ई-कॉमर्स डिलीवरी ब्वॉय के ट्रैफिक नियम उल्लंघन पर दिल्ली हाई कोर्ट सख्त, सरकार को नोटिस जारी

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दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के डिलीवरी पार्टनर्स की ओर से मोटर व्हीकल एक्ट और ट्रैफिक नियमों के कथित उल्लंघन के मामले में दायर एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. 
दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी, दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी करते हुए 8 अक्टूबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है.
दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट में यह याचिका वकील शशांक त्रिपाठी ने दाखिल की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे ई कॉमर्स और क्विक डिलीवरी सेवाओं के डिलीवरी बॉयज लगातार, व्यापक और बिना रोकटोक मोटर वाहन कानून और नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं.
वहीं दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने पहले ही दोपहिया वाहनों के लिए दिल्ली मोटर व्हीकल एग्रीगेटर एंड डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर स्कीम 2023 को 21 नवंबर 2023 को नोटिफाई कर दिया है. इस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह इस नीति को रिकॉर्ड पर पेश करे और यह भी बताए कि इस नीति के तहत अब तक क्या कार्रवाई की गई है.
डिलीवरी कर्मचारी नियमों का कर रहे उल्लघंन
दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि कई डिलीवरी कर्मचारी मोटरसाइकिलों और स्कूटर्स पर अत्यधिक भारी और बड़े आकार के सामान जैसे औद्योगिक उपकरण फोल्डेबल फर्नीचर और व्यावसायिक आकार के डिलीवरी बॉक्स ले जाते हैं, जो ट्रैफिक नियमों के तहत निर्धारित सीमा से कहीं अधिक होते हैं. इससे न सिर्फ सवारी की स्थिरता प्रभावित होती है, बल्कि चालकों की दृष्टि बाधित होती है और आम जनता की सुरक्षा को खतरा होता है.
ट्रैफिक रूल और रोड सेफ्टी व्यवस्था पर संकट
दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में यह भी कहा गया कि यदि इन असुरक्षित डिलीवरी प्रथाओं को यूं ही नजरअंदाज किया गया तो इससे अन्य कमर्शियल संस्थानों को भी नियमों की अनदेखी करने की छूट मिल जाएगी और पूरे शहर में ट्रैफिक रूल और रोड सेफ्टी व्यवस्था पर संकट खड़ा हो जाएगा. 
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि गिग इकॉनमी में डिलीवरी सेवाओं के लिए एक गाइडलाइन बनाए जाएं और सभी संबंधित कंपनियों को मोटर व्हीकल एक्ट और केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के तहत अपनी सेवाएं संचालित करने का निर्देश दिया जाए.
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