हाइलाइट्सअमेरिका ने 19 भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन कंपनियों पर रूस को युद्ध में मदद देने का आरोप है. पहले भी अमेरिका भारतीय कंपनियों पर बैन लगा चुका है. नई दिल्ली. यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में रूस की मदद करने का आरोप लगाकर अमेरिका ने कई देशों की करीब करीब 400 कंपनियों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाए हैं. इनमें 19 भारतीय कंपनियां और दो व्यक्ति भी शामिल हैं. अमेरिका का आरोप है कि ये कंपनियां फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस को ऐसा साजो-सामान उपलब्ध करवा रही हैं, जिनका इस्तेमाल रूस युद्ध में कर रहा है. वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 19 कंपनियों ने किसी भारतीय कानून का उल्लंघन नहीं किया है. भारत डिफेंस एक्सपोर्ट से जुड़े मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करता है. अमेरिकी प्रतिबंध के बाद सवाल उठ रहे हैं कि इस कदम से अमेरिका को क्या हासिल होगा? क्या भारत-अमेरिका के रिश्ते बिगड़ेंगे? बैन की गई भारतीय कंपनियों पर क्या असर होगा और क्या यह फैसला अमेरिकी चुनाव को ध्यान में रखते हुए तो नहीं लिया गया?
इन सवालों का जवाब तलाशने से पहले हम उन कंपनियों के बारे में जान लेते हैं, जिन पर रूस को ऐसी सामग्री मुहैया कराने का आरोप है, जिसका इस्तेमाल वह युद्ध के लिए हथियार बनाने में कर रहा है. अमेरिका ने आभार टेक्नोलॉजीज एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डेनवास सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, एमसिस्टेक, गैलेक्सी बियरिंग्स लिमिटेड, ऑर्बिट फिनट्रेड एलएलपी, इनोवियो वेंचर्स, केडीजी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, खुशबू होनिंग प्राइवेट लिमिटेड, लोकेश मशीन्स लिमिटेड, पॉइंटर इलेक्ट्रॉनिक्स, आरआरजी इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, शार्पलाइन ऑटोमेशन प्राइवेट लिमिटेड, शौर्य एयरोनॉटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, श्रीजी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड और श्रेया लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड को प्रतिबंधित सूची में रखा है.
कंपनियों ने ये सामान किया था सप्लाई जिन भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है इनमें से ज्यादातर कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सप्लायर हैं, जबकि कुछ कंपनियां विमान के पुर्जे, मशीन टूल्स आदि भी सप्लाई करती हैं. अमेरिका का कहन है कि भारतीयों कंपनियों ने रूस को माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल आइटम और केमिकल सप्लाई किए, जिन्हें कॉमन हाई प्रायोरिटी लिस्ट (सीएचपीए) में शामिल किया गया है. इन वस्तुओं की पहचान अमेरिकी वाणिज्य विभाग के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो के साथ-साथ यूके, जापान और यूरोपीय संघ ने की है.
चार ही कंपनियों पर आरोपों का किया खुलासा अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत की 19 में से चार कंपनियों के खिलाफ लगे आरोपों का ही विवरण दिया है. अमेरिका का आरोप है कि भारतीय कंपनी एसेंड एविएशन ने मार्च 2023 और मार्च 2024 के बीच रूस स्थित कंपनियों को 700 से ज़्यादा शिपमेंट भेजे हैं. इसमें क़रीब 1 करोड़ 70 लाख रुपये से ज़्यादा कीमत की सीएचपीए वस्तुएं शामिल थीं. मास्क ट्रांस कंपनी ने जून 2023 से अप्रैल 2024 के बीच करीब 2.5 करोड़ रुपये की वो वस्तुएं भेजीं जिनका इस्तेमाल रूस ने एविएशन से जुडे़ कामों में किया. टीएसएमडी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर आरोप है कि उसने 3.6 करोड़ रुपये से अधिक का सामान रूसी कंपनियों को दिया, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक इंटेग्रेटेड सर्किट, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और दूसरे फिक्स कैपेसिटर शामिल थे. फुट्रेवो कंपनी पर आरोप है कि उसने जनवरी 2023 से फरवरी 2024 के बीच करीब 12 करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक सामान ड्रोन बनाने वाली एक रूसी कंपनी को भेजा.
क्या अमेरिका बैन से रूस पर कस पाएगा नकेल?अमेरिका चाहता है कि रूस की अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाए और उसकी डिफेंस इंडस्ट्री को वो सामान ना मिल पाए, जिसकी मदद से वह युद्ध लड़ रहा है. ऐसा नहीं है कि अमेरिका ने कंपनियों पर ये बैन पहली बार लगाया है. इससे पहले भी वह भारत सहित कई देशों की कंपनियों पर प्रतिबंध लगा चुका है. लेकिन, इन प्रतिबंधों से रूस की डिफेंस इंडस्ट्री को होने वाली सप्लाई पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है. यही वजह है कि वह दो साल से यूक्रेन के साथ डटकर युद्ध लड़ रहा है.
भारतीय कंपनियों पर क्या होगा असर?अमेरिका के प्रतिबंध के जरिए इन कंपनियों को स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम में ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है. इससे कंपनियां उन देशों से लेन-देन नहीं कर पाती हैं, जो रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ हैं. जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा है, उनकी संपत्तियां भी उन देशों में फ्रीज हो सकती हैं, जो इस बैन के पक्ष में हैं. लेकिन, जानकारों का कहना है कि प्रतिबंधों से भारतीय कंपनियों पर ज्यादा असर नहीं होगा.
प्रतिबंधित कंपनियों की लिस्ट में शामिल भारतीय कंपनी श्रीजी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक प्रवीण त्यागी ने प्रतिबंधों पर कहा, “मुझे नहीं पता कि ये प्रतिबंध हम पर क्यों लगाए गए हैं. लेकिन इसका हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि हम न तो अमेरिका से आयात करते हैं और न ही अमेरिका को निर्यात करते हैं.”
टीएसएमडी ग्लोबल के निदेशक राहुल कुमार सिंह ने कहा, “मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि अमेरिका ने कंपनी पर प्रतिबंध क्यों लगाया है. हम ऑटोमोबाइल पार्ट्स और कृषि उपकरणों के आपूर्तिकर्ता हैं. हमारी कंपनी का अमेरिका से कोई कारोबार नहीं है. अमेरिकी प्रतिबंध का कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
क्या बिगड़ जाएंगे भारत-अमेरिका के संबंध? भारत और अमेरिका के संबंधों में पिछले कुछ समय से तनाव देखा जा रहा है. खालिस्तानी समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू के हत्या प्रयास के मामले को लेकर दोनों देश आमने-सामने हैं. लेकिन, 19 भारतीय कंपनियों पर बैन लगाने का बड़ा असर दोनों देशों के संबंधों पर नहीं होगा. दोनों ही देश एक-दूसरे के बड़े व्यापारिक सांझेदार हैं. इसके अलावा जिन कंपनियों पर बैन लगाया गया है, उनका कारोबार भी अमेरिका में नहीं है. न ही ये कंपनियां भारतीय रक्षा क्षेत्र की बड़ी खिलाड़ी हैं.
क्या राष्ट्रपति चुनाव है इस बैन का कारण? अमेरिका में पांच नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डोनल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कांटे का मुकाबला है. कमला हैरिस ने पहले ट्रंप पर बढ़त बनाई थी, लेकिन अब मामला पलट रहा है. डेमोक्रेटिक उम्मीदवार और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को चुनाव में कुछ माइलेज दिलाने को बाइडेन प्रशासन ने कई देशों की कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है, ऐसा भी बहुत से लोगों का मानना है.
इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मनोरंजन शर्मा का कहना है कि ये उपाय 5 नवंबर को अमेरिका में होने वाले अमेरिकी चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास हो सकते हैं. दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध से रूस न आर्थिक और न सैन्य रूप से उतना कमजोर हुआ है, जितना दावा बाइडेन प्रशासन करता रहा है. इसलिए जनता को ये दिखाने को की अमेरिकी सरकार हर हाल में रूस को हराकर रहेगी, कई देशों की कंपनियों पर प्रतिबंधों की चाल चली गई है.
Tags: America News, Business news, India USFIRST PUBLISHED : November 3, 2024, 09:46 IST
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