1 रुपये से भी कम का मटन रोस्ट, 50 पैसे की फिश, ये मेन्यू और रेट देख लपलपा जाएगी जीभ

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नई दिल्ली. मुंबई में समय की धरोहरों में कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो पुराने दौर की जीवंत झलक पेश करती हैं. ऐसी ही एक धरोहर है “लाइट ऑफ एशिया” रेस्तरां का 1935 का एक पुराना मेन्यू कार्ड. यह रेस्तरां तब तक शहर के बीचों-बीच जनरल पोस्ट ऑफिस के सामने स्थित था, जब तक 2018 में इसे बंद नहीं कर दिया गया. इसके नाम के पीछे एक गहरी वजह है – इसे एडविन अर्नोल्ड की कविता “लाइट ऑफ एशिया” से प्रेरणा मिली थी, जो बुद्ध के जीवन पर आधारित थी.

इस ऐतिहासिक रेस्तरां का मेन्यू उस समय की ब्रिटिश और स्थानीय भारतीय संस्कृतियों का अनोखा मिश्रण था. उस दौर में, यह रेस्तरां विक्टोरिया टर्मिनस (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) के पास था और वहां से आने-जाने वालों के लिए एक रुकने की जगह थी. यह स्थान समुद्री और सड़क यातायात का संगम बिंदु था. जहां से पर्यटक, सैनिक, नाविक और स्थानीय लोग समान रूप से खाना खाने आते थे. उस समय के इस मेन्यू में कई विशेषताएं थीं, जो आजकल के मेन्यू में नहीं दिखतीं.

मेन्यू पर “non-veg” जैसे शब्द का कोई जिक्र नहीं था, जो आज के दौर में आम है. इस सूची में अंडे, मटन, पोर्क, और मछली जैसे मांसाहारी पदार्थों की भरमार थी, जबकि सब्जियां केवल साइड डिश के रूप में परोसी जाती थीं. मांसाहारी व्यंजन जैसे किडनी, स्वीटब्रेड, टंग, और लीवर जैसे दुर्लभ मांस भी यहां पेश किए जाते थे. यह मेन्यू अंग्रेजी और कॉन्टिनेंटल पकवानों का बेजोड़ संगम था, जैसे हम आजकल केवल फाइन-डाइनिंग रेस्तरां में ही देख सकते हैं.

इस मेन्यू में नॉनवेज खाना प्रमुखता से दिखता है. X.com/appadappajappa

लेकिन यह केवल विदेशी व्यंजन पर ही निर्भर नहीं था; यहां भारतीय पकवान जैसे बिरयानी, करी, मटन मोल्ली और मटन बाफत भी थे. मटन मोल्ली एक हल्की कढ़ी होती थी जो गोवा की पुर्तगाली परंपरा से प्रेरित थी. मटन बाफत, जो एक तीखी मंगलोरी डिश है, भी मेन्यू का हिस्सा थी, जो इस बात का प्रमाण है कि यह रेस्तरां सिर्फ विदेशी पर्यटकों के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी खास था.

इस मेन्यू में पेय पदार्थों की भी लंबी सूची थी. उस समय के लोकप्रिय पेय ओवलटीन, विंटो और थर्स्टो का भी उल्लेख था, जो आज के भारतीय मेन्यू से गायब हो चुके हैं. इस रेस्तरां में एक सोडा फाउंटेन भी था, जिससे कार्बोनेटेड ड्रिंक्स हाथ से पंप कर परोसे जाते थे. इसके अलावा, आइसक्रीम सोडा, जिंजरएड, और फलूदा जैसे पेय पदार्थ भी इस मेन्यू में शामिल थे, जो उस समय के अंतरराष्ट्रीय स्वादों के प्रति रेस्तरां की रुचि को दर्शाते हैं. लाइट ऑफ एशिया ने उस समय के मुंबई के जीवन में एक खास स्थान बनाया था, और यह पुराना मेन्यू उस सुनहरे दौर की याद दिलाता है.
Tags: Business newsFIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 21:28 IST

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