Last Updated:July 09, 2025, 10:29 ISTTrump Tariff War : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले तो दुनियाभर के देशों को टार्गेट किया और अब एक-एक प्रोडक्ट को पकड़कर टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं. उन्होंने कॉपर और इसके प्रोडक्ट पर 50 फीसदी तो फार्मा उत्पादों पर 200 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही है. इसका फैसले का भारत की 10 दवा कंपनियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. भारत का निर्यात देखें तो साल 2024-25 में करीब 17 हजार करोड़ का कॉपर और कॉपर प्रोडक्ट निर्यात किया, जिसमें से 17 फीसदी (36 करोड़ डॉलर) उत्पाद सिर्फ अमेरिका को ही भेजे गए. फार्मा सेक्टर से अमेरिका को निर्यात करीब 9.8 अरब डॉलर (करीब 86 हजार करोड़ रुपये) रहा है. भारत को अमेरिका की फार्मेसी कहते हैं, क्योंकि वहां इस्तेमाल होने वाली 40 फीसदी जेनरिक दवाएं यहीं से जाती हैं. यही वजह है कि 200 फीसदी टैरिफ लगाए जाने से भारतीय दवा कंपनियों को बड़ा नुकसान हो सकता है. भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Sun Pharmaceutical) को इस टैरिफ से सबसे ज्यादा नुकसान भी होगा. साल 2024 में सन फार्मा की कुल कमाई में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी 35 फीसदी थी. यह कंपनी अमेरिका को जेनरक दवाएं, विशेष जेनरिक्स और न्यूरोलॉजिकल दवाएं भेजती है. ऑरोबिंदो फार्मा लिमिटेड (Aurobindo Pharma) भी अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता कंपनियों में से एक है. साल 2024 में इसकी अमेरिकी बाजार से कमाई करीब 50 फीसदी थी, जिसका मतलब है कि इस कंपनी का आधा बिजनेस अमेरिका से ही चलता है. ऑरोबिंदो फार्मा अमेरिकी बाजार में एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल और कार्डियोवैस्कुलर दवाएं सबसे ज्यादा भेजता है. डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज लिमिटेड (Dr. Reddy’s Laboratories Ltd) भी अमेरिका में जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं के निर्यात के लिए जानी जाती है. साल 2024 में इस कंपनी की कुल कमाई में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी 38 से 45 फीसदी तक थी. जेनरिक दवाओं के अलावा यह कंपनी बायोसिमिलर्स और ओवर-द-काउंटर दवाएं भी भेजती है. ल्यूपिन लिमिटेड (Lupin Ltd) अमेरिका के लिए खास दवाएं भेजती है, जो श्वसन, हृदय और मधुमेह संबंधी बीमारियों में काम आते हैं. साल 2024 में इस कंपनी को 40 फीसदी कारोबार सिर्फ अमेरिकी बाजार से ही मिला था. ल्यूपिन ने हाल में ही अमेरिका में Ipratropium Bromide जैसी दवाएं लॉन्च की है. सिप्ला लिमिटेड (Cipla Ltd) भी अमेरिका को सांस संबंधी दवाओं के अलावा एचआईवी जैसी एंटीवायरल दवाएं भी भेजता है. साल 2024 में इस कंपनी की कुल कमाई में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी रही थी. सिप्ला अमेरिका को जेनरिक दवाओं की भी आपूर्ति करता है. जायडस लाइफसाइंसेज लिमिटेड (Zydus Lifesciences) भी अमेरिकी बाजार को जेनरिक और खास दवाओं की सबसे ज्यादा आपूर्ति करती है. साल 2024 में इस कंपनी की कुल कमाई में से करीब 45 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिकी बाजार की थी. यह भारतीय कंपनी अमेरिकी बाजार में कार्डियोवैस्कुलर और मधुमेह से जुड़ी दवाओं की आपूर्ति करती है. ग्लैंड फार्मा लिमिटेड (Gland Pharma ) को अपनी कुल कमाई का 50 फीसदी हिस्सा अमेरिकी बाजार से मिलता है. इस कंपनी को इंजेक्टेबल दवाओं में विशेषज्ञता हासिल है, जो अमेरिका में बड़े पैमाने पर निर्यात की जाती है. ट्रंप ने 200 फीसदी का टैरिफ लगाया तो इस कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. टॉरेंट फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (Torrent Pharmaceuticals) भी अमेरिका को हृदय और मधुमेह संबंधी दवाओं की सबसे ज्यादा आपूर्ति करती है. साल 2024 में इसकी अमेरिकी बाजार से कुल कमाई करीब 25-30% थी रही थी. यह कंपनी अमेरिकी ड्रग कंट्रोलर USFDA के साथ मिलकर काम करती है. ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (Glenmark Pharmaceuticals) को त्वचा विज्ञान और श्वसन संबंधी दवाओं में विशेषज्ञता हासिल है. साल 2024 में इस कंपनी की कुल कमाई का करीब 35 फीसदी हिस्सा सिर्फ अमेरिकी बाजार से ही आया है. यह कंपनी खासकर जेनरिक और विशेष दवाओं का ही निर्यात करती है. नैटको फार्मा लिमिटेड (Natco Pharma) को कैंसर संबंधी और हेपेटाइटिस सी से जुड़ी दवाएं बनाने में महारत हासिल है. यह कंपनी अमेरिका को इन दवाओं की सबसे ज्यादा आपूर्ति करती है. साल 2024 में इसकी कुल कमाई का 70 फीसदी हिस्सा सिर्फ अमेरिकी बाजार से ही हासिल हुआ है. आंकड़ों से साफ पता चलता है कि यह कंपनी अपने कारोबार के लिए अमेरिका पर किस हद तक निर्भर है.homebusinessभारत की 10 फार्मा कंपनियों पर बीमार होने का खतरा! ट्रंप देने जा रहे कड़वी दवाई
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भारत की 10 फार्मा कंपनियों पर बीमार होने का खतरा! ट्रंप देने जा रहे कड़वी दवाई

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