ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर से बिहार में विशेष मतदाता पुनरीक्षण (SIR) को लेकर भारतीय चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं. इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग पर गरीब लोगों को परेशान करने का आरोप भी लगाया है.
दरअसल, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार (13 जुलाई, 2025) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है. अपने पोस्ट में ओवैसी ने कहा, “यह बेहद शर्मनाक बात है कि एक संवैधानिक संस्था (भारतीय चुनाव आयोग) जनता से सूत्रों के माध्यम से संवाद कर रही है.” उन्होंने कहा, “भारतीय चुनाव आयोग को इस बात को पूरी तरह से स्पष्ट करना चाहिए कि उसे मतदाताओं की नागरिकता निर्धारित करने का अधिकार किसने दिया.”
महत्वपूर्ण चुनाव से पहले किया जा रहा विशेष मतदाता पुनरीक्षण कार्य
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “एक तो यह विशेष और गहन पुनरीक्षण कार्य एक बेहद महत्वपूर्ण चुनाव से ठीक पहले किया जा रहा है. जिसके लिए गरीब से गरीब लोगों तक से अचानक ऐसे दस्तावेजों को लाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो उनके पास शायद होंगे ही नहीं. ऐसे में इस विशेष कदम का मकसद सिर्फ गरीब लोगों को और बेबस बनाने की कोशिश मात्र प्रतीत होता है.”
बिहार में हो रहे SIR में विदेशी नागरिकों के नाम शामिल होने की हो रही चर्चा
उल्लेखनीय है कि बिहार में चल रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बूथ लेवल अधिकारी (BLO) मतदाताओं के घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं. वहीं, बीएलओ के सर्वे के दौरान बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए हुए लोगों के नाम मिलने की बात सामने आई है. यह भी कहा जा रहा है कि विदेशी नागरिकता वाले लोगों के मामलों पर 1 अगस्त, 2025 के बाद उचित जांच और कार्रवाई की जाएगी और इसके बाद 30 सितंबर, 2025 को प्रकाशित होने वाली आखिरी मतदाता सूची में इन सभी लोगों का नाम शामिल नहीं किया जाएगा.
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