भेजे ₹30 लाख, ₹75,000 गए सिर्फ चार्जेज में, पैरेंट्स की जेब निचोड़ रहे बैंक

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Last Updated:July 18, 2025, 08:12 ISTविदेश में पढ़ाई कर रहे बच्चों के लिए भारतीय परिवारों ने 2024 में ₹1,700 करोड़ फीस और चार्जेज दिए. रिपोर्ट के अनुसार, 95% पैसा पारंपरिक बैंकों से भेजा जाता है, जो 3-3.5% एक्सचेंज रेट मार्जिन लेते हैं.पारंपरिक बैंक ट्रांसफर में कई छिपे हुए शुल्क होते हैं. हाइलाइट्सभारतीय परिवारों ने 2024 में ₹1,700 करोड़ अतिरिक्त शुल्क दिए.95% पैसा पारंपरिक बैंकों से भेजा जाता है.बैंक 3-3.5% एक्सचेंज रेट मार्जिन लेते हैं.नई दिल्‍ली. विदेश में पढ़ाई कर रहे अपने बच्‍चों के पास पैसे भेजने वाले अभिभावकों की जेब बैंक जमकर काट रहे हैं. साल 2024 में बच्चों की पढ़ाई के लिए भारतीय परिवारों द्वारा भेजे गए पैसों पर बैंकों ने ₹1,700 करोड़ रुपये फीस और करेंसी एक्सचेंज रेट पर एक्‍सट्रा चार्ज के रूप में वसूले. स्‍ट्रेटेजी कंसल्‍टेंट्स और वाइज द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. रिपोर्ट के अनुसार भारत से हर साल विदेश में पढ रही भारतीय छात्रों के ₹85,000 करोड़ से ₹93,500 करोड़ रुपये से भेजा जाता है. 95% पैसा पारंपरिक बैंकों के जरिए भेजा जाता है.

बैंक आमतौर पर 3 से 3.5 प्रतिशत तक का एक्सचेंज रेट मार्जिन लेते हैं और भुगतान पूरा होने में 2 से 5 दिन तक का समय लगाते हैं.  रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर एक परिवार सालाना ₹30 लाख तक विदेश भेजता है, उसे लगभग ₹75,000 चार्जेज के रूप में चुकाना होता है. यह आंकड़ा विश्व बैंक की उस रिपोर्ट से मेल खाता है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी ट्रांसफर की ऊंची लागत पर चिंता जताई गई है. वैश्विक औसत के मुताबिक, $200 भेजने पर 6.4% शुल्क देना पड़ता है.

हो रहा है बड़ा नुकसान

Wise की साउथ एशिया प्रमुख तनेया भारद्वाज ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “लोगों को जो पैसे इन छिपे शुल्कों में गंवाने पड़ते हैं, वो बहुत बड़ा नुकसान है. यह एक चेतावनी है कि पारदर्शिता की जरूरत कितनी जरूरी है.” रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत अब अमेरिका में पढ़ने वाले सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों वाला देश बन गया है, जिसने 2024 में चीन को पीछे छोड़ दिया है. भारतीय छात्र अब अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की कुल संख्या का 30-35% हिस्सा बनाते हैं, जबकि एक दशक पहले यह आंकड़ा सिर्फ 11% था.

विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे 2030 तक भारतीय परिवारों का विदेश शिक्षा पर खर्च दोगुना होगा, वैसे-वैसे रेमिटेंस की लागत एक अहम मुद्दा बनकर उभरेगा. अब यह समय है कि पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम से हटकर पारदर्शी और किफायती विकल्पों की ओर ध्यान दिया जाए.Location :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessभेजे ₹30 लाख, ₹75,000 गए सिर्फ चार्जेज में, पैरेंट्स की जेब निचोड़ रहे बैंक

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