कब शुरू हुई दुनिया भर में पेंशन? शुरुआत में भारतीयों की पेंशन कितनी थी? ये आंकड़े चौंका देंगे आपको!

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Last Updated:July 21, 2025, 07:13 ISTपेंशन की शुरुआत का इतिहास बहुत पुराना है. सबसे पहले पेंशन की व्यवस्था रोमन साम्राज्‍य में शुरू हुई थी. भारत में पेंशन की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी. उस समय सरकारी कर्मचारियों को पेंशन मिलती थी, लेकिन इसकी राशि बहुत कम होती थी. शुरुआत में भारतीयों की पेंशन कितनी थी, यह जानकर आप चौंक जाएंगे. पेंशन वरिष्ठ नागरिकों के लिए सबसे जरूरी व‍ित्‍तीय सहायता है. लंबे समय तक देश या राज्‍य को अपनी सेवा देने के बाद हर र‍िटायर्ड कर्मचारी को हर महीने एक निश्चित राशि मिलती है जो उनके जीवन यापन के खर्चों में मदद करती है. आजकल, केवल सरकारी कर्मचारी ही नहीं बल्कि निजी कंपनियों में काम करने वाले लोग भी र‍िटायरमेंट के बाद अपनी पेंशन पर निर्भर रहते हैं. भारत में पेंशन की व्‍यववस्‍था ब्रिटिश काल में आई. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीयों को कितनी पेंशन मिलती थी? पेंशन की व्‍यवस्‍था सबसे पहले कब शुरू हुई? : पेंशन का इतिहास 2,000 साल से भी अधिक पुराना है. इतिहासकारों की मानें तो रोमन साम्राज्य में पेंशन की व्यवस्था का उल्‍लेख सबसे पहले मिलता है. रोमन सम्राट ऑगस्टस (27 ईसा पूर्व – 14 ईस्वी) ने इसकी शुरुआत की थी. उस समय ये व्‍यवसथा सैनिकों के लिए शुरू की गई थी. जो सैन‍िक रोमन सेना में लंबे समय तक अपनी सेवा देते थे, उन्‍हें र‍िटायरमेंट पर जमीन या फिर धन दिया जाता था, ताकि र‍िटायरमेंट के बाद भी वो सम्मानजनक तरीके से जी सकें. कुछ ही वर्षों में, भारतीय सिपाहियों और सिविल सेवकों को भी पेंशन दी जाने लगी. इतिहासकारों का मानना है कि पहली पेंशन ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों को दी गई थी, जिनमें से कई आज भी प्रसिद्ध हैं, जैसे लॉर्ड कॉर्नवालिस. यह दर्ज नहीं है कि पहला भारतीय पेंशनधारी कौन था, लेकिन संभावना है कि सेवा से र‍िटायर होने वाले पहले लोगों में एक सिपाही या हवलदार थे जिन्हें ब्रिटिश शासन के दौरान पेंशन मिली थी. ब्रिटिश शासन के तहत भारतीय सिपाहियों को कितनी पेंशन मिलती थी?: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक साधारण सिपाही को 4 से 7 रुपये प्रति माह की पेंशन मिलती थी, जबकि एक ब्रिटिश अधिकारी को 100 से 200 रुपये प्रति माह की पेंशन मिलती थी. आज ये राशियां बहुत छोटी लगती हैं, लेकिन उस समय 1 रुपया एक पूरे परिवार का एक महीने का खर्च चला सकता था. बाद में, सन 1889 में, जर्मन चांसलर ओटो वॉन बिस्मार्क ने 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए पहली सार्वजनिक पेंशन शुरू की, जिससे पेंशन एक सम्मान से अधिकार बन गई और यह सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों का आधार बनी. भारत में पेंशन का इतिहास ब्रिटिश शासन के समय से जुड़ा हुआ है. ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने अधिकारियों और सैनिकों के लिए सेवानिवृत्ति पर कुछ आय प्राप्त करने का प्रावधान किया था, इसलिए पेंशन की अवधारणा आवश्यकता से उत्पन्न हुई थी. सरकारी कर्मचारियों के लिए, पेंशन को औपचारिक रूप से 1881 में पेश किया गया था. उस समय, यह राशि कम से कम इतनी मानी जाती थी कि एक सेवानिवृत्त व्यक्ति बिना भोजन, पानी या आश्रय की चिंता किए जी सके.homebusinessकब शुरू हुई दुनिया भर में पेंशन? भारतीयों को शुरुआत में कितनी म‍िलती थी?

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