बांग्लादेश की जेल में बंद चिन्मय दास को राहत नहीं, अदालत का जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई से NO

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Bangladesh Ruckus: बांग्लादेश की एक अदालत ने बुधवार (11 दिसंबर, 2024) को गिरफ्तार हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर सुनवाई जल्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशन जज सैफुल इस्लाम ने याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि वकील के पास दास की ओर से पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं थी.

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत के एक अधिकारी ने बताया, “वकील रवींद्र घोष ने अग्रिम सुनवाई की मांग तब की जब एक अन्य वकील ने न्यायाधीश को बताया कि उनके (घोष के) पास साधु का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं है. इसके बाद न्यायाधीश ने याचिका खारिज कर दी.”

‘चिन्मय दास को झूठे मामले में फंसाया गया’

अपनी याचिका में गोशे ने आरोप लगाया कि दास को एक “झूठे और मनगढ़ंत मामले” में गिरफ्तार किया गया, जबकि वह मधुमेह, अस्थमा और अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं. हालांकि, वकील ने माना कि वह दास से हस्ताक्षरित पावर ऑफ अटॉर्नी लेने जेल नहीं गए थे. उन्होंने कहा, “मैं अब जेल में चिन्मय से मिलूंगा और वकालतनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) लूंगा.”

यह सुनवाई 3 दिसंबर को होनी थी, लेकिन अभियोजन पक्ष के सुझाव पर अदालत ने इसकी तारीख 2 जनवरी, 2025 तक के लिए टाल दी, क्योंकि अभियोजन पक्ष की ओर से कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ.

चिन्मय दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया

25 नवंबर को चिन्मय कृष्ण दास को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया. अगले दिन चटगांव की एक अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया, उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी क्योंकि उन पर देश के झंडे का कथित रूप से अपमान करने के लिए देशद्रोह का आरोप लगाया गया था. उनकी गिरफ्तारी के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, उनके अनुयायियों ने ढाका और अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किया, जबकि चटगांव में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जहां एक वकील की हत्या कर दी गई.

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