भारत का संविधान ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ है या नहीं? 25 नवंबर को तय कर सकता है SC

Must Read

<p style="text-align: justify;">संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द हटाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 25 नवंबर को आदेश देगा. 1976 में संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के ज़रिए यह शब्द जोड़े गए थे. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि इमरजेंसी के दौरान गलत तरीके से प्रस्तावना को बदला गया. समाजवाद जैसी किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा को संविधान का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता.</p>
<p style="text-align: justify;">याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि प्रस्तावना को 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा ने स्वीकार किया था. बिना उस तारीख को बदले सीधे प्रस्तावना में बदलाव कर देना सही नहीं था. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस याचिकाकर्ताओं की दलीलों से आश्वस्त नजर नहीं आए. उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता संविधान का हिस्सा है. समाजवाद को भी विशेष राजनीतिक विचारधारा की जगह सबके लिए समान दर्जे की तरह देखना चाहिए.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>बिना किसी चर्चा के राजनीतिक कारणों प्रस्तावना में डाले गए ये शब्द</strong></p>
<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट में दाखिल तीन याचिकाओं में कहा गया है कि 1976 में 42वें संविधान संशोधन के जरिए प्रस्तावना में यह शब्द जोड़े गए थे. तब इमरजेंसी लगी थी. विपक्ष के नेता जेल में थे. बिना किसी चर्चा के राजनीतिक कारणों से यह शब्द प्रस्तावना में डाल दिए गए.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>संविधान सभा में किस शब्द पर हुई चर्चा?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">याचिकाकर्ता बलराम सिंह के वकील विष्णु जैन और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने यह भी कहा कि संविधान सभा ने काफी चर्चा के बाद यह तय किया था कि ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द प्रस्तावना का हिस्सा नहीं होगा. इस पर दो जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले कई फैसलों में धर्मनिरपेक्षता को संविधान का अभिन्न हिस्सा कह चुका है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>’समाजवाद’ शब्द पर क्या बोले जस्टिस खन्ना?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">सुनवाई के दौरान यह बात भी उठी कि ‘समाजवाद’ एक किस्म की राजनीतिक विचारधारा है. हर विचारधारा के व्यक्ति को समाजवादी होने की शपथ दिलाना गलत है. इस पर चीफ जस्टिस खन्ना ने कहा कि ‘समाजवाद’ को किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा की तरह नहीं देखना चाहिए. भारत में इसका अर्थ यह है कि संविधान समाज के हर वर्ग को एक जैसे अधिकार देता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>&lsquo;सभी पहलुओं की चर्चा करेंगे जज&rsquo;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि कोर्ट को मामले को विस्तार से सुनना चाहिए. यह देखना चाहिए कि प्रस्तावना को 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा ने स्वीकार किया था, लेकिन 1976 में उसे बदल दिया गया. इस संशोधन के बाद भी प्रस्तावना में यही लिखा है कि उसे 26 नवंबर 1949 को स्वीकार किया गया. जजों ने कहा कि वह अपने आदेश में सभी पहलुओं की चर्चा करेंगे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें- <a href=" for Vote: कैशकांड पर विनोद तावड़े ने राहुल-खरगे-श्रीनेत को भेजा 100 करोड़ का नोटिस, बोले- ‘माफी मांगे वरना होगी कानूनी कार्रवाई'</a></strong></p>

india, india news, india news, latest india news, news today, india news today, latest news today, latest india news, latest news hindi, hindi news, oxbig hindi, oxbig news today, oxbig hindi news, oxbig hindi

ENGLISH NEWS

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -