ब्रिटेन की कोर्ट में होगी PAK की खुफिया एजेंसी की पेशी, देने होंगे आतंकवाद में शामिल ना होने के

Must Read

पाकिस्तान के इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI, जो दशकों से दुनियाभर में आतंकवाद, अपने देश में राजनीतिक हस्तक्षेप और पत्रकारों के उत्पीड़न के लिए सुर्खियों में रहा, अब किसी विदेशी देश की अदालत में अपने ही काले कारनामों के लिए कानूनी सवाल करेगी. 

असल में ब्रिटेन की रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस की अदालत में अगले हफ्ते 21 से 24 जुलाई के बीच ISI बनाम पाकिस्तानी सेना के पूर्व मेजर आदिल राजा केस का ट्रायल शुरू होगा, जिसके तहत ISI अपने ब्रिगेडियर राशिद नसीर की तरफ से अदालत को समझने की कोशिश करेगा कि उसके खिलाफ सेना के रिटायर्ड मेजर की ओर से आतंकवाद को फैलाने, राजनैतिक हस्तक्षेप करने और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप गलत हैं और उसकी मानहानि हुई है.

क्या है ISI और रिटायर्ड मेजर आदिल राजा का पूरा मामला?

असल में पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड मेजर आदिल राजा ने साल 2022 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की दस्तावेजों के साथ पोल खोल दी थी कि कैसे ISI भ्रष्टाचार में लिप्त है और आतंकियों को तैयार रहा है, फंडिंग कर रहा है, साथ ही पाकिस्तान में राजनैतिक हस्तक्षेप करके सत्ता परिवर्तन कर रहा है.

इसे लेकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के ब्रिगेडियर राशिद नसीर ने साल 2022 में ही रिटायर्ड मेजर आदिल राजा के ऊपर मानहानि का केस ब्रिटेन के रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में दायर कर दिया. अब जाकर ब्रिटेन की अदालत में ट्राइल शुरू होगा. ISI को साबित करना होगा कि आदिल ने जो ISI पर आतंकवाद को फैलाने, फण्ड करने, आतंकियों की ट्रेनिंग कराने के आरोप लगाए थे, वो झूठे हैं. 

पाकिस्तानी सेना के पसंदीदा अफसर में से एक आदिल राजा

भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध में लेफ्टिनेंट के पद पर रहकर लड़ चुके आदिल राजा एक समय पाकिस्तानी सेना और ISI के पसंदीदा अफसर में से एक थे और कश्मीर से लेकर खैबर पख्तूनख्वा इलाकों में आदिल राजा को सरकार ने महत्वपूर्ण इलाकों में पोस्टिंग दी, प्रमोशन दिए, मेडल दिए.

साल 2010 में मेजर के पद पर रहते हुए सबसे पहले आदिल राजा ने सेना के खिलाफ अंदरूनी विद्रोह किया कि पाकिस्तानी सेना खैबर पख्तूनख्वाह में आतंकियों को मारने के बजाए ड्रोन हमलों में निर्दोष बच्चों को मार रही है और दुनिया के सामने अपनी पीठ थपथपा रही है कि उसने आतंकी मार दिए हैं. 

अंदरूनी बगावत के बाद भी नहीं हुआ बदलाव

इसके बाद ISI और सेना के आतंकवाद में संलिप्तता से तंग आकर साल 2016 में आदिल राजा ने मेजर पद से रहते हुए वॉलंटरी रिटायरमेंट (VRS) ले लिया था. हालांकि रिटायरमेंट और सेना में अंदरूनी बगावत के बाद भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की पसंद में कोई बदलाव नहीं आया.

साल 2018 तक रिटायर्ड मेजर आदिल राजा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के पसंदीदा अधिकारी थे, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद पहले पूर्व सैन्य अफसरों की संस्था ESS(Ex Servicemen Society) का प्रवक्ता बनाया गया, जिसकी सारी फंडिंग ISI करती थी. 

लगातार ISI पर उठा रहे थे सवाल

लगातार पाकिस्तान में रहकर भी आदिल राजा सेना की खैबर पख्तूनख्वा में की जाने वाली कार्यवाही पर सवाल उठा रहे थे कि कैसे आतंकियों को सेना पाल रही है और ड्रोन स्ट्राइक में आम लोगो को मार रही है. इसके बाद साल 2022 में पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड मेजर आदिल राजा ने पाकिस्तान से ब्रिटेन के लिए पलायन कर लिया, जहां उनकी पत्नी रूबीन कियानी और बच्चे पहले से रहते थे और ब्रिटेन के नागरिक थे. 

ब्रिटेन शिफ्ट होने के बाद से ही आदिल राजा ने अपनी वेबसाइट www.SoldierSpeaks.org जैसे पब्लिक प्लेटफार्म पर ISI की पोल खोलनी शुरू की. इसी से घबराकर ISI ने ब्रिगेडियर राशिद नसीर के हवाले से साल 2022 में रिटायर्ड मेजर आदिल राजा मानहानि पर SLAPP केस यानी ऐसा मुकदमा जिसका उद्देश्य आलोचकों को चुप कराने के लिए कानून का सहारा लेना हो, उसे दायर करवाया था.

पहली बार कोर्ट में बचाव के लिए खड़ा होगा ISI

अब ब्रिटेन की अदालत में इसकी सुनवाई होगी. हालांकि यह पहली बार है जब किसी देश की अदालत में पाकिस्तान की ISI को सीधे तौर पर अपने कृत्यों के लिए बचाव में खड़ा होना पड़ रहा है. जो ISI पूरे विश्व में आतंकवाद के नाम पर कुख्यात है, भारत के खिलाफ अपने आदेश में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को पालने, फंडिंग करने, ट्रेनिंग करने के दशकों से सबूत हैं.

साथ ही पाकिस्तान में लोकतंत्र की हत्या और चुनावों में धांधली करने का ISI का 70 सालों का इतिहास है. पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और असहमति की आवाज उठाने वालों को गायब या मरवा देने का भी ISI का कुख्यात ट्रैक रिकॉर्ड है. 

ब्रिगेडियर राशिद नसीर ने कोर्ट में किया ये दावा

पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड मेजर आदिल राजा के मुताबिक, ब्रिगेडियर राशिद नसीर की ओर से दायर मानहानि मुकदमे में दावा किया गया है कि ISI ‘राजनीति से दूर’ केवल एक सैन्य संस्था है, जबकि अदालत में दाखिल सबूत और खुद उनकी रिपोर्टिंग दिखाती है कि ISI वही एजेंसी है, जिसने 1977 से लेकर 2024 तक पाकिस्तान की हर सत्ता का फैसला किया, मीडिया पर सेंसरशिप लगाया और यहां तक कि इमरान खान जैसे पूर्व प्रधानमंत्री को जेल में डलवाकर चुनाव परिणाम तक बदलवाए.

ऐसे में अगर यह मुकदमा ISI के पक्ष में गया तो इसका मतलब यह होगा कि दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसियां अब लोकतांत्रिक देशों की अदालतों का उपयोग सच बोलने वालों को चुप कराने के लिए करेंगी, लेकिन अगर यह मुकदमा ISI हारती है तो यह विश्व इतिहास में पहला उदाहरण होगा, जब किसी आतंकवाद प्रायोजित एजेंसी ISI को किसी विदेशी अदालत में नैतिक हार मिलेगी और उसकी पोल पूरी दुनिया के सामने खुलेगी.

world news, world news today, latest world news, latest news, hindi world news, hindi news today, oxbig news, oxbig news network, oxbig hindi, oxbig hindi news, hindi oxbig, oxbig

English News
https://www.abplive.com/news/world/britain-royal-court-of-justice-trial-pakistan-terror-group-isi-vs-former-pakistani-army-major-adil-raja-case-ann-2982087

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -