संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले दिल्ली में आयोजित सर्वदलीय बैठक में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के सुप्रीमो व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल भी शामिल हुए। यहां उन्होंने सरकार के सामने एक के बाद एक कई ज्वलंत मुद्दों को रखते हुए ठोस जवाब और कारगर कदमों की मांग की। बैठक में उन्होंने पेपर लीक घोटालों, आपदा प्रबंधन, सांसद निधि में वृद्धि, सिंधु जल समझौता, एविएशन सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और छोटे दलों के अधिकारों जैसे विषयों पर खुलकर अपनी बात रखी।
मोदी-शाह-नड्डा के वादों की दिलाई याद
हनुमान बेनीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनावों से पहले पेपर लीक और भ्रष्टाचार के मामलों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने सदन में इस मुद्दे पर विशेष चर्चा कराने की मांग करते हुए कहा कि देश का युवा वर्ग पेपर माफियाओं से आहत है और उनकी मेहनत पर बार-बार पानी फिर रहा है।
राजस्थान की भर्तियों और RPSC के पुनर्गठन पर चिंता जताई
राजस्थान से जुड़े मामलों को उठाते हुए उन्होंने राजस्थान पुलिस की एसआई भर्ती को रद्द करने के हालिया निर्णय को युवाओं के भविष्य के साथ अन्याय बताया। साथ ही राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के पुनर्गठन की पुरजोर मांग की। उन्होंने इसे भ्रष्टाचार और लापरवाही से ग्रस्त बताते हुए आयोग की साख को बहाल करने की दिशा में ठोस सुधारों की आवश्यकता जताई।
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MP-LAD फंड बढ़ाने की मांग
सांसद निधि को लेकर उन्होंने MP-LAD फंड को पांच करोड़ से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये प्रति वर्ष करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि सांसदों को अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए पर्याप्त संसाधन मिलने चाहिए। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जिन दलों के संसद में एक या दो सदस्य हैं, उन्हें भी हर विधेयक पर बोलने का मौका मिलना चाहिए और बीएसी (बिजनेस एडवाइजरी कमेटी) जैसी अहम समितियों में भी उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
सिंधु जल समझौते के बाद पश्चिमी राजस्थान को लाभ देने की मांग
पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को निरस्त किए जाने की संभावनाओं को लेकर बेनीवाल ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि अब इस जल को राजस्थान, खासकर पश्चिमी राजस्थान की ओर मोड़ा जाए, ताकि लंबे समय से सूखा झेल रहे क्षेत्रों को राहत मिल सके और कृषि को संबल प्रदान किया जा सके।
आपदा प्रबंधन को आधुनिक और प्रभावी बनाने पर दिया जोर
बेनीवाल ने कहा कि हर साल देशभर में अतिवृष्टि और बाढ़ से आमजन का जीवन प्रभावित होता है। ऐसे में आपदा प्रबंधन को आधुनिक उपकरणों और तकनीकों से लैस करना समय की मांग है। उन्होंने बाढ़ के पानी को संग्रहित कर भविष्य के लिए उपयोगी बनाने की नीति पर काम करने की बात कही। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर भी संसद में विस्तार से चर्चा कराने की आवश्यकता बताई।
DGCA की कार्यप्रणाली और हवाई सुरक्षा पर उठाए सवाल
एविएशन क्षेत्र की स्थिति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने हाल ही में अहमदाबाद विमान हादसे का हवाला देते हुए DGCA (नागरिक विमानन महानिदेशालय) की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि कई रिपोर्टों में सुरक्षा मानकों की गंभीर अनदेखी उजागर हुई है, इस पर संसद में एक दिवसीय विशेष चर्चा होनी चाहिए।
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शून्यकाल और नियम 377 पर जवाबदेही तय करने की मांग
बेनीवाल ने संसद में उठाए गए मुद्दों पर समयबद्ध उत्तरदायित्व तय करने की बात कही। उन्होंने सुझाव दिया कि शून्यकाल या नियम 377 के तहत उठाए गए मामलों पर संबंधित मंत्रालय से एक सप्ताह के भीतर लिखित जवाब मिलना चाहिए और मंत्री को सदन में तत्काल प्रतिक्रिया देने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।
सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा पर भी जताई चिंता
देश के स्वास्थ्य ढांचे पर चिंता जताते हुए हनुमान बेनीवाल ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी, उपकरणों की अनुपलब्धता और सुविधाओं का अभाव एक गंभीर समस्या है। उन्होंने इस मुद्दे पर भी संसद में अलग चर्चा कराने की मांग की।