ट्रंप के आने से कोई फर्क नहीं, रूस से दोस्‍ती पक्‍की..और क्‍या बोले जयशंकर

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नई दिल्‍ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि इस समय अधिक विविधतापूर्ण, बहुध्रुवीय दुनिया की तरफ रुझान बना हुआ है लेकिन पुरानी, औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं का दौर खत्म नहीं हुआ है. अभी भी ये निवेश का प्रमुख लक्ष्य बनी हुई हैं. उन्‍होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति के रूप में वापसी के बाद तमाम देश अमेरिका को लेकर थोड़े घबराए हुए हैं, लेकिन भारत उनमें से एक नहीं है. एस जयशंकर ने रविवार को एक कार्यक्रम में यह बात कही. वहीं, सोमवार को भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित करते हुए उन्‍होंने भारत के वैश्विक दृष्टिकोण को स्‍पष्‍ट करते हुए कहा कि हमारा रवैया ‘लेन-देन वाला’ नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य अन्य देशों के साथ दीर्घकालिक साझेदारी विकसित करना है. भारत-रूस संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि दोनों अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं. भारत 8 फीसदी की दर से बढ़ रहा देश है और रूस एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन प्रदाता और प्रौद्योगिकी संपन्‍न राष्‍ट्र है. दोनों मिलकर दुनिया की अच्‍छी सेवा करेंगे.

विदेश मंत्री ने भारत-अमेरिका संबंधों और ट्रंप की जीत पर कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संभवतः उन पहले तीन लोगों में थे, जिनसे नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने बात की.” भारत और प्रधानमंत्री मोदी ने कई राष्ट्रपतियों के साथ तालमेल बनाया है. उन्होंने कहा, “आज बहुत सारे देश अमेरिका को लेकर घबराए हुए हैं…. लेकिन हम उनमें से नहीं हैं.” जयशंकर ने वैश्विक शक्ति की गतिशीलता के बारे में पूछे जाने पर कहा, “हां, बदलाव हुआ है. हम खुद इस बदलाव का उदाहरण हैं… अगर आप हमारे आर्थिक वजन को देखते हैं तो आप हमारी आर्थिक रैंकिंग को देखते हैं, आप भारतीय कॉरपोरेट जगत, उनकी पहुंच, उनकी मौजूदगी, भारतीय पेशेवरों को देखते हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि पुनर्संतुलन हुआ है.”

भारत-रूस संबंध पर खुलकर बोले विदेश मंत्री सोमवार को भारत-रूस मंच को संबोधित करते हुए जयंशकर ने साफ संकेत दिए कि रूस के साथ भारत के संबंधों के बीच कोई देश रोड़ा नहीं बन सकता. साथ ही उन्‍होंने भारत और रूस के बीच बढ़ते व्यापार घाटे के मुद्दे को हल करने के लिए ‘तत्काल’ कदम उठाने की जरूरत है पर भी बल दिया. जयशंकर ने रूस के साथ व्यापार संतुलन को बेहतर बनाने में मदद के लिए गैर-शुल्क और नियामकीय बाधाओं को दूर करने की भी वकालत की.

उन्होंने कहा, “व्यापार संतुलन को तत्काल सुधारने की आवश्यकता है क्योंकि यह एकतरफा है. इसके लिए जरूरी है कि गैर-शुल्क बाधाओं और नियामकीय अड़चनों को दूर किया जाए.’’ उन्होंने कहा कि वर्तमान में दोनों देशों का आपसी व्यापार 66 अरब डॉलर है. उन्‍होंने कहा कि रूस ने 2022 से एशिया पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है. इससे सहयोग के कई और अवसर पैदा हुए हैं.

राष्‍ट्रीय मुद्राओं पर भी की बात जयशंकर ने राष्ट्रीय मुद्राओं में, खासकर ‘मौजूदा परिस्थितियों’ में व्यापार के आपसी निपटान की वकालत की. विदेश मंत्री ने कहा, “विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते अभी एक प्रभावी तंत्र हैं. हालांकि, अल्पावधि में भी राष्ट्रीय मुद्रा निपटान के साथ बेहतर व्यापार संतुलन जरूरी है.” जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मॉस्को में वार्षिक शिखर सम्मेलन और पिछले महीने कज़ान में हुई बैठक ने ‘रणनीतिक दिशा’ प्रदान की है.

25.11 अरब डॉलर है व्‍यापार घाटा चालू वित्त वर्ष (2024-25) में अप्रैल-अगस्त में भारत का रूस को निर्यात केवल 2.24 अरब डॉलर रहा, जबकि इस अवधि के दौरान आयात बढ़कर 27.35 अरब डॉलर हो गया. इस तरह व्यापार घाटा 25.11 अरब डॉलर के उच्चस्तर पर पहुंच गया है. ऊंचे व्यापार घाटे की मुख्य वजह रूस से कच्चे तेल का आयात है.

रूस फिलहाल भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है. कच्चे तेल को रिफाइनरी में पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदला जाता है. फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद कुछ यूरोपीय देशों द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद से परहेज करने के बाद रूसी तेल छूट पर उपलब्ध था, जिससे भारत ने वहां से आयात बढ़ाया है.

(भाषा इनपुट के साथ)
Tags: India Russia bilateral relations, India US, S JaishankarFIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 20:25 IST

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