Explainer: क्या है ट्रंप का मेगा बिल, जो बना कानून, इससे अमेरिकियों पर क्या असर

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अमेरिका में पहले सीनेट और फिर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप का महत्वाकांक्षी विधेयक बिग ब्यूटीफुट बिल पास हो गया. यह बिल हाउस ऑफ रिप्रेटेंटिव्स में 218–214 के नज़दीकी मतों से पास हुआ. इससे पहले सीनेट में ये बिल महज एक वोट से पास हो सका. अब ये कानून बन जाएगा. ये अमेरिका का एक बड़ा बजट और टैक्स सुधार विधेयक है. ट्रंप इस पर तुरंत साइन भी कर चुके हैं. आखिर इस बिल से एलन मस्क नाराज क्यों हैं. हालांकि आम अमेरिकियों के लिए ये बिल बहुत राहत देने वाला बताया जा रहा है.

इस बिल के तहत करदाताओं को भारी राहत दी गई है, खासतौर पर टिप्स, ओवरटाइम और सोशल सिक्योरिटी इनकम पर टैक्स माफ किया गया है. इसके साथ ही चाइल्ड टैक्स क्रेडिट बढ़ाया गया है. हालांकि इसकी भरपाई के लिए मेडिकेड (सरकारी हेल्थ प्रोग्राम) और स्नैप SNAP (फूड स्टैम्प्स) जैसी कल्याणकारी योजनाओं में कटौती की गई है.

सवाल – इस बिल की मुख्य बातें क्या हैं? इसमें मोटे तौर पर क्या प्रावधान किए गए हैं?

– ये बिल मिडिल क्लास को टैक्स में राहत देगा लेकिन गरीबों की परेशानी को बढ़ा देगा.
टैक्स में राहत
टिप्स, ओवरटाइम
सोशल सिक्योरिटी पर टैक्स नहीं लगेगा
मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग के लिए टैक्स दरों में कटौती.
चाइल्ड टैक्स क्रेडिट को बढ़ाया गया.

अमेरिका की सीनेट और फिर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने इसे बहुत मुश्किल से पास किया है. इसका विरोध भी खूब हुआ लेकिन अब ये कानून बन गया है. (OXBIG NEWS NETWORK)
इस बिल में कुछ मदों में खर्च में कटौती भी की गई है. Medicaid प्रोग्राम में 930 अरब डॉलर की कटौती. SNAP (फूड स्टैम्प्स) में 186 अरब डॉलर की कटौती. Medicaid में वर्क रेक़्वायरमेंट की शर्तें.

बिल में रक्षा और सीमा सुरक्षा में बजट को काफी बढ़ाया गया है. ICE, सीमा सुरक्षा, और मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए भारी फंडिंग की गई है. इससे 10 साल में घाटा 2.8-3.9 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ेगा.

सवाल – इस बिल का मकसद क्या है? क्या वो आम अमेरिकियों को खुश करना चाहते हैं?

– ट्रंप इस बिल के जरिए मध्यम वर्ग और कामकाजी अमेरिकी परिवारों को खुश करना चाहते हैं. उनकी रणनीति है कि जिन वोटर्स को 2024 के चुनाव में अपनी तरफ करना है, उन्हें टैक्स छूट और आर्थिक राहत दी जाए.
ट्रंप ने इसे “अमेरिकन वर्कर्स के लिए जीत” बताया है. मेडिकेड और फूड स्टैम्प कटौती को लेकर उनका कहना है कि सरकार आलसियों को मुफ्त में खिलाना बंद करेगी और इससे मेहनती करदाताओं का पैसा बचेगा.

सवाल – इस बिल का विरोध क्यों हो रहा है? खुद ट्रंप की पार्टी इससे खुश नहीं थी? 

– अंदरखाने खुद रिपब्लिकन पार्टी में भी इस बिल को लेकर असहमति है. कई रिपब्लिकन सांसदों का मानना है कि इससे सरकार को बहुत घाटा होगा. इतना भारी घाटा देश को आर्थिक रूप से कमज़ोर कर देगा.तीन रिपब्लिकन सीनेटर्स ने तो इसके खिलाफ वोट दिया है.मेडिकेड और स्नैप में कटौती से गरीब, ग्रामीण और बुजुर्ग अमेरिकियों की मुश्किलें बढ़ेंगी. इससे लंबी अवधि में आर्थिक खतरा बढ़ेगा. मुद्रा स्फीति, ब्याज दर और कर्ज संकट की आशंका है.

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डोनाल्ड ट्रंप के इस नए कानून को पूरी तरह से सियासी माना जा रहा है, जिससे वह बड़े पैमाने पर अमेरिका के मिडिल क्लास को खुश करेंगे. बेशक गरीब और गांव के लोग इससे नाराज होंगे लेकिन लगता है कि ट्रंप को इससे फर्क नहीं पड़ेगा. (OXBIG NEWS NETWORK)
सवाल – एलन मस्क इस बिल से इतने नाराज़ क्यों हैं? उन्होंने तो इसके विरोध नई पार्टी ही बनाने की धमकी दे डाली थी?

– एलन मस्क ट्रंप के इस बिल के प्रबल विरोधी हैं और उन्होंने इसे बहुत खराब और घिनौना कदम तक कहा है. मस्क का कहना है कि इससे अमेरिका कर्ज के दलदल में और फंस जाएगा. इस बिल में टेस्ला जैसी कंपनियों को मिलने वाली इलेक्ट्रिक व्हीकल और ग्रीन एनर्जी सब्सिडीज खत्म कर दी गईं. इससे मस्क की कंपनियों को बड़ा नुकसान होगा.

मस्क ने कहा कि ये बिल प्रदूषण फैलाने वाले फॉजिल फ्यूल और मेन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज को फायदा पहुंचा रहा है, जबकि टेक्नोलॉजी और इनोवेशन सेक्टर को नुकसान. मस्क ने धमकी दी है कि वो इस बिल का समर्थन करने वाले सांसदों के खिलाफ प्राइमरी चुनौती में उतरेंगे. उन्होंने तो इस बिल के खिलाफ अमेरिकन पार्टी नाम की नई राजनीतिक पार्टी शुरू करने की भी बात की है.

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इस नए कानून से एलन मस्क बहुत नाराज हैं. क्योंकि इससे उनकी इलैक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनियों को बहुत घाटा होने जा रहा है. (Credit- Reuters)

सवाल – क्या ट्रंप और मस्क के बीच निजी टकराव भी है?

– बिल्कुल. ट्रंप और मस्क के बीच लंबे समय से मतभेद हैं. ट्रंप ने मस्क पर आरोप लगाया कि वो सिर्फ EV सब्सिडी के लिए परेशान हैं. ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से मस्क को “विफल नेता” कहा. मस्क ने ट्रंप की नीतियों को आर्थिक आत्महत्या बताया. अब ये टकराव महज़ पॉलिसी तक नहीं रह गया, बल्कि राजनीतिक युद्ध का रूप ले चुका है.

सवाल – इस बिल का आम अमेरिकियों की जिंदगी पर क्या असर होगा?

– मध्यम वर्ग और कामकाजी वर्ग को टैक्स में राहत मिलेगी. मेडिकेड कटौती से करोड़ों लोगों को हेल्थ कवरेज खोने का खतरा हो गया है, जो अमेरिका में बड़े पैमाने पर लोगों के लिए मददगार रहा है. इससे 1 से 1.5 करोड़ लोग सीधे सीधे प्रभावित होंगे. स्नैप में कटौती से अमेरिका में गरीबों और कम आय वाले परिवारों के लिए जीवन बहुत मुश्किल हो जाएगा. सीमा सुरक्षा और सेना को भारी फंडिंग से देश की सीमा नीति सख्त हो जाएगी. लेकिन लांग टर्म में ये अमेरिका के लिए बहुत नुकसानदेह बताया जा रहा है.

सवाल – क्या इस बिल से ट्रंप को चुनाव में फायदा मिलेगा?

– बिल्कुल मिलेगा. ट्रंप इस बिल से मध्यम वर्ग और टैक्सपेयर तबके को खुश कर चुनाव में बड़ी बढ़त बना लेंगे. लेकिन मेडिकेड और स्नैप कटौती से गरीब और ग्रामीण वोटर्स नाराज़ हो सकते हैं. साथ ही एलन मस्क जैसी शख्सियत का विरोध और पार्टी के भीतर मतभेद भी रिपब्लिकन पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.

सवाल – अमेरिका के अखबार और एक्सपर्ट इस बिल पर क्या रिएक्शन दे रहे हैं?

– द वाशिंगटन पोस्ट ने अपने विशेष लेख “The last breath of small‑government conservatism” में कहा कि यह बिल रिपब्लिकन पार्टी के छोटे‑सरकारी दर्शन को छोड़कर राष्ट्रवादी दिशा में ले जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि इस बिल के लिए ट्रंप ने दबाव बनाया और सांसदों को अपनी वित्तीय नीतियों का त्याग करने पर मजबूर कर दिया. अखबार ने इसे सरकार की विवेकहीनता भी कहा है.

द न्यूयार्क पोस्ट का कहना है कि घाटे के आंकलन के बाद भी ट्रंप ने ये बिल 4 जुलाई तक पारित कराने पर जोर दिया. बिजनेस इनसाइडर ने बिल को अलोकप्रिय बताया. फाइनेंशियल टाइम्स ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया. ये लिखा कि भविष्य में यह बिल “आर्थिक चूक” साबित हो सकता है. वॉक्स के विश्लेषक एंड्यूर प्रोकॉप ने कहा, यह “टैक्स कट, सुरक्षा योजनाएं, ग्रीन एनर्जी को नुकसान और $3 ट्रिलियन तक कर्ज” वाला बिल है. यह “डेमोक्रेटिक या गरीब–समर्थित प्रोग्रामों को निशाना बनाता है” और लोगों को बांटता है. एक्सपर्ट्स और थिंक टैंक ने इसे घाटा लाने वाला और वित्तीय आत्महत्या करने वाला बताया. एक सर्वे में लगभग 55–60% अमेरिकियों ने इस बिल का विरोध किया; केवल 29–38% ही समर्थन में रहे. पिऊ रिसर्च के सर्वे के अनुसार, 49% ने माना कि यह बिल देश के लिए बहुत नकारात्मक है.

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