Last Updated:July 11, 2025, 07:52 ISTRare Earth Magnet : भारत में रेयर अर्थ खनिजों का पांचवां सबसे बड़ा भंडार मौजूद है, लेकिन असली चुनौती इनका खनन है. वर्तमान में इन खनिजों का खनन सरकारी कंपनी IREL करती है. अब निजी कंपनियों ने भी रेयर अर्थ मैगनेट…और पढ़ेंभारत में रेयर अर्थ खनिजों का पांचवां सबसे बड़ा भंडार मौजूद है.हाइलाइट्सभारत में रेयर अर्थ मैगनेट का निर्माण शुरू होगामहिंद्रा और उनो मिंडा ने उत्पादन में रुचि दिखाईचीन की आपूर्ति रोकने पर भारत आत्मनिर्भरता की ओरनई दिल्ली. रेयर अर्थ मैगनेट की सप्लाई रोककर भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नुकसान पहुंचाने की चीन की चाल को काटने की तैयारी अब भारतीय कंपनियों ने भी शुरू कर दी है. रेयल अर्थ मैगनेट के लिए चीन पर निर्भरता कम करने को अब महिंद्रा एंड महिंद्रा और ऑटो पार्ट्स निर्माता उनो मिंडा ने देश में ही रेयर अर्थ मैगनेट का निर्माण शुरू करने की योजना बनाई है. चीन इस समय दुनिया में 90% से ज्यादा रेयर अर्थ मैगनेट का उत्पादन करता है.
भारत में रेयर अर्थ खनिजों का पांचवां सबसे बड़ा भंडार मौजूद है, लेकिन असली चुनौती इनका खनन है. वर्तमान में इन खनिजों का खनन सरकारी कंपनी IREL करती है, जिसने 2024 में करीब 2,900 टन अयस्क का उत्पादन किया. इनका अधिकतर उपयोग देश के परमाणु और रक्षा क्षेत्र में होता है, जबकि कुछ हिस्सा जापान को निर्यात किया जाता है.
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चीन ने लगाई पाबंदी
गौरतलब है कि चीन ने अप्रैल में इन मैगनेट्स के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी. हालांकि अमेरिका और यूरोपीय देशों को कुछ आपूर्ति फिर से शुरू हो चुकी है, लेकिन भारतीय कंपनियों को अब भी बीजिंग से क्लियरेंस का इंतजार है. इस आपूर्ति में रुकावट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इन जरूरी मैगनेट्स की घरेलू स्टॉक तैयार करने और उत्पादन को प्रोत्साहित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.
प्रोडक्शन को तैयार दोनों कंपनियां
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “कुछ कंपनियां जैसे कि महिंद्रा ने रेयर अर्थ मैगनेट्स के निर्माण में निवेश करने या प्रोडक्शन यूनिट लगाने में रुचि दिखाई है. यह प्रक्रिया शुरू होने में एक से दो साल का समय लग सकता है, लेकिन हमारा लक्ष्य आत्मनिर्भरता है.” सूत्रों के अनुसार, जून में भारी उद्योग मंत्रालय के साथ हुई एक बैठक में महिंद्रा एंड महिंद्रा ने स्पष्ट किया कि वह किसी अन्य कंपनी के साथ साझेदारी करने या फिर स्थानीय आपूर्तिकर्ता से दीर्घकालिक अनुबंध करने के लिए तैयार है. हाल ही में कंपनी ने दो इलेक्ट्रिक SUV लॉन्च की हैं, जिनमें इन मैगनेट्स की आवश्यकता होगी. कंपनी का मानना है कि इनका स्थानीय निर्माण शुरू करने में बहुत बड़ा निवेश नहीं लगेगा.
इसी बैठक में उनो मिंडा, जो मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों को ऑटो पार्ट्स की आपूर्ति करती है, ने भी स्थानीय मैगनेट निर्माण में रुचि दिखाई. उल्लेखनीय है कि मारुति ने पहले ही चेतावनी दी है कि चीन से आपूर्ति में रुकावट के कारण उसके उत्पादन में देरी हो सकती है. इससे पहले सोना कॉमस्टार, जो फोर्ड और स्टेलांटिस जैसी विदेशी कंपनियों को गियर और मोटर सप्लाई करती है, भारत की पहली कंपनी थी जिसने स्थानीय स्तर पर मैगनेट उत्पादन में रुचि दिखाई थी. कंपनी ने जून में रायटर्स को इसकी पुष्टि की थी.
हालांकि महिंद्रा ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है और ना ही मिंडा या भारी उद्योग मंत्रालय से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है. दो अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों कंपनियों का निवेश निर्णय सरकार द्वारा दिए जाने वाले प्रोत्साहनों और कच्चे माल की उपलब्धता पर निर्भर करेगा.
आपूर्ति विकल्प ढूंढ रहा है भारत
भारत अब अन्य देशों से कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में भी प्रयास कर रहा है. दिसंबर 2023 में IREL की एक टीम म्यांमार भेजी गई थी ताकि वहां के खनिज संसाधनों का आकलन किया जा सके. इसके अलावा, केंद्र सरकार पांच मध्य एशियाई देशों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और खनन पर सहयोग कर रही है.Location :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessखत्म होगी चीन की दादागिरी, ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में भारत
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