Russia-Belarus Mutual Security Treaty: रूस और बेलारूस पहले से ही सैन्य और राजनीतिक साझेदार हैं. पश्चिम के साथ बढ़ते तनाव के बीच दोनों देश आपसी सुरक्षा संधि को अंतिम रूप देने के लिए तैयार हैं. यह संधि दोनों देशों की मौजूदा सुरक्षा और सामरिक सहयोग को और मजबूत करेगी. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को इस संधि की जानकारी देते हुए इसे एक पारस्परिक पहल बताया.
दरअसल, यह घोषणा बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मिन्स्क में एक शिखर सम्मेलन के साथ हुई थी. इस समझौते के बारे में 3 मुख्य बातें इस प्रकार हैं.
1. म्यूच्यूअल सिक्योरिटी कमिटमेंट्स
आरआईए न्यूज एजेंसी रिपोर्ट के मुताबिक यह संधि आपसी सुरक्षा गारंटी को औपचारिक रूप देगी, यह सुनिश्चित करते हुए कि दोनों देश एक-दूसरे के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. “यह एक बिल्कुल रेसिप्रोकाल इनिशिएटिव है,”
2. परमाणु रक्षा का एकीकरण
यह समझौता पुतिन के हाल ही में परमाणु हमले की सीमा को कम करने और रूस के परमाणु छत्र को बेलारूस तक विस्तारित करने के निर्णय के बाद हुआ है. 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद बेलारूस से परमाणु हथियार वापस ले लिए गए थे. हालांकि, मास्को ने पश्चिमी आक्रमण के खिलाफ बचने के लिए पिछले वर्ष देश में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स तैनात किए थे. जबकि ये हथियार अभी भी रूस के कंट्रोल में है.
3. कोऑर्डिनेट मिलिट्री ऑपरेशन
यह संधि पहले से ही सैन्य साझेदारी को और मजबूत बनाती है.मास्को और मिन्स्क लगातार साथ अभ्यास करते हैं. वहीं, रूस के नेतृत्व वाला Post-Soviet military groups अगले सितंबर में बेलारूस में अभ्यास की योजना बना रहा है. यह समझौता क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों के जवाब में उनकी सैन्य रणनीतियों के और ज्यादा एलाइनमेंट का संकेत देता है. यह संधि दोनों देशों के बीच गहरे होते गठबंधन को बयां करती है .
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