नई दिल्ली. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने खाद्य मुद्रास्फीति और उच्च ब्याज दरों से निपटने के लिए नीतिगत बदलावों की मांग की है. शनिवार को मुंबई में सीएनबीसी-टीवी18 इंडिया बिजनेस लीडर अवार्ड्स (आईबीएलए) को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भले उन्हें आरबीआई के फैसलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है, लेकिन वे केवल मुख्य आर्थिक सलाहकार के विचारों को दोहरा रहे थे. पीयूष गोयल ने यह भी सवाल उठाया कि ब्याज दरें टमाटर और दाल जैसी वस्तुओं की मांग को कैसे प्रभावित कर सकती हैं.
गोयल ने भारत की आर्थिक मजबूती पर विश्वास जताया और जारी वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी में आई मंदी को अस्थायी चुनावी कारणों से जोड़ा. साथ ही उन्होंने देश की व्यापक आर्थिक बुनियादी बातों की मजबूती पर जोर दिया. आपको बता दें कि आरबीआई ने 6 दिसंबर को संपन्न हुई मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीसी) के फैसले सुनाते हुए इस बार भी रेपो रेट में कटौती नहीं की.
उन्होंने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था शेयर बाजारों की तरह तिमाही दर तिमाही नहीं चलती. सभी व्यापक आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था की बुनियादी ताकत बरकरार है.” मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था शेयर बाजार की तरह अल्पकालिक तिमाही रुझानों से संचालित नहीं होती है. गोयल ने यह भी पुष्टि की कि व्यापक आर्थिक आंकड़े संकेत देते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियादी ताकत स्थिर बनी हुई है. गोयल ने कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
गोयल ने वित्तीय तीसरी तिमाही में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में सुधार के संकेतों को उजागर किया. उन्होंने कहा, “तीसरी तिमाही में अधिक कैपेक्स खर्च के संकेत पहले से ही दिखाई दे रहे हैं. प्रधानमंत्री स्वयं प्रगति पहल के माध्यम से बड़े परियोजनाओं की निगरानी कर रहे हैं, यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि निवेश में किसी भी प्रकार की रुकावटों को तुरंत दूर किया जाए.”
Tags: Business news, Piyush goyal, Rbi policyFIRST PUBLISHED : December 7, 2024, 23:29 IST
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