबरदस्‍त उछाल देखा गया. रुपये में गिरावट की वजह से अर्थव्‍यवस्‍था पर भी दबाव आ रहा, क्‍योंकि आयात के लिए अब सरकार को डॉलर के मुकाबले ज्‍यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं.
Tags: Business news, Indian export, Trade MarginFIRST PUBLISHED : December 17, 2024, 14:43 IST

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