येदियुरप्पा, श्रीरामुलु पर चलेगा मुकदमा; कर्नाटक स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने की सिफारिश

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Karnataka: कर्नाटक में पिछली भाजपा नीत सरकार के दौरान हुए कथित कोविड-19 घोटाले की जांच रिटायर्ड हाई कोर्ट के जज माइकल डी कुन्हा कर रहे हैं. डी कुन्हा की अध्यक्षता में जांच आयोग में आयोग गठित किया गया था और रिपोर्ट पेश होने के बाद कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और स्वास्थ्य मंत्री बी श्रीरामुलु के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की है. 
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राव ने कहा कि यह स्पष्ट है कि कोविड-19 के दौरान उपकरणों एवं दवाओं की खरीद में लूट-खसोट हुई थी. मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट कांग्रेस के इस आरोप को साबित करती है कि तत्कालीन सरकार ने स्थिति का दुरुपयोग करते हुए मृतकों के नाम पर पैसा बनाया.
राव ने कहा, ‘‘कुछ खामियां थीं. महामारी के दौरान कोई भी उनसे सवाल नहीं कर सकता था. उस स्थिति का फायदा उठाते हुए तत्कालीन सरकार ने नियमों का उल्लंघन किया और लूट-खसोट की तथा अपने लिए सुविधाजनक फैसले किए. तब विपक्षी दल के रूप में, हमने (कांग्रेस) इस मुद्दे को उजागर करने की कोशिश की.” 
छह-सात महीने में आएगी दूसरी रिपोर्ट
राव का कहना है कि राज्य में सत्ता में आने के बाद हमने जांच कराने और रिपोर्ट सौंपने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया.’’ उन्होंने कहा कि आयोग ने प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है और दूसरी रिपोर्ट छह-सात महीने में सौंपी जा सकती है क्योंकि बहुत सारे दस्तावेजों की जांच करनी होगी. गठित की गई कैबिनेट उप-समिति ने रिपोर्ट पर चर्चा की है और यह सच है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री श्रीरामुलु का सीधे तौर पर नाम लिया गया है.”
14 करोड़ का नुकसान
पीपीई किट की खरीद में लगभग 14 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इसे नियमों का उल्लंघन कर अधिक कीमत पर खरीदा गया था. देश में इनकी उपलब्धता होने के बावजूद इन्हें चीन-हांगकांग से खरीदा गया था.’’ उन्होंने रिपोर्ट में लगाये गए गंभीर आरोपों का हवाला देते हुए येदियुरप्पा और श्रीरामुलु को 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव के प्रचार से दूर रहने की सलाह दी. उन्होंने यह भी कहा कि जांच के दौरान श्रीरामुलु के बाद स्वास्थ्य मंत्री का पद संभालने वाले व्यक्ति के खिलाफ आरोप सामने आ सकते हैं. 
सरकार ने किया था समिति गठित करने का फैसला
प्रारंभिक रिपोर्ट 31 अगस्त को न्यायमूर्ति माइकल डी कुन्हा की ओर से सौंपी गई थी. सरकार ने रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई करने के लिए पिछले महीने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) और एक कैबिनेट उप-समिति गठित करने का फैसला किया था. इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के नेतृत्व में सात सदस्यीय कैबिनेट उप-समिति गठित की. गृह मंत्री जी परमेश्वर, कानून मंत्री एच के पाटिल, स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव, ग्रामीण विकास मंत्री प्रियंक खरगे, श्रम मंत्री संतोष लाड और चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल समिति के सदस्य हैं. 
उप चुनाव के बाद होगी बैठक
रिपोर्ट के हवाले से आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पीपीई किट सौदे में निर्धारित शर्तें नियमों का उल्लंघन थीं, कंपनियों के पक्ष में थीं, जिसमें उन्हें 14 करोड़ रुपये अधिक का भुगतान किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट में येदियुरप्पा एवं श्रीरामुलु के खिलाफ कार्रवाई और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की गई है. सरकार का ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ का कोई इरादा नहीं है. उक्त सिफारिश के बाद, कैबिनेट उप-समिति की एक बैठक हुई और उप चुनाव खत्म होने के बाद एक और बैठक आयोजित की जाएगी.
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