Last Updated:July 07, 2025, 09:16 ISTloco Pilots News: ट्रेन में सफर करने वाले यात्री रात में मजे से सोते हैं लेकिन ट्रेन के दोनों ड्राइवर (लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट) लगातार बात कर रहे होते हैं. आखिर दोनों क्या बात करते हैं? आइए जानते ह…और पढ़ेंइस तरह बात करना ड्यूटी का सबसे जरूरी हिस्सा है.हाइलाइट्सरात में एक एक सिग्नल का नंबर बोलते हैं दोनोंपहले एक बोलेगा फिर दूसरा उसे कंफर्म करेगाइस तरह हादसे की गुंजाइश कम से कम रहेनई दिल्ली. रात के सन्नाटे में जब ट्रेन चलती है तो करीब-करीब पूरी ट्रेन के यात्री सो रहे होते हैं, कोचों में अंधेरा होता है. और ऐसे में जब कोई दूसरी ट्रेन बगल से गुजरती है तो उसका शोर सुनाई देता है या फिर जब स्टेशन पर ट्रेन रुकती है तो वहां पर चाय-चाय की आवाज सुनाई पड़ती है. लेकिन जब सब सो रहे होते हैं तो ट्रेन के दोनों ड्राइवर (लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट) पल-पल आपस में बात करते हैं. ये क्यों बात करते हैं और क्या बात करते हैं. 99.99 फीसदी लोगों को पता नहीं होगा. आइए जानें?
रेलवे बोर्ड के रिटायर मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदीप कुमार बताते हैं रेलवे ट्रैक पर सिग्लन सामान्य तौर पर एक से दो किमी. की दूरी पर लगे होते हैं लेकिन कुछ सेक्शन में यह दूरी घटकर 500 से 800 मीटर दूरी भी निर्धारित की गयी है. वहीं स्टेशन के पास या जंक्शन पर सिग्नल की दूरी 200-500 मीटर तय की गयी है क्योंकि वहां ट्रेनों की गति धीमी होती है और कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल हेाता है.
ताकि गलती की गुंजाइश न रहे
प्रदीप कुमार बताते हैं कि हर सिग्नल का नंबर होता है. लोको पायलट सिग्नल से गुजरते समय उसका नंबर जोर से बोलता होता है. इसके बाद उसे कंफर्म करने के लिए असिस्टेंट लोको पायलट दोबारा से सिग्नल का नंबर बोलता है. जिससे किसी तरह की गलती की गुंजाइश न रहे. इतना ही नहीं जब सिग्लन का रंग भी बोलते हैं.
इस तरह समझ सकते हैं
उदाहरण के लिए कोई किसी सिग्लन का नंबर 1050 है और उसका हरे रंग का है, तो लोको पायलट पहले काशन फिर उसका नंबर और उसका रंग बोलेगा. इस तरह लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट पूरी रात इस तरह आपस में सन्नाटे में सिग्लन को लेकर बोलते रहते हैं, जो ड्यूटी का सबसे अनिवार्य हिस्सा है. यह इसलिए किया जाता है कि अगर किसी एक से मानवीय भूल हेा जाए तो दूसरा उसे तुरंत ठीक करा दे.लोको पायलट को ड्यूटी शुरू करने से पहले मिलता है रूट मैप
रूट मैप भी मिलता है
लोको पायलट को ड्यूटी शुरू करने से पहले पूरा रूट मैप मिलता है, उसमें लिखा है कि उसका रूट क्या होगा, कहां कहां ठहराव होगा, कितने मिनट का होगा. कहां-कहां पर कर्व पड़ेंगे और वहां कितनी स्पीड रखनी होगी? रूट पर कहां-कहां शहर पड़ेंगे और वहां पर स्पीड क्या होगी इस तरह के जरूरी निर्देशों के साथ रूट प्लान दिया जाता है. इस रूट प्लान के अनुसार लोकोपायलट ट्रेन चलाता है.Location :New Delhi,Delhihomebusinessरात में आपस में पल-पल क्या बात करते हैं ट्रेन ड्राइवर, 99.99% काे नहीं पता
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