GK: क्या है डे लाइट सेविंग टाइम जिसे बंद करना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रम्प, क्या होता है इससे नुकसान?

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अमेरिका में सर्दियां शुरू होते ही घड़ियों का समय एक घंटा पीछे कर दिया जाता है. जिससे लोग दिन की रोशनी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकें. सर्दियां खत्म होते ही घड़ियों का समय वापस आगे कर लिया जाता है. इस डे लाइट सेविंग टाइम की व्यवस्था को अब खत्म किया जाएगा. ऐसा ऐलान पिछले महीने ही अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए डोनाल्ड ट्रम्प ने किया है. उनकी कहना है कि इससे अमेरिका को नुकसान होता है. पर आखिर से डे लाइट सेविंग टाइम है क्या और क्यों इसे खत्म करने की जरूरत बताई जा रही है.  आइए जानते हैं कि क्या है ये डे लाइट और इसके पीछे की साइंस क्या है?

क्यों पीछे की जाती है घड़ी
दुनिया के कई देशों में सर्दियों में दिन बहुत ही छोटे हो जाते हैं, और रात बहुत लंबी होती हैं. ऐसे में दफ्तरों में ज्यादा बिजली ना खर्च हो, सर्दी आते ही देश की घड़ियों का समय पीछे कर लिया जाता है, जिससे लोगों का दिन दिन की रोशनी में ही  शुरू हो और शाम को अंधेरा होने से पहली  ऑफिस भी जल्दी बंद हो जाएं जिससे दफ्तरों में दिन की रोशनी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो सके. इसी लिए इसका नाम भी डेलाइट सेविंग टाइम पड़ा है.

आखिर क्यों बदलते हैं दिन और रात के वक्त?
ऐसा दुनिया के हर देश में नहीं होता है. ऐसा उन देशों में अधिक होता है जो ध्रुवों के अधिक पास हैं, जहां सर्दियों में दिन ज्यादा ही छोटे और रातें बहुत ज्यादा लंबी हो जाती हैं. पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ सूर्य का भी चक्कर लगाती है. लेकिन यह धुरी सूर्य का चक्कर लगाने वाले तल के लंबवत नहीं है, यानी उसकी तुलना में सीधी नहीं खड़ी है. अगर ऐसा होता तो साल के 12 महीने ही दुनिया के हर देश में दिन और रात की लंबाई एक ही जितनी होती, लेकिन ऐसा नहीं है. पृथ्वी की धुरी 23.5 डिग्री झुकी हुई है. इस झुकाव की वजह से ही यहां दिन रात के समय की लम्बाई मौसम के हिसाब से बदल जाती है.

पृथ्वी का अपनी धुरी पर झुकाव ही डे लाइट सेविंग के कारणों को पैदा करता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

कब होते हैं दिन छोटे और कब लंबे?
इसी झुकाव की वजह से साल के छह महीने मार्च से सितंबर तक उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर ज्यादा झुका होता है, जिससे यहां दिन लंबे और रात छोटी होती है. यह बदलाव भूमध्य रेखा के पास के देशों में बहुत कम, लेकिन ध्रुवीय देशों के पास के देशों में ज्यादा होता है. सर्दियों में उल्टा होता है, दिन छोटे और रात लंबी होती हैं. यही हाल मार्च से सितंबर के दौरान दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में होता है. ‘

अमेरिका में कब बदलता है समय
अमेरिका और यूरोप के बहुत से देश उत्तरी ध्रुव के पास होने के कारण डे लाइट सेविंग टाइम का उपयोग करते हैं.  अमेरिका में यह बदलाव मार्च के दूसरे रविवार और नवंबर के पहले रविवार को होता है. घड़ियों में यह बदालव स्थानीय समय 2 बजे शुरू होता है. ट्रम्प और रिपब्लिकन्स की दलील है कि बार बार घड़ियों को आगे पीछे करना बेवकूफी है. क्योंकि यह काफी असहजता और पैसा के नुकासन की वजह बनती है.

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अमेरिका में सर्दियों में डे लाइट सेविंग के लिए समय एक घंटा पीछे कर लिया जाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

क्या होते हैं इससे नुकसान?
कई एक्सपर्ट्स का मानाना है कि डे लाइट सेविंग टाइम सेहत के लिए बहुत नुकसानदायी होता है क्योंकि इससे शरीर की बॉडी क्लॉक को काफी एडजस्ट करना होता है. इससे दिमागी परेशानी, स्ट्रोक, दिल का दौरा आदि कई समस्याएं आती हैं और कई लोग तो परेशान हो कर आत्महत्या भी करते हैं. इसके अलावा इससे लोगों को भी घर को ज्यादा समय तक गर्म रखने की जरूरत होती है और ऐसे में यह खर्चीला हो जाता है.

भारत में डे लाइट सेविंग टाइमिंग की जरूरत दक्षिण और मध्य में महसूस नहीं होती क्योंकि वह भूमध्य रेखा के पास है. हां उत्तर भारत में जरूर हम सर्दियों में दिन की लंबाई काफी कम और रातें लंबी देखते हैं, फिर भी यह ध्रुवों के से दूर होने के कारण, यहां पर भी डे लाइट सेविंग की जरूरत महसूस नहीं होती है.

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