ट्रंप के लिए पैसे लुटा रहे मस्‍क, रोज बांटेंगे 10 लाख डॉलर: भारत के चुनावी सीन से कितना मिलता है अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव

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अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार अभियान चरम पर है। चुनाव में अब दो हफ्ते से भी कम का वक्‍त बचा है. अभी भी दोनों उम्‍मीदवारों में कांटे की टक्‍कर के आसार ही बताए जा रहे हैं. डेमोक्रैट उम्‍मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्‍ड ट्रंप ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है. चुनावी सीन कई मायनों में भारत से मिलता-जुलता दिखाई देता है तो कई मायनों में एकदम अलग.

भारत का यूपी, यूएस का पेन्सिलवैनिया
जैसे भारत में लोकसभा चुनाव जीत कर सरकार बनाने के क्रम में कहा जाता है कि दिल्‍ली का रास्‍ता उत्‍तर प्रदेश होकर जाता है और पार्टियां उत्‍तर प्रदेश में पूरा जोर लगा देती हैं. वैसे ही अमेरिका के इस राष्‍ट्रपति चुनाव में व्‍हाइट हाउस का रास्‍ता पेन्सिलवैनिया से होकर जाता है. यहां सबसे ज्‍यादा 19 इलेक्‍टोरल वोट्स हैं. इसलिए यहां फतह किए बिना किसी उम्‍मीदवार के लिए राष्‍ट्रपति का चुनाव जीतना लगभग नामुमकिन है. यही वजह है कि पेन्सिलवैनिया में दोनों ही उम्‍मीदवार धुआंधार प्रचार कर रहे हैं.

यहां प्रचार पर अरबों रुपये खर्च किए गए हैं. यही नहीं, ट्रंप और कमला खुद या उनके निकटतम सहयोगी हर रोज पेन्सिलवैनिया में मौजूदगी भी बनाए रखते हैं. सोमवार को कमला ने लिज चेने के साथ पेन्सिलवैनिया में एक बड़ी चुनावी सभा की.

पेन्सिलवैनिया में कमला की पार्टी की स्थिति मजबूत मानी जाती है, क्‍योंकि 2020 में यहां डेमोक्रैट जो बाइडेन को 81000 वोट मिले थे, जबकि 2016 में ट्रंप को यहां मात्र 44000 वोट मिले थे. यही नहीं, ताजा सर्वेक्षण भी यहां कमला को भारी बता रहे हैं. ‘द वाशिंगटन पोस्‍ट’ के ‘पोल ऑफ पोल्‍स’ में कमला को ट्रंप से दो पर्सेंटेज पॉइंट्स आगे बताया गया है. लेकिन, हैरिस के लिए चुनौती यह है कि वह यहां ट्रंप की तुलना में कम लोकप्रिय हैं.

बीजेपी के लिए राहुल तो रिपब्‍लिकंस के लिए कमला
मतदाताओं के बीच कमला हैरिस की कम लोकप्रियता पेन्‍सिलवैनिया तक ही सीमित नहीं है. सभी सात प्रमुख राज्‍यों में ऐसा ही है. इन राज्‍यों में कराए गए ‘वाल स्‍ट्रीट जर्नल’ के एक हालिया सर्वेक्षण में 20 फीसदी वोटर्स ने कहा था कि उन्‍हें कमला हैरिस के बारे में ज्‍यादा पता नहीं है. ऐसा कहने वाले युवा मतदाता तो 25 फीसदी थे. शायद यही वजह रही कि अंतिम दौर में रिपब्‍ल‍िकंस ने कमला के बारे में खूब नेगेटिव पब्‍ल‍िसिटी की. जैसे, भारत में बीजेपी वाले राहुल गांधी की करते हैं.

कमला हैरिस ने इस समस्‍या का भी तोड़ निकाला है. वह अब कार्यक्रमों में अपने बारे में बात करती हैं. अपने अतीत के बारे में बताती हैं और पसंद-नापसंद की भी बात करती हैं. डेट्रॉयट में ऐसे ही एक कार्यक्रम में उन्‍होंने बताया कि कॉलेज के दिनों में कैलिफोर्निया में उन्‍होंने मैकडॉनल्‍ड्स में समर जॉब की थी और वह फ्रेंच फ्राइज तला करती थीं.

राहुल की जलेबी, कमला की फ्रेंच फ्राइज
कमला के इस खुलासे पर भी डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपना दहला ठोंक दिया. जैसे हरियाणा चुनाव के समय जलेबी को लेकर राहुल गांधी पर भाजपाइयों ने ठोंका था. इतवार को प्रचार के क्रम में डोनाल्‍ड ट्रंप फिलाडेल्फिया में मैकडॉनल्‍ड्स के एक आउटलेट में चले गए. उन्‍होंने वहां फ्रेंच फ्राइज तला. ट्रंप ने कहा, ‘मुझे यह काम बड़ा पसंद है. मैं इसे ताउम्र करना चाहता था.’ साथ ही, हैरिस के मैकडॉनल्‍ड्स में काम करने के दावे को भी झूठ बताया.

आंकड़ों से बढ़ा प्रेशर
ट्रंप और कमला, दोनों को ही प्रचार में ज्‍यादा पसीना एक और कारण से बहाना पड़ रहा है. जैसे भारत में भी जातिगत आंकड़े चुनाव जीतने के मकसद से अहम हो जाते हैं, वैसे अमेरिकी राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ रहे उम्‍मीदवारों की परेशानी भी एक आंकड़े में छिपी है.

Kamala Harris raises nearly $1bn to surge past Donald Trump in US election money race

जनसांख्यिकी विशेषज्ञ विलियम फ्रे ने जनंसख्‍या ब्‍यूरो के ताजा आंकड़ों का विश्‍लेषण किया है. इसका निष्‍कर्ष उन्‍होंने मीडिया से साझा किया है. इसमें उन्‍होंने बताया है कि 2020 की तुलना में बिना कॉलेज डिग्री वाले मतदाताओं का आंकड़ा दो प्रतिशत कम हो गया है. इस वर्ग का मतदाताओं का समर्थन रिपब्‍ल‍िकन पार्टी के लिए जीत का आधार रहा है. ऐसा पहली बार हुआ है कि इस वर्ग के मतदाताओं का कुल प्रतिशत 40 से नीचे पहुंच गया है. इस कमी को पूरा करने के मकसद से ट्रंप ज्‍यादा से ज्‍यादा अश्‍वेत मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.

पोस्‍टल बैलट जैसा अर्ली वोटिंग का सिस्‍टम
जैसे हमारे यहां मतदान की तारीख से पोस्‍टल बैलट के जरिए वोट डालने का प्रावधान है, वैसी व्‍यवस्‍था अमेरिका में भी है. इसके तहत अभी ‘अर्ली वोटिंग’ जारी है. यूनिवर्सटिी ऑफ फ्लोरिडा के आंकड़ों के मुताबिक 50 लाख से भी ज्‍यादा लोग वोट डाल चुके हैं. सर्वेक्षण कांटे का मुकाबला बता रहे हैं.

हेट स्‍पीच के मामले में भारत जैसा नहीं अमेरिकी चुनाव
प्रचार अभियान के दौरान जहां ट्रंप ने ताबड़तोड़ इवेंट करने की नीति पर काम किया, वहीं हैरिस का जोर रिपब्‍लकिंस की बखिया उधेड़ने और ट्रंप को राष्‍ट्रपति पद के अयोग्‍य साबित करने पर रहा. चुनावी प्रचार में वैसे तो कहीं भी एक पक्ष, दूसरे पक्ष पर प्रहार ही करता है, लेकिन अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव प्रचार अभियान भारत के चुनाव प्रचार से इस मामले में अलग है कि एक-दूसरे पर निशाना साधने के लिए भड़काऊ बयानों का सहारा नहीं लिया जाता है.

भारत में पार्टियों का साथ देने खुल कर नहीं उतरते उद्योगपति
एक और मामले में अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव को भारतीय चुनाव से अलग माना जा सकता है। यहां चुनाव में उद्योगपति किसी पक्ष के समर्थन में खुल कर आने से बचता है. वहीं, अमेरिका में एलन मस्‍क ने खुले आम डोनाल्‍ड ट्रंप के साथ मंच साझा किया. और तो और, उन्‍होंने ट्रंप के प्रचार अभियान को मजबूती देते हुए एक प्रतियोगिता का ऐलान कर दिया और इसके विजेता को रोज दस लाख डॉलर का ईनाम देने की भी घोषणा कर डाली. हालांकि, उनकी इस पहल को अमेरिकी राजनीति की असामान्‍य घटना माना जा रहा है और इस बात पर भी बहस छिड़ी हुई है कि क्‍या चुनाव में इस तरह पैसे बांटना कानूनी तौर पर सही है?

दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपति एलन मस्‍क ने कई महीने पहले से ही रिपब्‍ल‍िकन पार्टी के समर्थन में एक पॉलिटिकल एक्‍शन कमेटी (पीएसी) बना ली थी. इस कमेटी के जरिए उन्‍होंने रिपब्‍ल‍िकन पार्टी के समर्थन में मतदाताओं की गोलबंदी शुरू कर दी थी. ट्रंप को उनका तन-मन-धन से दिया गया साथ फलीभूत होता है या नहीं, यह तो पांच नवंबर को मतदान के बाद ही पता चलेगा.

Tags: Donald Trump, Elon Musk, Kamala Harris

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